ब्रिटिश सांसद डी अब्राहम को हवाई अड्डे से वापस भेजने पर अभिषेक मनु सिंघवी और शशि थरूर आपस में भिड़े, कांग्रेस हुई मौन
By शीलेष शर्मा | Published: February 18, 2020 07:46 PM2020-02-18T19:46:41+5:302020-02-18T19:46:41+5:30
लेबर पार्टी की सांसद अब्राहम के भारत में प्रवेश पर रोक लगाने और उनका वीजा रद्द करने पर सरकार की दलील है कि उनको जो वीजा दिया गया था वो बिजेनस वीजा था. जिसके तहत उनको मित्रों और रिश्तेदारों से मिलने की अनुमति नहीं थी.
ब्रिटिश लेबर पार्टी की सांसद डी. अब्राहम को हवाई अड्डे से वापस लौटाने को लेकर कांग्रेस के नेता आपस में ही भिड़ रहे हैं. पार्टी के सांसद शशि थरूर ने जहां अब्राहम को डिपोर्ट करने की आलोचना की वहीं दूसरी ओर पार्टी के ही राज्यसभा सदस्य अभिषेक मनु सिंघवी ने सरकार का समर्थन करते हुए अब्राहम को भारत से वापस लौटाने के फैसले का स्वागत किया.
सिंघवी ने लिखा कि यह जरूरी था क्योंकि यह सांसद पाकिस्तान का छद्म प्रतिनिधित्व करती हैं और इनके पाकिस्तान सरकार तथा आईएसआई से तार जुड़े होने के संकेत है. सिंघवी का मानना था कि यदि कोई व्यक्ति भारत की अखंडता पर हमला करने की कोशिश करता है तो उसे फेंका जाना चाहिए.
कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं के बीच छिड़ी इस जंग में पार्टी पूरी तरह खामोश है. पार्टी ने अभी तक ना तो ब्रिटिश सांसद को वापस भेजने का समर्थन किया है और ना ही उसका विरोध.
आज जब पार्टी के प्रवक्ता गौरव बल्लभ से इस बावत पूछा गया तो उन्होंने गोलमोल जबाव देते हुए कहा कि पहले सरकार बताए कि अब्राहम को डिपोर्ट करने के क्या कारण थे, भारत को उनसे क्या खतरा था, जब तक सरकार इन प्रश्नों का जवाब नहीं देती तब तक पार्टी किसी भी प्रतिक्रिया को देने में समर्थ नहीं है. सिंघवी और थरूर के बयान पर उनकी निजी राय बताते हुए प्रवक्ता ने कहा कि यह एक लोकतांत्रिक पार्टी है जिसमें सभी को राय रखने का अधिकार है.
सिंघवी का ट्विट आने के बाद थरुर ने रिट्वीट किया और लिखा सिंघवी के असहमत होने का मैं स्वागत करता हूं लेकिन बताना चाहता हूं कि लोकतंत्र कैसे चलता है. ईमानदारी से विभिन्न मुद्दों पर विचारों में मतभिन्नता ही इसकी पहचान है. कांग्रेस एक लोकतांत्रिक पार्टी है.
लेबर पार्टी की सांसद अब्राहम के भारत में प्रवेश पर रोक लगाने और उनका वीजा रद्द करने पर सरकार की दलील है कि उनको जो वीजा दिया गया था वो बिजेनस वीजा था. जिसके तहत उनको मित्रों और रिश्तेदारों से मिलने की अनुमति नहीं थी. उनको सलाह दी गयी कि वो भारतीय उच्चायोग में नये सिरे से वीजा के लिए आवेदन करे. गृहमंत्रालय का कहना था कि अब्राहम को समय से ही पूर्व इस बात की जानकारी दे दी गयी थी कि उनके वीजा को रद्द किया जा रहा है.
सरकार ने यह भी दलील दी है कि भारत के राष्ट्रीय हितों के विरुद्ध उनकी गतिविधियों को देखते हुए उनके वीजा को रद्द किया गया. गौरतलब है कि अब्राहम को 7 अक्टूबर 2019 को ई बिजेनस वीजा जारी किया गया था जो पाच अक्टूबर 2020 तक वैध था. जिसका उद्देश्य केवल बिजनेस बैठकों में शामिल होना था. 14 फरवरी 2020 को अब्राहम का ई वीजा रद्द कर दिया गया.
अब्राहम को लेकर भारत विरोधी होने को लेकर जो सवाल उठ रहे है जिसकी ओर सिंघवी ने इशारा किया है और उन्हें छद्म पाकिस्तान का एजेंट बताया है ने ना केवल अनुच्छेद 370 का विरोध किया बल्कि इससे पूर्व भी वे ब्रिट्रेन के अंदर और बाहर जिसमें संयुक्त राष्ट्र भी शामिल है में भारत के खिलाफ आवाज़ उठाती रहीं है. जिसके तहत कश्मरियों की आजादी, उनकी रायशुमारी, जैसे मुद्दे शामिल है.