Aditya-L1 Mission: 2 सितंबर को सुबह 11.50 बजे श्रीहरिकोटा से लॉन्च, लघु मॉडल के साथ तिरुमाला श्री वेंकटेश्वर मंदिर में इसरो की टीम, देखें वीडियो

By सतीश कुमार सिंह | Published: September 1, 2023 12:56 PM2023-09-01T12:56:51+5:302023-09-01T13:07:24+5:30

Aditya-L1 Mission: सूर्य का अध्ययन करने से संबंधित ‘आदित्य-एल1’ मिशन के बारे में अद्यतन जानकारी दी। प्रक्षेपण का पूर्वाभ्यास और रॉकेट की आंतरिक पड़ताल पूरी हो चुकी है। 

Aditya-L1 Mission 23-hour 40-minute countdown leading launch at 11-50 Hrs September 2 PSLV-C57 ISRO scientists arrive at Tirumala Sri Venkateswara Temple see video | Aditya-L1 Mission: 2 सितंबर को सुबह 11.50 बजे श्रीहरिकोटा से लॉन्च, लघु मॉडल के साथ तिरुमाला श्री वेंकटेश्वर मंदिर में इसरो की टीम, देखें वीडियो

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Highlightsपृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है।सूर्य के अध्ययन के लिए भारत का पहला समर्पित मिशन है।आदित्य-एल1 राष्ट्रीय संस्थानों की भागीदारी वाला पूर्णतः स्वदेशी प्रयास है।

Aditya-L1 Mission:  भारत का पहला सूर्य मिशन (आदित्य-एल1 मिशन) 2 सितंबर को सुबह 11.50 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्पेसपोर्ट से लॉन्च किया जाएगा। ISRO वैज्ञानिकों की टीम आदित्य-एल1 मिशन के लघु मॉडल के साथ तिरुमाला श्री वेंकटेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना करने पहुंचीं।

इसरो द्वारा आदित्य-L1 मिशन लॉन्च के लिए श्रीहरिकोटा में तैयारी चल रही है। आदित्य-L1 का प्रक्षेपण कल, 2 सितंबर को होने वाला है। सूर्य का अध्ययन करने से संबंधित ‘आदित्य-एल1’ मिशन के बारे में अद्यतन जानकारी दी। प्रक्षेपण का पूर्वाभ्यास और रॉकेट की आंतरिक पड़ताल पूरी हो चुकी है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ आदित्य-एल1 मिशन के प्रक्षेपण से पहले, शुक्रवार को सुलुरुपेटा में श्री चेंगलम्मा परमेश्वरी मंदिर गए और मिशन की सफलता के लिए पूजा-अर्चना की। मंदिर के अधिकारियों ने बताया कि सोमनाथ ने सुबह साढ़े सात बजे मंदिर पहुंचकर पूजा-अर्चना की।

संवाददाताओं से बातचीत में इसरो प्रमुख ने बताया कि आदित्य मिशन का प्रक्षेपण शनिवार को पूर्वाह्न 11 बजकर 50 मिनट पर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस मिशन का उद्देश्य सूर्य का अध्ययन करना है। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी सूर्य वेधशाला मिशन के बाद आने वाले दिनों में एलवी-डी3 और पीएसएलवी सहित कई अन्य उपग्रहों का प्रक्षेपण करेगी।

चंद्रयान-3 मिशन के बारे में सोमनाथ ने कहा कि सभी चीजें ठीक हैं तथा काम जारी है। चेंगलम्मा परमेश्वरी मंदिर के कार्यकारी अधिकारी श्रीनिवास रेड्डी ने को बताया कि बीते करीब 15 साल से, रॉकेट के प्रक्षेपण से पहले इसरो के अधिकारियों का इस मंदिर में आना एक परंपरा बन गई है। चंद्रयान-3 मिशन की पूर्वसंध्या पर भी सोमनाथ मंदिर आए थे।

आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को सूर्य के परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और एल1 (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है। यह सूर्य के अध्ययन के लिए भारत का पहला समर्पित मिशन है।

जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ऐसे समय अंजाम देने जा रहा है जब हाल ही में इसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराकर देश को गौरवान्वित करने वाला इतिहास रच दिया है। आदित्य-एल1 को पीएसएलवी-सी57 रॉकेट के माध्यम से प्रक्षेपित किया जाएगा। इसरो ने आज एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, "प्रक्षेपण की तैयारियां प्रगति पर हैं।

प्रक्षेपण का पूर्वाभ्यास-रॉकेट की आंतरिक पड़ताल पूरी हो गई है।" आदित्य-एल1 मिशन का उद्देश्य ‘एल1’ के चारों ओर की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है। इसमें विभिन्न तरंग बैंडों में सूर्य के प्रकाशमंडल, वर्णमंडल और सबसे बाहरी परत-परिमंडल का निरीक्षण करने के लिए सात उपकरण लगे होंगे। इसरो के एक अधिकारी ने कहा, "आदित्य-एल1 राष्ट्रीय संस्थानों की भागीदारी वाला पूर्णतः स्वदेशी प्रयास है।"

वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि दो सितंबर को इसरो द्वारा प्रक्षेपित किए जाने वाले भारत के पहले सौर मिशन आदित्य-एल1 के माध्यम से एकत्र किए गए आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद सूर्य के अतीत, वर्तमान और भविष्य के बारे में नयी जानकारी मिल सकेगी। आने वाले दशकों और सदियों में पृथ्वी पर संभावित जलवायु परिवर्तन को समझने के लिए यह आंकड़े महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।

सौर भौतिक विज्ञानी प्रोफेसर दीपांकर बनर्जी ने कहा कि आदित्य एल-1 पहले लैग्रेंजियन बिंदु तक जाएगा जो पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है और फिर वह उस डेटा को प्रसारित करेगा जिसका अधिकांश भाग पहली बार अंतरिक्ष में किसी मंच से वैज्ञानिक समुदाय के पास आएगा।

इस अंतरिक्ष यान को सौर कोरोना (सूर्य की सबसे बाहरी परतों) के दूरस्थ अवलोकन और एल1 (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंज बिंदु) पर सौर वायु के यथास्थिति अवलोकन के लिए तैयार किया गया है। एल1 पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है। लैग्रेंज बिंदु ऐसे संतुलन बिंदु को कहा जाता है जहां सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वीय बल बराबर होते हैं।

आदित्य एल1 को सूर्य-पृथ्वी की व्यवस्था के लैग्रेंज बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखा जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है। यहां से सूर्य को बिना किसी व्यवधान या ग्रहण के लगातार देखने का लाभ मिलेगा। बनर्जी, उस टीम का हिस्सा हैं जिसने 10 साल से अधिक समय पहले मिशन की योजना पर काम किया था। 

Web Title: Aditya-L1 Mission 23-hour 40-minute countdown leading launch at 11-50 Hrs September 2 PSLV-C57 ISRO scientists arrive at Tirumala Sri Venkateswara Temple see video

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