पैर से लिखने वाले आदिवासी दिव्यांग को कई स्कूलों के चक्कर लगाने के बाद मिला दाखिला
By भाषा | Published: August 9, 2018 05:21 PM2018-08-09T17:21:59+5:302018-08-09T17:21:59+5:30
दोनों हाथों से लाचार होने के कारण पैर से लिखने की विलक्षण प्रतिभा विकसित करने वाले आदिवासी छात्र को कई विद्यालयों के चक्कर लगाने के बाद आखिरकार एक सरकारी स्कूल में दाखिला नसीब हो सका।
इंदौर, नौ अगस्तः मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल बड़वानी जिले में रहने वाले पारसिंह परिहार के लिये कक्षा नौ में दाखिले का संघर्ष आसान नहीं रहा। दोनों हाथों से लाचार होने के कारण पैर से लिखने की विलक्षण प्रतिभा विकसित करने वाले आदिवासी छात्र को कई विद्यालयों के चक्कर लगाने के बाद आखिरकार एक सरकारी स्कूल में दाखिला नसीब हो सका। वह भी तब, जब दिव्यांग बालक ने जिला प्रशासन से मदद की मार्मिक गुहार लगाते हुए कहा कि वह आगे पढ़ना चाहता है। पारसिंह (14) को स्कूल में दाखिला दिलाने के बाद अब प्रशासन उन शैक्षणिक संस्थाओं के खिलाफ जांच कर रहा है जिन्होंने जनजातीय समुदाय के दिव्यांग छात्र को प्रवेश देने से मना किया था।
जिलाधिकारी अमित तोमर ने आज "पीटीआई-भाषा" को बताया, "हमने पारसिंह का दाखिला बड़वानी के एक सरकारी स्कूल में करा दिया है। इसके साथ ही, शिक्षा विभाग के जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी) को आदेश दिया गया है कि वह जांच कर पता लगायें कि संबंधित स्कूलों ने उसे दाखिला देने से किस आधार पर इंकार किया था।" उन्होंने कहा कि मामले की जांच रिपोर्ट के आधार पर उचित कदम उठाये जायेंगे।
अम्बापानी गांव के निवासी पारसिंह को शारीरिक विकृति के कारण स्पष्ट बोलने में भी तकलीफ होती है। अपने गांव के शासकीय मिडिल स्कूल से आठवीं पास करने के बाद वह तमाम प्रयासों के बावजूद किसी भी विद्यालय में नौवीं में दाखिला पाने में नाकाम रहा। थक-हारकर उसने सात अगस्त को जन सुनवाई (आम लोगों द्वारा जिला प्रशासन को अपनी समस्याएं दर्ज कराने की साप्ताहिक सरकारी व्यवस्था) में गुहार लगायी और दिव्यांगता के कारण हुए कथित भेदभाव की आपबीती सुनायी।
आदिवासी छात्र ने अपने आवेदन में कहा, "मैं गरीब परिवार से ताल्लुक रखता हूं और आठवीं में पास होने के बाद आगे पढ़ना चाहता हूं। लेकिन मुझे किसी भी शैक्षणिक संस्था में दाखिला नहीं दिया जा रहा है। मुझे न तो सरकारी, न ही निजी स्कूल में प्रवेश दिया जा रहा है। मास्टरों का कहना है कि मैं पैर से लिखता हूं, इसलिये मुझे प्रवेश नहीं दिया जायेगा।" बहरहाल, इस अर्जी पर सरकारी तंत्र में हुई हलचल के कारण पारसिंह को बड़वानी के शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक दो की कक्षा-नौ में प्रवेश मिल गया है।
स्कूल के प्राचार्य इकबाल आदिल ने बताया, "हमारे स्कूल में दाखिला पाकर पारसिंह बेहद खुश है। वह सामान्य बच्चों के साथ ही पढ़ाई कर रहा है।" उन्होंने कहा, "पारसिंह की लिखावट देखकर कोई भी नहीं कह सकता कि वह पैर से लिखता है। हम स्कूल में उस पर विशेष ध्यान दे रहे हैं।"
हिंदी खबरों और देश-दुनिया की ताजा खबरों के लिए यहां क्लिक करें। यूट्यूब चैनल यहां सब्सक्राइब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट।