भारतीय सेना को 70 हजार नई सिग सॉयर असॉल्ट राइफलें मिलेंगीं, 800 करोड़ के सौदे को मंजूरी मिली
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: December 13, 2023 02:32 PM2023-12-13T14:32:57+5:302023-12-13T14:34:39+5:30
चीन के साथ मौजूदा सैन्य गतिरोध और जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी घुसपैठ से निपटने के लिए चल रही गहन आतंकवाद विरोधी पहल को देखते हुए यह मंजूरी बहुत महत्वपूर्ण है। भारतीय सेना पहले ही 70,000 से अधिक अमेरिकी निर्मित असॉल्ट राइफलों का इस्तेमाल कर रही है।
नई दिल्ली: भारतीय सेना की ऑपरेशनल क्षमता और आतंक के खिलाफ जारी लड़ाई को और धार देने के लिए सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है। रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना के लिए 70,000 से अधिक सिग सॉयर एसआईजी-716आई असॉल्ट राइफलों के अधिग्रहण को हरी झंडी दे दी है। इस सौदे की कीमत 800 करोड़ रुपये से अधिक है।
सिग सॉयर एक अमोरिकी असाल्ट राइफल है और भारतीय सेना मौजूदा समय में भी इसका इस्तेमाल कर रही है। इस खरीद के लिए मंजूरी रक्षा मंत्रालय की एक उच्च स्तरीय बैठक के दौरान दी गई, जिसमें प्रमुख सैन्य अधिकारी शामिल हुए। मौजूदा सिग सॉयर राइफलों को आतंकवाद विरोधी अभियानों में शामिल जवानों को दिया गया है। नई राइफलें पाक और चीन सीमा पर तैनात जवानों और विशेष अभियान में शामिल सैनिकों को मुहैया कराई जाएगी।
चीन के साथ मौजूदा सैन्य गतिरोध और जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी घुसपैठ से निपटने के लिए चल रही गहन आतंकवाद विरोधी पहल को देखते हुए यह मंजूरी बहुत महत्वपूर्ण है। भारतीय सेना पहले ही 70,000 से अधिक अमेरिकी निर्मित असॉल्ट राइफलों का इस्तेमाल कर रही है।
इस सौदे से पहले फरवरी 2019 में अमेरिकी कंपनी से 72,400 SiG-716i राइफलों की खरीद के सौदे को अंतिम रूप दिया गया था। इनमें से 66,400 सेना को, 4,000 वायु सेना को और 2,000 नौसेना को आवंटित किए गए थे।
सिग सॉयर एसआईजी-716आई विशेष असाल्ट राइफल है। इसके 7.62 x 51 मिमी कैलिबर, उच्च रेंज इसे वर्तमान में सेवा में मौजूद INSAS राइफल या AK-47 से बेहतर हथियार बनाते हैं। पिछली खरीद के बाद प्रत्येक पैदल सेना बटालियन में कम से कम दो कंपनियां SiG से सुसज्जित की गई थीं।
लगातार जारी है सेना का ताकत बढ़ाने का काम
हाल के दिनों में सेनाओं को मजबूत करने के लिए कई फैसले किए गए हैं। स्वीडन की प्रमुख हथियार निर्माता कंपनी 'साब' भारत में एक निर्माण इकाई स्थापित करेगी जो कंधे से दागे जाने वाले रॉकेट बनाएगी। कार्ल-गुस्ताफ एम4 कंधे सा दागे जाने वाली एक विशेष रायफल है जिसका भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। स्थानीय उत्पादन शुरू होने पर इन्हें निर्यात भी किया जा सकता है। यह हथियार बहुउद्देशीय है और इसका उपयोग 1,000 मीटर तक की दूरी पर लक्ष्यों की एक विस्तृत श्रृंखला को नष्ट करने के लिए किया जा सकता है।
इसके अलावा भारत और अमेरिका ने स्ट्राइकर बख्तरबंद लड़ाकू वाहनों का संयुक्त रूप से उत्पादन करने का फैसला भी किया है। स्ट्राइकर बख्तरबंद लड़ाकू वाहनों का संयुक्त रूप से उत्पादन करने का समझौता ऐसे समय हुआ है जब पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच तीन साल से अधिक समय से तनाव चल रहा है।