नई दिल्ली: संघ लोक सेवा आयोग द्वारा ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर का प्रमाणपत्र रद्द करने के बाद कुछ और प्रशिक्षु और सेवारत अधिकारियों के विकलांगता प्रमाणपत्र जांच के दायरे में हैं। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) छह अन्य सिविल सेवकों के मेडिकल प्रमाणपत्रों पर विचार कर रहा है। इन अधिकारियों के प्रमाणपत्रों को लेकर सोशल मीडिया पर तगड़ी मुहिम छिड़ी थी। इन छह सिविल सेवकों में से पांच आईएएस और एक आईआरएस से हैं।
ये मामला खेडकर की उम्मीदवारी रद्द होने के बाद आया है क्योंकि यूपीएससी ने उनके खिलाफ परीक्षा नियमों और दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के आरोपों को सही पाया था। खेडकर की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हुई हैं। दिल्ली की एक अदालत ने धोखाधड़ी और जालसाजी के एक मामले में आरोपी खेडकर द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका गुरुवार को खारिज कर दी।
संघ लोक सेवा आयोग ने कहा है कि उसने 2009 से 2023 तक 15,000 से अधिक अंतिम रूप से अनुशंसित उम्मीदवारों के उपलब्ध आंकड़ों की गहन जांच की है और केवल पूजा खेडकर को यूपीएससी परीक्षा नियमों में धोखाधड़ी करने का दोषी पाया गया है।
क्या था पूजा खेडकर का मामला
पूजा खेडकर फर्जी मानसिक और शारीरिक अस्वस्थता का सर्टिफिकेट लगाकर यूपीएससी की परीक्षा पास करने के आरोप में जांच का सामना कर रही थीं। जांच में ये आरोप सही पाए गए। प्रोबेशन पीरियड में काम कर रहीं सिविल सर्विस अधिकारी खेडकर ने अगस्त 2022 में पुणे के अनुध हॉस्पिटल में शारीरिक रूप से अक्षम होने का सर्टिफिकेट पाने के लिए आवेदन किया था। इसके बाद खेडकर के कुछ टेस्ट हुए और अस्पताल ने उन्हें शारीरिक अक्षमता का प्रमाण पत्र देने से मना कर दिया। जिस डॉक्टर ने खेडकर की जांच की थी उन्होंने कहा कि खेडकर को डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट देना संभव नहीं है।
जिस लोकोमोटर डिसेबिलिटी के प्रमाण पत्र के लिए खेडकर ने आवेदन किया था वह किसी भी प्रकार के सेरेब्रल पाल्सी या हड्डियों, जोड़ों या मसल्स में विकलांगता से जुड़ा है। लोकोमोटर डिसेबिलिटी से पीड़ित की चलने-फिरने की क्षमता प्रभावित होती है।
पूजा खेडकर को यूपीएससी की तरफ से साल 2022 में 6 बार मेडिकल चेक-अप के लिए बुलाया गया लेकिन वह नहीं गईं। बाद में उन्होंने बाहर के एक मेडिकल सेंटर से एमआरआई रिपोर्ट हासिल किया और इसे सबमिट किया। आठ महीने की देरी होने के बावजूद 2023 में इस एमआरआई रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया गया। दबंगई और पद के दुरुपयोग के एक मामले में सुर्खियों में आई पूजा खेडकर के फर्जीवाड़े का मामला भी खुल गया। अंततः खेडकर को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी।