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उत्तरी दिल्ली में 4,500 कारतूस बरामद, छह गिरफ्तार

By भाषा | Updated: February 18, 2021 19:54 IST

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नयी दिल्ली,18 फरवरी पुलिस ने अवैध हथियारों की आपूर्ति करने वाले गिरोह के छह सदस्यों को गिरफ्तार करके उनके कब्जे से 4,500 कारतूस बरामद किए गए हैं।

पुलिस ने बृहस्पतिवार को बताया कि आरोपियों की पहचान रमेश कुमार (46), दीपांशु मिश्रा (35) इकराम (40), अकरम (42), मनोज कुमार (39) और अमित राव (33) के रूप में की गई है।

पुलिस ने दावा किया कि यह राष्ट्रीय राजधानी में मिले कारतूसों के सबसे बड़े जखीरों में से एक है।

पुलिस उपायुक्त (विशेष प्रकोष्ठ) संजीव कुमार यादव ने बताया कि दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने छह लोगों को गिरफ्तार करके उनके कब्जे से 4,500 कारतूस बरामद किए हैं।

यादव ने बताया कि इस मामले में पहली गिरफ्तारी 14 फरवरी को की गई थी। आउटर रिंग रोड पर मुकुंदपुर पुल के निकट एक जाल बिछाया गया। रमेश वहां आया और उसने दीपांशु को प्लास्टिक का सफेद थैला दिया।

वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दोनों को कुछ दूरी तक पीछा करने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया और उनके पास से 4,000 अवैध कारतूस मिले।

उन्होंने बताया कि दोनों आरोपियों से मिली जानकारी के आधार पर इन हथियारों की आपूर्ति करने वाले मुख्य स्रोत अमित को 16 फरवरी को जयपुर में मानसरोवर औद्योगिक क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया।

अधिकारी ने बताया कि अगले दिन और स्थानों पर छापे मारे गए तथा इकराम को पानीपत और अकरम को करनाल से गिरफ्तार किया गया और उनके पास से 500 कारतूस बरामद किए गए। मनोज को पंचकूला से गिरफ्तार किया गया।

यादव ने कहा, ‘‘पूछताछ के दौरान सभी आरोपियों ने बताया कि वे अवैध कारतूसों की आपूर्ति करने वाले गिरोह का हिस्सा हैं और उन्होंने रमेश से अवैध रूप से हथियार लिए थे, जिन्हें उन्होंने हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश में अपराधियों समेत विभिन्न लोगों तक पहुंचाया।’’

जांचकर्ताओं ने खुलासा किया कि रमेश कारतूसों का कारोबार करने वाले ‘अम्बाला गन हाउस’ में 2018 से कार्यरत था और प्रतिमाह 10,000 रुपए कमाता था, लेकिन अपनी कम आय के कारण उसने अमित (अम्बाला गन हाउस के मालिक) को अवैध रूप से कारतूस बेचने का लालच दिया ताकि वे अच्छी कमाई कर सकें।

उन्होंने बताया कि अमित गोला-बारूद बनाने वाली एक कंपनी से कारतूस खरीदता था, लेकिन रिकॉर्ड बुक में इसकी उचित प्रविष्टि नहीं करता था। रमेश और अमित इन कारतूसों को 125 रुपए प्रति कारतूस के अधिक दाम पर विभिन्न लोगों को बेचा करते थे।

अधिकारी ने कहा, ‘‘दीपांशु के पास एमबीए की डिग्री है और वह नोएडा की एक साफ्टवेयर कंपनी में काम करता था, लेकिन कोविड-19 के कारण लॉकडाउन की वजह से उसे नौकरी से निकाल दिया गया था। वह बाद में रमेश के संपर्क में आया और पैसे कमाने के लिए उसने कारतूस खरीदने शुरू कर दिए, जिन्हें वह दिल्ली और उत्तर प्रदेश में 200 से 250 रुपए प्रति कारतूस की कीमत पर अपने जानकारों को भेजा करता था।’’

पुलिस ने आरोपियों के पास से कारसूत की आपूर्ति में इस्तेमाल की जाने वाली दो कारों के अलावा मोबाइल फोन और सिमकार्ड बरामद किए हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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