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आईटीबीपी के 99 कमांडो की टुकड़ी और तीन खोजी कुत्ते सैन्य विमान से वापस लौटे

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 17, 2021 21:47 IST

India's Afghanistan rescue mission: अफगानिस्तान में भारतीय राजदूत रुद्रेंद्र टंडन, आईटीबीपी के 99 कमांडो और 21 नागरिकों सहित 30 राजनयिक भारतीय वायु सेना के सी-17 ग्लोबमास्टर विमान में सवार थे।

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ठळक मुद्देभारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के दिल्ली में स्थित एक केंद्र में कोविड-19 के कारण हफ्तेभर तक पृथक-वास में रहेंगे।कमांडो, दूतावास के कर्मचारियों और अन्य भारतीय नागरिकों के साथ वापस आए हैं।कंधार, मजार-ए-शरीफ और हेरात में स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावासों की रक्षा के लिए भेजा।

India's Afghanistan rescue mission: तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान से आईटीबीपी के 99 कमांडों की एक टुकड़ी तीन खोजी कुत्तों के साथ एक सैन्य विमान से वापस वतन आ गई है।

उनका विमान मंगलवार को गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर उतरा। अधिकारियों ने बताया कि कमांडो अपने सभी निजी हथियार एवं सामान भी वापस लेकर आए हैं और भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के दिल्ली में स्थित एक केंद्र में कोविड-19 के कारण हफ्तेभर तक पृथक-वास में रहेंगे।

आईटीबीपी के प्रवक्ता विवेक कुमार पांडे ने बताया, “इसके साथ ही काबुल में दूतावास, अफगानिस्तान में भारत के चार वाणिज्य दूतावास और राजनयिकों की सुरक्षा के लिए तैनात हमारी पूरी टुकड़ी वापस आ गई है। कमांडो, दूतावास के कर्मचारियों और अन्य भारतीय नागरिकों के साथ वापस आए हैं।”

कमांडो को बसों में हिंडन एयर बेस से पृथक केंद्र ले जाया गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कमांडो अपने साथ एके सीरीज के हथियार, बुलेट प्रूफ जैकेट, हेलमेट, संचार उपकरण, गोला-बारूद और तीन खोजी कुत्ते भी साथ ले आए हैं।

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में भारतीय राजदूत रुद्रेंद्र टंडन, आईटीबीपी के 99 कमांडो और 21 नागरिकों सहित 30 राजनयिक भारतीय वायु सेना के सी-17 ग्लोबमास्टर विमान में सवार थे। उनके मुताबिक, विमान ने काबुल में हामिद करज़ई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से आज सुबह उड़ान भरी थी और जामनगर वायुसेना बेस पर कुछ देर रुका और फिर यहां नजदीक में गाजियाबाद में स्थित हिंडन एयरबेस पर उड़ान उतरा। उन्होंने कहा कि 21 नागरिकों में चार पत्रकार शामिल हैं।

आईटीबीपी ने अफगानिस्तान में सुरक्षा ड्यूटी पर 300 से अधिक कमांडो को तैनात किया था। बल को पहली बार नवंबर, 2002 में काबुल दूतावास परिसर, राजनयिकों और कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया था। बाद में उसने अपनी अतिरिक्त टुकड़ियों को जलालाबाद, कंधार, मजार-ए-शरीफ और हेरात में स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावासों की रक्षा के लिए भेजा।

अफगानिस्तान में मौजूदा संकट के कारण वाणिज्य दूतावासों को हाल में बंद किए जाने के बाद से टुकड़ियों को पहले ही वापस ले लिया गया है। इन्हें बंद करने की एक वजह यह भी थी कि कोरोना वायरस महामारी के कारण वहां लोगों की आमद कम हो गई थी।

आईटीबीपी को 2005-08 के बीच सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा पूर्ण किए गए देलाराम-जरंज सड़क परियोजना की हिफाज़त के लिए भी तैनात किया गया था। विभिन्न आतंकवादी हमलों में आईटीबीपी के कई कमांडो की मौत भी हुई है और उनमें से कई को वीरता पदकों से अलंकृत किया गया।

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