दिल्ली में करीब 24000 मूर्तियों का विसर्जन कृत्रिम तालाबों में किया गया, यमुना नदी में रुका, सरकारी रिपोर्ट में खुलासा

By भाषा | Published: January 7, 2020 08:42 PM2020-01-07T20:42:18+5:302020-01-07T20:42:18+5:30

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा 2015 में मूर्तियों के विसर्जन पर रोक लगाये जाने के बाद ऐसा पहली बार हुआ जब श्रद्धालुओं ने मूर्तियों को कृत्रिम तालाबों में विसर्जित किया। गणेश चतुर्थी पर 116 कृत्रिम तालाब और गणेश चतुर्थी पर 89 तालाब बनाये गए थे।

About 24000 idols were immersed in artificial ponds in Delhi, stopped in Yamuna river, government report revealed | दिल्ली में करीब 24000 मूर्तियों का विसर्जन कृत्रिम तालाबों में किया गया, यमुना नदी में रुका, सरकारी रिपोर्ट में खुलासा

इसमें कहा गया, ‘‘यह दिखाता है कि यमुना में मूर्तियों के विसर्जन पर रोक नदी को प्रदूषित होने से रोकने में प्रभावी हो सकती है।’’

Highlightsगणेश चतुर्थी और दुर्गा पूजा पर दो लाख लोगों द्वारा करीब 24000 मूर्तियां विसर्जित की गई।त्योहारों के बाद, सभी तालाबों को दिल्ली जल बोर्ड ने खाली किया और संबंधित नगर निगम द्वारा साफ किया गया।

पिछले वर्ष गणेश चतुर्थी और दुर्गा पूजा के अवसर पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में करीब 24000 मूर्तियों का विसर्जन कृत्रिम तालाबों में किया गया। यह जानकारी एक सरकारी रिपोर्ट में दी गई।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा 2015 में मूर्तियों के विसर्जन पर रोक लगाये जाने के बाद ऐसा पहली बार हुआ जब श्रद्धालुओं ने मूर्तियों को कृत्रिम तालाबों में विसर्जित किया। गणेश चतुर्थी पर 116 कृत्रिम तालाब और गणेश चतुर्थी पर 89 तालाब बनाये गए थे।

मंडलायुक्त कार्यालय ने एनजीटी द्वारा गठित यमुना निगरानी कमेटी को सौंपी गई एक रिपोर्ट में कहा, ‘‘गणेश चतुर्थी और दुर्गा पूजा पर दो लाख लोगों द्वारा करीब 24000 मूर्तियां विसर्जित की गई। त्योहारों के बाद, सभी तालाबों को दिल्ली जल बोर्ड ने खाली किया और संबंधित नगर निगम द्वारा साफ किया गया।’’

इसमें कहा गया, ‘‘यह दिखाता है कि यमुना में मूर्तियों के विसर्जन पर रोक नदी को प्रदूषित होने से रोकने में प्रभावी हो सकती है।’’ मंडलायुक्त कार्यालय ने कहा कि चूंकि मूर्तियों के ‘हरित’ विसर्जन का यह पहला वर्ष था, इसकी अग्रिम जरूरी जानकारी नहीं दी जा सकी जैसे कौन सी सामग्री का इस्तेमाल किया जाना है, मूर्ति की लंबाई चौड़ाई पर पाबंदी आदि।

रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘इसके साथ ही मूर्तियां बनाने वालों का पंजीकरण भी समय से पूरा नहीं हुआ। इस वर्ष उपयोग की जाने वाली सामग्री और मूर्तियों की लंबाई चौड़ाई पर रोक आदि के बारे में आवश्यक दिशानिर्देश मूर्ति बनाने वालों और पूजा समितियों को प्रसारित किए जाएंगे।’’

कुछ जिलों में कृत्रिम तालाबों में अपर्याप्त पानी की शिकायतों पर उसने कहा कि पर्याप्त जलापूर्ति सुनिश्चित करने के लिए डीजेबी को संवेदनशील बनाया जाएगा। इसमें कहा गया है, ‘‘कुछ जिलों ने तालाब को साफ करने और विसर्जित मूर्तियों को निकालने और उनके निस्तारण का मुद्दा उठाया।

एमसीडी को एक तंत्र लागू करने के बारे में संवेदनशील बनाया जाएगा जिससे तालाबों को नियमित आधार पर साफ करने और मूर्तियों को उससे निकालना सुनिश्चत हो।’’ रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि पिछले वर्ष आसपास के राज्यों से भी लोग मूर्तियों के विसर्जन के लिए दिल्ली आये।

इसमें कहा गया, ‘‘यह अनुरोध किया जाता है कि सभी पड़ोसी राज्यों के सीमांत जिलों को दिल्ली में भीड़ रोकने और यमुना को साफ रखना सुनिश्चित करने के लिए हरित मूर्ति विसर्जन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाए।’’ इससे पहले दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी के एक अध्ययन में यह पता चला कि कृत्रिम तालाब में मूर्तिया विसर्जित करने से 2018 के मुकाबले 2019 में यमुना नदी में प्रदूषण का बोझ ‘‘काफी’’ कम हुआ।

Web Title: About 24000 idols were immersed in artificial ponds in Delhi, stopped in Yamuna river, government report revealed

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