अयोध्या में राम मंदिर के लिए आधा शरीर गवाने वाले अचल की PM से गुहार
By अनुराग.श्रीवास्तव@लोकमत.इन | Published: January 10, 2024 05:57 PM2024-01-10T17:57:18+5:302024-01-10T18:00:18+5:30
अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए 1992 में कार सेवक बने भोपाल के अचल सिंह मीना ने पीएम मोदी और सीएम मोहन से गुहार लगाई है। अचल ने 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में अयोध्या के दर्शन करने की गुहार लगाई है।
6 दिसंबर 1992 का वो दिन...जब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का सपना लिए हजारों रामभक़्त अयोध्या उमड़े थे...उन हजारों की भीड़ में राम मंदिर निर्माण का सपना लिए पहुंच भोपाल के अचल सिंह मीना का भी एक चेहरा था। 30 साल का बांका राम मंदिर निर्माण की मशाल लेकर कार सेवकों के साथ अयोध्या की धरती पर अलख जगा रहा था। लेकिन अचल सिंह मीना विवादित ढांचे के गिरने का शिकार हो गया। आलम यह था कि पहले घर वालों ने अचल सिंह को खोजा तब एक महीने बाद पता चला कि अचल पर विवादित ढांचा का एक हिस्सा गिरने के कारण वो जख्मी है। और अस्पताल में भर्ती हैं।
जब अचल सिंह की आंख खुली तो उनका आधा शरीर खराब हो चुका था। यानी की कमर के नीचे के हिस्से ने काम करना बंद कर दिया था। और अब इस दर्द को बीते 30 सालों से अचल सिंह जिंदगी का हिस्सा बनाकर जी रहे है।
लेकिन अब अचल की आंखों में इस बात की खुशी है की तीन दशक पहले जिस राम मंदिर के निर्माण को लेकर उन्होंने अयोध्या की तरफ कूच किया था आज वह सपना साकार हो रहा है। अयोध्या में 22 जनवरी को रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है लेकिन अचल सिंह को इस बात का भी दर्द है की जिस राम मंदिर के सपने को साकार होने की उम्मीद के साथ अपनी जिंदगी के कीमती समय कमजोर शरीर को ढोने में बिताया। उसके प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए अचल सिंह को कोई न्योता नहीं मिला। अचल सिंह की इच्छा की रामलला के दर्शन और अयोध्या में जाने का उनका सपना पूरा हो। इसके लिए अचल सिंह ने सीएम मोहन से लेकर पीएम मोदी तक गुहार लगाइ है। लेकिन अब तक अचल को अयोध्या का न्योता नहीं मिला है।
हाथ में राम की तस्वीर लिए अचल अब उन पलों का इंतजार कर रहे हैं जब अयोध्या में रामलला विराजित होंगे और भले सीधे ना सही लेकिन सीधी तस्वीरें के जरिए अचल सिंह उन पलों के साक्षी बनेंगे।
अचल ने राजधानी के सुआ खेड़ा गांव में 22 जनवरी के दिन राम भजन का कार्यक्रम रखा है राम मंदिर में गांव वालों के साथ वह रामधुन गाएंगे।
अचल सिंह आज अपने पैरों पर खड़े नहीं हो सकते हैं। अचल सिंह के कमर के नीचे का हिस्सा उनका साथ नहीं देता है अचल सिंह को यदि कोई जरूरी काम निपटाना हो तो उसके लिए सहारा लेना पड़ता है ।लेकिन सालों का यह दर्द अब उन जख्मों पर मरहम लगाने के समान है जो राम मंदिर के निर्माण के ऐतिहासिक पलों को समेटने तैयार है।