कोविशील्ड की दूसरी डोज के बाद भी डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ 16 फीसद में नहीं मिली एंटीबॉडी, बूस्टर डोज की हो सकती है जरूरत

By अभिषेक पारीक | Updated: July 4, 2021 21:39 IST2021-07-04T14:27:00+5:302021-07-04T21:39:32+5:30

वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस का डेल्टा वेरिएंट लोगों को परेशान कर रहा है। कई देशों में डेल्टा वेरिएंट के मामले काफी बढ़ गए हैं। हालांकि डेल्टा वेरिएंट को लेकर सामने आई एक स्टडी ने चौंकाने वाला खुलासा किया है।

After second dose of Covishield antibodies against Delta variants were not found in 16 percent | कोविशील्ड की दूसरी डोज के बाद भी डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ 16 फीसद में नहीं मिली एंटीबॉडी, बूस्टर डोज की हो सकती है जरूरत

फाइल फोटो

Highlightsकोविशील्ड का एक डोज लेने वाले 58.1 फीसद लोगों में डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ एंटीबॉडी नहीं दिखी। कोविशील्ड की दो डोज लेने वालों के 16.1 फीसद सैंपल्स में न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी नहीं पाई गई। कोविशील्ड की दोनों डोज लेने वालों के लिए एक अतिरिक्त बूस्टर डोज की आवश्यकता हो सकती है। 

वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस का डेल्टा वेरिएंट लोगों को परेशान कर रहा है। कई देशों में डेल्टा वेरिएंट के मामले काफी बढ़ गए हैं। हालांकि डेल्टा वेरिएंट को लेकर सामने आई एक स्टडी ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की एक रिसर्च स्टडी में सामने आया है कि कोविशील्ड वैक्सीन का एक डोज लेने वाले 58.1 फीसद लोगों के सीरम नमूनों में डेल्टा वेरिएंट (बी1.617.2) के खिलाफ न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी नहीं दिखी। वहीं दो डोज लेने वालों के 16.1 फीसद सैंपल्स में न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी नहीं पाई गई। 

क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ. टी जैकब जॉन ने कहा कि एंटीबॉडी का नहीं दिखना और मौजूद नहीं होना यह दो अलग-अलग बात है। हो सकता है कि न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी का स्तर काफी कम हो, जिससे इसका पता नहीं चलता है। उन्होंने कहा कि यह मौजूद हो सकती है  और व्यक्ति का संक्रमण से बचाव कर सकती है। 

न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज के टाइट्रेस सार्स-सीओवी-2 को निशाना बनाते हैं। उनका काम वायरस को मानव कोशिकाओं में प्रवेश से रोकना या मारना होता है। ये टाइट्रेस डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ बी1 वेरिएंट की तुलना में कम थे। बी1 वेरिएंट को भारत में संक्रमण की पहली लहर के लिए कारण माना जाता है। बी1 की तुलना में डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी टाइट्रेस वैक्सीन की एक डोज लेने वालों में 78 फीसद कम थी। वहीं दो डोज लेने वालों में 69 फीसद, संक्रमित हो चुके और एक डोज लेने वालों में 66 फीसद कम थी। वहीं संक्रमित हो चुके और दोनों डोज लेने वालों में 38 फीसद कम पाई गई।

अतिरिक्त बूस्टर डोज की आवश्यकता

स्टडी के मुताबिक, भारत के टीकाकरण अभियान में कोविशील्ड के अतिरिक्त बूस्टर डोज की आवश्यकता हो सकती है। वहीं जिन्हें संक्रमण हो चुका है, उन्हें सिर्फ एक डोज ही देने की जरूरत पड़ सकती है। 

संक्रमण हो चुका तो एक डोज पर्याप्त

डॉ जॉन के अनुसार यह मानते हुए कि अध्ययन में इस्तेमाल सीरम स्वस्थ्य व्यक्तियों का था, न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी का स्तर उन लोगों में अधिक होगा जो बुजुर्ग हैं या पहले से बीमार हैं क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया कम है। इसका अर्थ है कि 65 साल से अधिक के पुरुषों (महिलाएं ज्यादा एंटीबॉडी बनाती हैं) और विभिन्न बीमारियों से पीड़ित लोगों को तीसरी डोज देनी चाहिए। वहीं जिन्हें संक्रमण हो चुका है, उनके लिए एक डोज पर्याप्त है। 

Web Title: After second dose of Covishield antibodies against Delta variants were not found in 16 percent

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