अफगानिस्तान भूमित का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए नहीं हो : अफगान संकट पर दिल्ली सुरक्षा वार्ता

By भाषा | Updated: November 10, 2021 18:42 IST2021-11-10T18:42:57+5:302021-11-10T18:42:57+5:30

Afghanistan land should not be used for terrorism: Delhi security talks on Afghan crisis | अफगानिस्तान भूमित का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए नहीं हो : अफगान संकट पर दिल्ली सुरक्षा वार्ता

अफगानिस्तान भूमित का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए नहीं हो : अफगान संकट पर दिल्ली सुरक्षा वार्ता

नयी दिल्ली, 10 नवंबर भारत, रूस, ईरान और पांच मध्य एशियाई देशों ने यह सुनिश्चित करने का बुधवार को संकल्प लिया कि अफगानिस्तान को ‘‘वैश्विक आतंकवाद का पनाहगाह’’ नहीं बनने दिया जाएगा। साथ ही, उन्होंने यहां अपने शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों की बैठक के दौरान काबुल में एक खुली और सही मायने में समावेशी सरकार का गठन करने की आह्वान किया।

अफगानिस्तान में उभरती स्थिति की समीक्षा के लिए भारत की मेजबानी वाली सुरक्षा वार्ता के अंत में इन आठ देशों ने एक घोषणापत्र में यह बात दोहराई कि आतंकवादी गतिविधियों को पनाह, प्रशिक्षण, साजिश रचने देने या वित्तपोषण करने देने में अफगान भू-भाग का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।

साथ ही, घोषणापत्र में अफगानिस्तान की संप्रभुता,एकता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने तथा इसके अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने की जरूरत पर जोर दिया गया, जिसे पाकिस्तान के लिए एक परोक्ष संदेश के रूप में देखा जा रहा है।

अफगानिस्तान पर दिल्ली क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता में उस देश में खराब होती सामाजिक-आर्थिक व मानवीय स्थिति को लेकर चिंता जताई तथा अफगान लोगों को तत्काल मानवीय सहायता उपलब्ध कराने की जरूरत को रेखांकित किया।

सुरक्षा अधिकारियों ने यह भी कहा कि मानवीय सहायता निर्बाध, सीधे तौर पर और आश्वस्त तरीके से अफगानिस्तान को मुहैया की जानी चाहिए तथा अफगान समाज के सभी तबकों के बीच भेदभावरहित तरीके से सहायता वितरित किया जाए।

वार्ता में शामिल होने वाले मध्य एशियाई देशों में कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान हैं।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा कि अफगानिस्तान के हालिया घटनाक्रमों का न केवल अफगान लोगों के लिए, बल्कि क्षेत्र के लिए भी महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं।

घोषणापत्र में कहा गया है कि भागीदार देशों ने अफगानिस्तान में उभरती स्थिति, खासतौर पर सुरक्षा स्थिति की, और इसके क्षेत्रीय एवं वैश्विक निहितार्थों पर चर्चा की।

इसमें कहा गया है, ‘‘सभी देशों ने अफगानिस्तान में मौजूदा राजनीतिक स्थिति और आतंकवाद, कट्टरपंथ व मादक पदार्थों की तस्करी से पैदा हो रहे खतरों तथा मानवीय सहायता की जरूरत पर विशेष ध्यान दिया। ’’

वार्ता के बाद अधिकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संयुक्त रूप से मुलाकात की और उन्हें चर्चा की जानकारी दी।

घोषणापत्र में कहा गया है कि अधिकारियों ने शांतिपूर्ण, सुरक्षित और स्थिर अफगानिस्तान के लिए मजबूत समर्थन को दोहराया।

इसमें कहा गया है कि उन्होंने अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति से उभरी अफगान लोगों की समस्याओं को लेकर भी गहरी चिंता प्रकट की तथा कुंदुज, कंधार और काबुल में आतंकी हमलों की निंदा की।

उन्होंने खासतौर पर इस बात पर जोर दिया कि अफगान भू-भाग का इस्तेमाल किसी आतंकी गतिविधि को पनाह, प्रशिक्षण, उसकी साजिश रचे जाने या वित्तपोषण के लिए नहीं होना चाहिए।

घोषणापत्र में कहा गया है कि अधिकारियों ने हर तरह की आतंकवादी गतिविधियों की कड़ी निंदा की और आतंकवाद के वित्तपोषण सहित उसके सभी स्वरूपों के खिलाफ लड़ाई जारी रखने की प्रतिबद्धता दोहराई।

घोषणापत्र में आतंकी ढांचों को नष्ट करने तथा कट्टरपंथ की राह पर ले जाने वाली गतिविधियों को रोकने की जरूरत का जिक्र किया गया, ताकि अफगानिस्तान वैश्विक आतंकवाद का पनाहगाह नहीं बने।

