पश्चिम बंगाल के 86% मर्दों पर मंडरा रहा बाप नहीं बन पाने का खतरा, अध्ययन से हुआ चिंताजनक खुलासा
By रुस्तम राणा | Published: November 28, 2022 03:19 PM2022-11-28T15:19:00+5:302022-11-28T15:33:21+5:30
अध्ययन में पाया गया है कि पूर्वी राज्य के मर्दों के शुक्राणुओं की सेहत ठीक नहीं है, जिससे महिलाएं गर्भवती नहीं हो पाती हैं। अध्ययन के मुताबिक खराब शुक्राणु के कारण फिमेल एग को फर्टिलाइज करने की संभावना घट जाती है।
कोलकाता: पश्चिम बंगाल के पुरुषों से जुड़ा एक ऐसा अध्ययन सामने आया है जो चिंताजनक है। अध्ययन की रिपोर्ट से पता चलता है कि पश्चिम बंगाल में 86 फीसदी मर्दों पर बाप नहीं बन पाने का खतरा मंडरा रहा है, जो अन्य राज्यों की अपेक्षा सर्वाधिक है। यहां मर्दों को बच्चे पैदा करने में सबसे ज्यादा परेशानी आ रही है।
अध्ययन में पाया गया है कि पूर्वी राज्य के मर्दों के शुक्राणुओं की सेहत ठीक नहीं है, जिससे महिलाएं गर्भवती नहीं हो पाती हैं। अध्ययन के मुताबिक खराब शुक्राणु के कारण फिमेल एग को फर्टिलाइज करने की संभावना घट जाती है। स्पर्म की खराब सेहत के लिए मुख्य रूप से तनाव, खानपान और खराब दिनचर्या जिम्मेदार हैं।
पुरुषों से जुड़ा यह गंभीर अध्ययन साल 2018 और 2021 के बीच पूरे देश में किया गया था। 64,452 जोड़ों पर की गई स्टडी से पता चला है कि पश्चिम बंगाल के 86 फीसदी मर्द तीन मुख्य स्पर्म असमान्यताओं में से कम से कम एक के शिकार हैं। ये स्पर्म असमान्यताएं बांझपन के लिए जिम्मेदार हैं।
साल 2022 जनवरी से अक्टूबर तक राज्य के दो हजार से अधिक (2179) जोड़े ने आईवीएफ (In-Vitro Fertilisation) ट्रीटमेंट की मांग की। स्टडी के मुताबिक इनमें से 61 फीसदी जोड़े ऐसे थे, जिन्हें पुरुष के स्पर्म स्वस्थ नहीं होने के चलते बच्चा नहीं हो रहा था।
देश भर में सर्वे करने वाली इंदिरा आईवीएफ के सह-संस्थापक और प्रबंध निदेशक नितिज मुर्डिया ने कहा कि बंगाल में पुरुषों का एक बहुत बड़ा प्रतिशत शुक्राणु असामान्यता निर्धारित करने वाले तीन मापदंडों में से एक से पीड़ित है। ये मापदंड शुक्राणुओं की संख्या, गतिशीलता और आकृति हैं।