उत्तर प्रदेश चुनाव में औंधे मुंह गिरे VIP पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी को अब बिहार में मंत्री पद से हटाने की उठने लगी मांग
By एस पी सिन्हा | Published: March 11, 2022 07:20 PM2022-03-11T19:20:59+5:302022-03-11T19:20:59+5:30
उत्तर प्रदेश चुनाव की तैयारी कर रहे मुकेश सहनी ने चुनाव से पहले ये दावा किया था कि उस सूबे में 165 सीटों पर उनकी जाति के वोटरों की संख्या निर्णायक है. वे केवल 53 सीटों पर उम्मीदवार उतार पाए लेकिन बुरी तरह विफल साबित हुए।
पटना: उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में औंधे मुंह गिरे वीआईपी पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी अब बिहार में सत्ता सुख से वंचित किये जा सकते हैं. उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपना सियासी भविष्य दांव पर लगा दिया था और भाजपा के खिलाफ सबसे ज्यादा भूमिका बांधी थी.
ऐसे में मुकेश सहनी को मिली करारी हार के बाद बिहार में अब उनके मंत्री पद की कुर्सी खतरे में नजर आ रही है. बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश में घूम-घूम कर मुकेश सहनी लोगों से ये अपील कर रहे थे कि भाजपा को हर हाल में हरायें लेकिन गुरूवार को चुनाव परिणाम आने के बाद मुकेश सहनी के सारे दांव और दावे सुपर फ्लॉप साबित हुए.
ऐसे में भाजपा विधायक हरी भूषण ठाकुर बचौल ने मुकेश सहनी को मंत्री पद से हटाए जाने की मांग कर दी है. उन्होंने बिहार विधानसभा में मीडिया से बात करते हुए कि एक सहयोगी दल के रूप उन्होंने यूपी में जैसे मर्यादा को उन्होंने लांघा है. वो रिजेक्टेड थे, एमपी का चुनाव हार गये, एमएलए का चुनाव हार गये. तब भी भाजपा ने उन्हें मंत्री बनाया. हमारे पार्टी में बहुत सहनी हैं, अब मुकेश सहनी को खुद नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए.
उन्होंने कहा कि उनके छोड़ने से सरकार नहीं गिर जाएगी. हमारी पार्टी और अमित शाह जल्द ही सहनी पर कोई बडा फैसला लेंगे. अगर वो लालू के विचारधारा के हैं तो क्यों पीठ में छुरा घोंपने की बात कह कर एनडीए में आ गये थे? उनके जाने से सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
बचौल ने कहा कि उनके दुबारा विधान पार्षद बनने के कम चांस हैं. उन्होंने कहा है कि मुकेश साहनी हवा में चले गए हैं और अब आगे वह बिहार में मंत्री भी नहीं रहेंगे. बचौल ने कहा कि मुकेश सहनी को मंत्री नहीं रहने देना चाहिए.
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश चुनाव की तैयारी कर रहे मुकेश सहनी ने चुनाव से पहले ये दावा किया था कि उस सूबे में 165 सीटों पर उनकी जाति के वोटरों की संख्या निर्णायक है. लिहाजा ऐसी हर सीट पर वह चुनाव लड़ेंगे.
चुनाव से पहले इन 165 सीटों पर मोटर साइकिल बांटे गये ताकि पार्टी के नेता उस मोटर साइकिल पर घूम कर वीआईपी पार्टी का प्रचार कर सकें. लेकिन चुनाव होने से पहले ही ये हाल हुआ कि 165 उम्मीदवार नहीं मिल पाये. मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सिर्फ 53 उम्मीदवार उतार पाई.
इसमें से 19 सीट पर उसके उम्मीदवार को एक हजार वोट भी नहीं मिला. उत्तर प्रदेश के 16 प्रतिशत वोट बैंक को अपनी मुट्ठी में बताने वाले मुकेश सहनी का हाल ये हुआ कि उनके किसी भी उम्मीदवार की जमानत भी नहीं बची. यूपी की किसी सीट पर उनका उम्मीदवार मुकाबले में ही नहीं रहा. बाइक बांटने से लेकर हेलीकॉप्टर से धुंआधार प्रचार का फायदा उनके किसी उम्मीदवार को मिलता नहीं दिखा.