अधिकारियों ने क्षेत्र में कट्टरपंथ, चरमपंथ, अलगाववाद और मादक पदार्थों की तस्करी की बुराई के खिलाफ सामूहिक सहयोग की भी अपील की।

उन्होंने एक खुली और सही मायने में समावेशी सरकार के गठन पर जोर दिया जो अफगानिस्तान के सभी लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व करती हो और जिसमें समाज के सभी तबके का प्रतिनिधित्व हो।

घोषणापत्र में कहा गया है कि प्रशासनिक व राजनीतिक ढांचे में समाज के सभी तबके का समावेश देश में राष्ट्रीय सुलह प्रक्रिया की सफलता के लिए जरूरी है।

अफगानिस्तान पर संबद्ध संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों को याद करते हुए भागीदार देशों ने इस बात का जिक्र किया कि संयुक्त राष्ट्र को उस देश में एक अहम भूमिका निभानी होगी और उसकी उपस्थिति बनाए रखनी होगी।

अधिकारियों ने महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों का हनन नहीं होने देने पर भी जोर दिया।

डोभाल ने कहा, ''अफगानिस्तान से उपजी चुनौतियों से निपटने के लिए क्षेत्र के देशों के बीच यह घनिष्ठ परामर्श, अधिक सहयोग और बातचीत और समन्वय का समय है।''

उन्होंने कहा, ''हम सभी उस देश के घटनाक्रम पर गहराई से नजर रख रहे हैं। इनके न सिर्फ अफगानिस्तान के लोगों के लिए बल्कि इसके पड़ोस व क्षेत्र के लिए भी महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं। ''

भारत ने चीन और पाकिस्तान को भी आमंत्रित किया था लेकिन दोनों देशों ने इसमें भाग नहीं लेने का फैसला किया।

घोषणापत्र के मुताबिक अधिकारियों ने कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए सहायता मुहैया करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और भविष्य में भी एक दूसरे से संपर्क मे बने रहने पर सहमत हुए।

इसमें कहा गया है, ‘‘भागीदार देशों ने नयी दिल्ली में अफगानिस्तान पर तीसरी क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता का आयोजन करने के लिए भारत का शुक्रिया अदा किया। वे अगले दौर की वार्ता 2022 में आयोजित करने पर सहमत हुए। ’’

ईरान ने 2018 और 2019 में इसी रूपरेखा के तहत वार्ता की मेजबानी की थी।

ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव रियर एडमिरल अली शामखानी ने अफगानिस्तान में आतंकवाद, गरीबी और मानवीय संकट की चुनौतियों पर चर्चा की।

उन्होंने कहा, ''समाधान सभी जातीय समूहों की भागीदारी के साथ एक समावेशी सरकार के गठन के माध्यम से ही आता है।'' उन्होंने आशा व्यक्त की कि चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक तंत्र का तैयार किया जाएगा।

उन्होंने कहा, ''भारत ने जो भूमिका निभाई है, मैं उसके लिये उसका शुक्रिया अदा करना और सराहना करना चाहता हूं, क्योंकि अफगानिस्तान में उनकी बड़ी भूमिका है।''

रूस की सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलाई पेत्रुशेव ने अफगान मुद्दे पर मॉस्को प्रारूप और तुर्क काउंसिल सहित विभिन्न संवाद तंत्रों का उल्लेख किया और इस बात पर जोर दिया कि उन्हें एक दूसरे की नकल नहीं करनी चाहिये बल्कि एक दूसरे का पूरक होना चाहिये।

पेत्रुशेव ने अफगान संकट से निकलने वाली चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए व्यावहारिक उपायों का भी आह्वान किया, जिसमें कहा गया था कि संवाद के मास्को प्रारूप में अफगानिस्तान मुद्दे को सुलझाने के प्रयासों के समन्वय की महत्वपूर्ण क्षमता है।

उन्होंने कहा, ''मास्को में, हमने तालिबान के साथ बातचीत आगे बढ़ाने के साथ-साथ क्षेत्र के सभी हितधारकों के प्रयासों को व्यावहारिक रूप से समन्वयित करने के संबंध में अपने देशों की स्थिति निर्धारित करने के लिए एक अच्छी नींव रखी।''

उन्होंने कहा, ''मुझे उम्मीद है कि आज हम राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए साझा उपायों पर विचार-विमर्श करने में एक और कदम आगे बढ़ाने में सक्षम होंगे।''

कजाखस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति के प्रमुख करीम मासीमोव ने कहा कि अफगानिस्तान के अंदर स्थिति जटिल बनी हुई है।

उन्होंने कहा, ''तालिबान के सत्ता में आने के साथ, देश के अंदर की स्थिति जटिल बनी हुई है। एक प्रभावी सरकारी प्रणाली बनाने में कई बाधाएं हैं।''

ताजिकिस्तान के सुरक्षा परिषद के सचिव नसरुलो रहमतजोन महमूदज़ोदा ने कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति ने क्षेत्र के लिए अतिरिक्त जोखिम खड़ा कर दिया।

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