उत्तराखंड आपदा का एक सप्ताह : अपने बच्चों की बाट जोह रही है एक मां

By भाषा | Updated: February 14, 2021 17:12 IST2021-02-14T17:12:50+5:302021-02-14T17:12:50+5:30

A week of Uttarakhand disaster: A mother is waiting for her children | उत्तराखंड आपदा का एक सप्ताह : अपने बच्चों की बाट जोह रही है एक मां

उत्तराखंड आपदा का एक सप्ताह : अपने बच्चों की बाट जोह रही है एक मां

(अरुण शर्मा)

चमोली (उत्तराखंड), 14 फरवरी कहते हैं ना कि मां, मां होती है। मां मनुष्य की हो या जानवर की, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता, वह अपने बच्चे के लिए कुछ भी कर सकती है। कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है उत्तराखंड के चमोली जिले में जहां ऋषि गंगा, अलकनंदा में आयी बाढ़ के कारण लापता हुए अपने बच्चों की तलाश में पिछले सात दिन से एक कुतिया इंतजार कर रही है और इस आशा से बचावकर्मियों के पास बनी हुई है कि शायद उसके बच्चे भी बचा लिए जाएं।

अलकनंदा नदी में ठीक एक सप्ताह पहले अचानक आयी बाढ़ के बाद सुरंग में फंसे लोगों को सुरक्षित बचाए जाने की आशा में इंतजार कर रहे लोगों के लिए घंटे दिन में और अब दिन सप्ताह में बदल गए हैं। आपदा में पूरी तरह बर्बाद हो गई दो पनबिजली परियोजनाओं में फंसे अपने परिजनों के इंतजार में ग्रामीण और रिश्तेदार वहां इंतजार कर रहे हैं और इन इंतजार करने वालों में भूरे रंग की एक अनाम कुतिया भी शामिल है। यह मां भी अपने बच्चों का इंतजार कर रही है।

अधिकारियों ने बताया कि अभी तक 200 से ज्यादा लोग लापता हैं, 38 शव बरामद हुए हैं और दो लोगों को सुरक्षित बचाया गया है। रविवार की सुबह पांच शव बरामद हुए। इनमें से चमोली जिले के रैंणी गांव से और तीन शव एनटीपीसी के तपोवन-विष्णुगाड पनबिजली परियोजना की मलबे से भरे सुरंग से बरामद किए गए हैं। इस सुरंग में पिछले एक सप्ताह से करीब 30 लोग फंसे हुए हैं।

राहत कर्मियों का कहना है कि आपदा वाले दिन से ही यह कुतिया रैंणी गांव में ऋषि गंगा बिजली परियोजना के पास इंतजार कर रही है।

गांववालों का कहना है कि कुतिया के तीन-चार बच्चे थे जो सात फरवरी को ऊपर से अचानक आए पानी के साथ ही बह गए।

अपने बच्चों के इंतजार में वह आसपास के क्षेत्रों को सूंघ रही है और वहां राहत कार्य में जुटे विभिन्न एजेंसियों के लोगों की बाट जोह रही है। शायद उसे आशा है कि बचाव दल उसके बच्चों को भी बाहर निकालेगा।

गांव के लोगों ने बचाव दल को बताया कि इस कुतिया ने कई दिन से कुछ नहीं खाया है। उन्होंने कई बार उसे भोजन देने की कोशशि की लेकिन वह मुंह फेर लेती है। आपदा वाले दिन से वह दिन-रात सिर्फ रो रही है, कराह रही है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: A week of Uttarakhand disaster: A mother is waiting for her children

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे