अनुच्छेद 370 लगने के बाद कश्मीर में 18 हजार करोड़ का नुकसान, लाखों नौकरी गायब, कई व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 19, 2019 13:25 IST2019-12-19T13:25:01+5:302019-12-19T13:25:01+5:30
कश्मीर में 5 अगस्त के बाद से शटडाउन चल रहा है। लाखों लोगों को नौकरियों का नुकसान हुआ है, वित्तीय संस्थानों के उधारकर्ताओं ने अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की क्षमता खो दी है और बड़ी संख्या में खातों के दिवालिया होने की संभावना है। कई व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद हो गए हैं या बंद करने पर विचार कर रहे हैं।

फैली अव्यवस्था के कारण कारोबार और नौकरियों में हुए नुकसान को लेकर कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने एक रिपोर्ट तैयार की है।
द कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (केसीसीआई) ने केंद्र सरकार से कश्मीर में व्यवसाय को फिर से खड़ा करने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया। उद्योग मंडल ने कहा कि अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों को हटाने के बाद फैली अशांति की वजह से घाटी की अर्थव्यवस्था को 18,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
कश्मीर में 5 अगस्त के बाद से शटडाउन चल रहा है। लाखों लोगों को नौकरियों का नुकसान हुआ है, वित्तीय संस्थानों के उधारकर्ताओं ने अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की क्षमता खो दी है और बड़ी संख्या में खातों के दिवालिया होने की संभावना है। कई व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद हो गए हैं या बंद करने पर विचार कर रहे हैं।
केसीसीआई के अध्यक्ष शेख आशिक हुसैन ने सरकार से कश्मीर में इंटरनेट सेवाएं बहाल करने की भी गुहार लगाई है। हुसैन ने अन्य उद्योग निकायों के प्रमुखों के साथ वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात की।
हुसैन ने कहा, "मैंने उद्योग मंत्री को बताया है कि पिछले चार महीनों में करीब 18,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है।" उन्होंने कहा कि जम्मू - कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा वापस होने के बाद फैली अव्यवस्था के कारण कारोबार और नौकरियों में हुए नुकसान को लेकर कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने एक रिपोर्ट तैयार की है।
हुसैन ने कहा , " हमने केंद्रीय मंत्री को बताया कि सभी कारोबारी क्षेत्र बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं और सभी क्षेत्रों के उद्योग दिग्गजों ने चैंबर को लिखित अभिवेदन दिया है। जल्द ही उप - राज्यपाल को एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी जाएगी। " उन्होंने कहा कि गोयल ने व्यापार प्रतिनिधियों की बात को धैर्यपूर्वक सुना और रिपोर्ट की एक प्रति भेजने के लिए कहा है।
जेएंडके के सकल घरेलू उत्पाद 2017-18 के जम्मू और कश्मीर के आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 के आधार पर नुकसान के आकलन का शीर्ष-तरीका है। गणना के लिए 120 दिनों का समय अवधि माना गया है। इस पद्धति के अनुसार, कश्मीर की अर्थव्यवस्था को 17,878.18 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
रिपोर्ट के अनुसार सेवाओं, उद्योगों और कृषि या संबद्ध सेवाओं में घाटा क्रमशः 9,191 करोड़ रुपये, 4,095 करोड़ रुपये और 4,591 करोड़ रुपये है। स्थानीय अर्थव्यवस्था का क्षेत्रवार अध्ययन अनुमानित नुकसान 14,296 करोड़ रुपये रखता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सेक्टर सीधे इंटरनेट कनेक्टिविटी पर निर्भर हैं, जैसे कि सूचना प्रौद्योगिकी और ई-कॉमर्स, अगस्त की शुरुआत में लॉकडाउन के बाद से बर्बाद हो गए, क्योंकि केंद्र अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर की संवैधानिक स्थिति को बदलने के लिए स्थानांतरित कर दिया गया था।
सभी क्षेत्रों में व्यापार में भारी गिरावट आई है। लगभग 4 महीने हो गए हैं, अभी भी हालात सामान्य नहीं हुए हैं। हाल ही में कुछ स्थिति बदली है। लेकिन हमें जो प्रतिक्रियाएं मिल रही है, उनसे पता चला है कि व्यवसाय अभी भी सुस्त है।”
उन्होंने कहा, “आज के समय में, किसी भी व्यवसाय के लिए सबसे जरूरी चीज इंटरनेट है। हमने प्रशासन को यह बता दिया है कि इंटरनेट सुविधा बंद रखने से व्यापार बुरी तरह प्रभावित होगा और अर्थव्यवस्था कमजोर होगी।”
विभिन्न क्षेत्रों का हवाला देते हुए, आशिक ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी एक आगामी क्षेत्र है। जम्मू-कश्मीर में ऐसी कंपनियां हैं जो यूरोप के देशों में सेवाएं प्रदान कर रही हैं। इंटरनेट के बंद होने से इन कम्पनियों का कारोबार ठप पड़ गया है।
उन्होंने व्यापारियों की समस्याएं गिनाते हुए आगे कहा, “जीएसटी भी कश्मीर के व्यापारियों के लिए बड़ी समस्या बन गया है। कारोबार नहीं हो रहा परन्तु जीएसटी फिर भी भरना पड़ रहा है। इस तरह के कई अन्य मुद्दे हैं।”