आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के शपथ ग्रहण समारोह में किसी मुख्यमंत्री या अन्य राज्यों के नेताओं को आमंत्रित नहीं करने पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे थे। इस मामले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए मनीष सिसोदिया ने जवाब दिया है। मनीष सिसोदिया ने कहा है कि ये हमारी आम आदमी पार्टी की सरकार है, इसलिए इसमें हमनें आम लोगों को न्योता देने पर ज्यादा जोर दिया है। स्कूल के टीचरों को आमंत्रित करने पर पीसी में मनीष सिसोदिया ने कहा, शपथ ग्रहण समारोह में सिर्फ दिल्ली के स्कूल के टीचरों को नहीं बल्कि डॉक्टरों, पत्रकारों, बस ड्राइवर, मेट्रो कर्मचारी ऑटो ड्राइवर, कैब चालकों, दुकानदारों, बिजनेसमै, पुलिस, छात्र... वो हर लोग जिनसे दिल्ली को चलाने में हमें मदद मिलती है या जिनसे दिल्ली चलती है...सबको आमंत्रित किया गया है।
शपथ ग्रहण समारोह पर मनीष सिसोदिया ने कहा, 50 विशेष मेहमान मुख्यमंत्री जी के साथ मंच साझा करेंगे, ये मेहमान होंगे 'दिल्ली के निर्माता' जिनके साथ पिछले 5 साल मुख्यमंत्री जी ने मिलकर दिल्ली को बनाया है और जिनके साथ मिलकर अगले 5 साल भी दिल्ली को बढ़ाना है, चलाना है।
मनीष सिसोदिया ने कहा, इन मेहमानों में अध्यापक, स्कूल के चपरासी, छात्र, मोहल्ला क्लीनिक डॉक्टर, बाइक एंबुलेंस का राइडर,फायर फाइटर के परिवार, सफाई कर्मचारी, बस मार्शल, बस ड्राइवर, कंडक्टर, मेट्रो ड्राइवर, सिग्नेचर ब्रिज बनाने वाले आर्किटेक्चर, आंगनवाड़ी कर्मचारी, किसान शामिल होंगे।
मनीष सिसोदिया ने कहा, जिन लोगों ने दिल्ली के लिए काम किया है, वही लोग दिल्ली के सीएम के शपथ ग्रहण में शामिल होने के हकदार है। शपथ ग्रहण समारोह में दिल्ली के चीफ गेस्ट भी इन्ही वालों में से होने वाले हैं करीब-करीब।
केजरीवाल 16 फरवरी को यहां रामलीला मैदान में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। आप को दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में 62 सीटें मिली हैं और बीजेपी को 8 सीटें मिली है। सीएए विरोध के बीच हुए इस चुनाव में कांग्रेस का सूफड़ा साफ हो गया।
आप की दिल्ली इकाई के संयोजक गोपाल राय ने इस मामले पर कहा था, ‘‘कोई मुख्यमंत्री या अन्य राज्यों के किसी नेता को इस समारोह में आमंत्रित नहीं किया जाएगा, यह केवल दिल्ली तक सीमित रहेगा।’’ उन्होंने कहा कि केजरीवाल दिल्ली के लोगों के बीच शपथ लेंगे, जिन्होंने उनके नेतृत्व में एक बार फिर विश्वास दिखाया है। उन्होंने कहा, ‘‘2013 और 2015 के शपथ ग्रहण समारोहों में भी अन्य राज्यों के नेताओं और मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित नहीं किया गया था।