कठुआ-उन्नाव गैंगरेप: दुनिया भर के 600 शिक्षाविदों का PM मोदी को खुला पत्र, चुप्पी पर उठाए सवाल
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: April 22, 2018 08:27 AM2018-04-22T08:27:57+5:302018-04-22T08:27:57+5:30
कठुआ-उन्नाव गैंगरेप को लेकर देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी नाराजगी देखी जा रही है। पीएम मोदी पर गुस्सा निकालते हुए उनको खुला खुत लिखा गया।
नई दिल्ली, 22 अप्रैल: कठुआ-उन्नाव गैंगरेप को लेकर देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी नाराजगी देखी जा रही है। पीएम मोदी पर गुस्सा निकालते हुए उनको खुला खुत लिखा गया। खबर के अनुसार दुनिया भर के 600 से ज्यादा शिक्षाविदों और विद्वानों ने इन घटनाओं के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला खत लिखा है।
देश में जिस तरह से उन्नाव व कठुआ में रेप की घटनाओं के बाद से एक के बाद एक घटनाएं हो रही हैं उससे नाराजगी का इजहार करते हुए शिक्षाविदों ने प्रधानमंत्री मोदी पर देश में बने गंभीर हालात पर चुप्पी साधे रहने का आरोप लगाया है। ये खत पीएम को तब पेश किया गया जब केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 वर्ष और उससे कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार के मामले में दोषी पाए जाने पर मृत्युदंड सहित कड़े दंड के प्रावधान वाले अध्यादेश को मंजूरी दी।
पूर्व नौकरशाहों ने पीएम नरेंद्र मोदी को लिखा खत, कहा- रेप पीड़ितों के परिवारों से माँगें माफी
खत में क्या है
प्रधानमंत्री को संबोधित पत्र में कहा गया है कठुआ-उन्नाव और अन्य घटनाओं को लेकर गुस्से का इजहार किया है। खत में लिखा है कि देशभर नें गंभीर हालात हो रहे हैं ऐसे में पीएम मोदी चुप्पी क्यों साधे हुए हैं। लिखा गया है कि हमने देखा है कि देश में बने गंभीर हालत पर और सत्तारूढ़ों के हिंसा से जुड़ाव के निर्विवाद संबंधों को लेकर आपने लंबी चुप्पी साध रखी है। इस खत में न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय, ब्राउन विश्वविद्यालय, हार्वर्ड, कोलंबिया विश्वविद्यालय और विभिन्न आईआईटी के शिक्षाविदों और विद्वानों ने साइन किए हैं। खत के जरिए उन्होंने अपना आक्रोश व्यक्त करते हुए पीएम मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं और उनसे जवाब मांगा है।
वहीं, इससे पहले कठुआ और उन्नाव रेप पर रविवार (16 अप्रैल) को देश के 49 रिटायर नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला खत लिखा था। इस खत में कठुआ और उन्नाव गैंग रेप के बारे में कहा गया था। खत में लिखा गया है कि कठुआ और उन्नाव की दर्दनाक घटनाएं दिखाती हैं कि सरकार अपनी बहुत ही मूल ज़िम्मेदारियों को पूरा करने में भी नाकाम रही है।
ये देश का सबसे काला दौर है और इससे निपटने में सरकार और राजनीतिक पार्टियों की कोशिश बहुत ही कम और कमज़ोर है। खत में आगे लिखा गया है कि नागरिक सेवाओं से जुड़े हमारे युवा साथी भी लगता है अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में नाकाम रहे हैं। इस पत्र में प्रधानमंत्री से कहा गया है कि वो कठुआ और उन्नाव में पीड़ित परिवारों से माफी मांगें और मामलों की फास्ट ट्रैक जांच करवाएं।
खत में यह भी मांग की गई है कि पीएम नफरत भरे भाषणों और अपराधों से जुड़े लोगों को अपनी सरकार से हटाएं और इस पूरे मसले पर एक सर्वदलीय बैठक बुलाएं। खत में कहा गया है सरकार इस सबको देखकर कहा जा सकता है कि असफल रही है। रविवार को देशवासियों को मजबूरी में सड़कों पर उतरकर न्याय की मांग करनी पड़ी है। इस खत के जरिए सरकार से कई तरह के नौकरशाहों ने सवाल किए हैं।