नागपुर में 67 वर्षीय ‘कोरोना योद्धा’ की मौत, सहयोगी ने कहा- सरकार ने नहीं की मदद

By भाषा | Updated: June 5, 2021 17:28 IST2021-06-05T17:28:06+5:302021-06-05T17:28:06+5:30

67-year-old 'Corona warrior' dies in Nagpur, colleague said – government did not help | नागपुर में 67 वर्षीय ‘कोरोना योद्धा’ की मौत, सहयोगी ने कहा- सरकार ने नहीं की मदद

नागपुर में 67 वर्षीय ‘कोरोना योद्धा’ की मौत, सहयोगी ने कहा- सरकार ने नहीं की मदद

नागपुर, पांच जून कोरोना वायरस संक्रमण से जान गंवाने वाले 1300 से ज्यादा लोगों के शवों के अंतिम संस्कार में मदद करने वाले 67 वर्षीय सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी की कोविड-19 से मौत हो गयी। उनके सहयोगी ने कहा कि ‘कोरोना योद्धा’ को समय पर इलाज में मदद नहीं मिल पायी।

केंद्र सरकार के सेवानिवृत्त कर्मचारी चंदन निमजे की 26 मई को मौत हो गयी।

निमजे ने ‘किंग कोबरा आर्गेनाइजेशन यूथ फोर्स’ के सदस्यों के साथ मिलकर महामारी शुरू होने के बाद से संक्रमण से जान गंवाने वाले 1300 से ज्यादा लोगों के शवों का अंतिम संस्कार कराया। नागपुर के महापौर ने हाल में निमजे को ‘कोरोना योद्धा’ बताते हुए उन्हें सम्मानित किया था।

समूह के संस्थापक अरविंद रतूड़ी ने शनिवार को पीटीआई-भाषा को बताया कि निमजे, उनकी पत्नी, बहन और दो बेटे दो मई को संक्रमित हो गए थे।

निमजे को एक अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां एक लाख रुपये नकद जमा कराने को कहा गया और कार्ड से रकम लेने से मना कर दिया।

रतूड़ी ने बताया कि निमजे को घर ले आया गया और पांच मई को दूसरे अस्पताल में भर्ती कराया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि नागपुर नगर निगम के अधिकारियों ने कॉल का जवाब नहीं दिया।

रतूड़ी ने बताया कि छह मई को परिवार के दूसरे सदस्यों को भी एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। निमजे की हालत बिगड़ने पर अस्पताल ने उनसे टोसिलिजुमैब दवा का इंतजाम करने को कहा।

रतूड़ी ने कहा कि संगठन और इसके काम से वाकिफ दिल्ली के एक व्यक्ति ने बिना पैसे लिए दवा की चार शीशियां भेज दी।

उन्होंने बताया कि सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 26 मई को निमजे के लिए उन्होंने एक बेड का इंतजाम किया लेकिन वहां स्थानांतरित किए जाने के पहले ही उनकी मौत हो गयी।

रतूड़ी ने बताया कि अगर निमजे को सही समय पर इलाज मिला होता तो उनकी जान बच जाती लेकिन मकान को सील करने के अलावा निगम अधिकारियों ने परिवार की किसी तरह की मदद नहीं की।

उन्होंने कहा, ‘‘राज्य सरकार, एनएमसी और जिला प्रशासन द्वारा दिखायी गयी लापरवाही के लिए मैं बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में एक याचिका दाखिल करूंगा।

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