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आंशिक सुधार के बाद दिल्ली की वायु गुणवत्ता फिर ' बेहद खराब' श्रेणी में पहुंची

By भाषा | Updated: November 3, 2020 19:50 IST

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नयी दिल्ली, तीन नवंबर राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता मंगलवार को फिर 'बेहद खराब' श्रेणी में चली गई। इससे पहले गुणवत्ता में मामूली सुधार दर्ज किया गया था। एक केंद्रीय एजेंसी ने बताया कि दिन में हवा की दिशा में परिवर्तन की वजह से दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलने की हिस्सेदारी घटकर 10 प्रतिशत थी।

भारत मौसम विज्ञान विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सोमवार को तेज हवा चलने से प्रदूषकों के बिखराव में मदद मिली और वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ। बहरहाल रात में प्रदूषक एकत्रित हो गए।

शहर में सुबह 10 बजे वायु गुणवत्ता 332 दर्ज किया गया जबकि शाम चार बजे हवा की गति तेज होने के बाद गुणवत्ता में सुधार हुआ और यह 302 दर्ज किया गया।

सोमवार को दिल्ली में औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 293 था, जो कि ‘खराब’ श्रेणी में आता है। वहीं रविवार को यह 364 था और दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलने की हिस्सेदारी 40 फीसदी थी ।

उल्लेखनीय है कि 0 और 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच 'मध्यम', 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बेहद खराब' और 401 से 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता निगरानी एजेंसी ‘सफर’ के अनुसार दिल्ली के पीएम 2.5 में पराली जलाने की हिस्सेदारी हवा की दिशा में बदलाव की वजह से ‘उल्लेखनीय रूप से घटा’ है और मंगलवार को यह अनुमानत: 10 फीसदी रहा। सफर ने बताया कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में सोमवार को पराली जलाए जाने की संख्या करीब 3,068 थी।

‘सफर’ के अनुसार, सोमवार को दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी 16 प्रतिशत थी। यह रविवार को 40 फीसदी पहुंच गई थी जो इस मौसम में सबसे ज्यादा है। शनिवार को यह 32 फीसदी थी जबकि शुक्रवार को 19 फीसदी और बृहस्पतिवार को 36 फीसदी थी।

पिछले साल दिल्ली के प्रदूषण में एक नवंबर को पराली जलने की हिस्सेदारी 44 फीसदी तक पहुंच गई थी।

सफर ने बुधवार और बृहस्पतिवार को वायु की गुणवत्ता में आंशिक गिरावट की संभावना जताई है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार मंगलवार को हवा की अधिकतम गति 12 किलोमीटर प्रति घंटा दर्ज किया गया। वहीं न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ जो कि इस मौसम में सबसे कम है।

हल्की हवाओं और कम तापमान के कारण प्रदूषक जमीन के निकट रहते हैं, जबकि वायु की अनुकूल रफ्तार के कारण इनके बिखराव में मदद मिलती है।

प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए दिल्ली सरकार ने कहा है कि उच्चतम न्यायालय के 2018 के फैसले के मुताबिक दिल्ली में सिर्फ “ग्रीन पटाखे” बनाने, बेचने और इस्तेमाल करने की इजाजत है। ‘ग्रीन पटाखा’ पारंपरिक पटाखों की तरह प्रदूषण नहीं करता है और इसमें सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे कणों की मात्रा 30 फीसदी तक कम होती है।

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