मोदी सरकार में हुआ है 'रिकॉर्डतोड़' भ्रष्टाचार, ये रहे सबूत

By खबरीलाल जनार्दन | Published: May 25, 2018 07:29 AM2018-05-25T07:29:52+5:302018-05-25T07:29:52+5:30

नोटबंदी के 53 दिनों में जन धन खातों में 42,187 करोड़ रुपए जमा हुए। संदिग्‍ध खाताधारकों (जन धन सहित) को आयकर विभाग ने 5,100 नोटिस भेजे हैं।

4 year of Modi Govt corruption in India Nirav Modi Vijay Malya Mehul Chaukasi | मोदी सरकार में हुआ है 'रिकॉर्डतोड़' भ्रष्टाचार, ये रहे सबूत

मोदी सरकार में हुआ है 'रिकॉर्डतोड़' भ्रष्टाचार, ये रहे सबूत

चार सालों में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार देश में भ्रष्टाचार नहीं रोक पाई है। विश्व भर में भ्रष्टाचार मापने वाले ग्लोबल करप्‍शन परसेप्‍शन इंडेक्स (सीपीआई) में साल दर साल भारत नीचे खिसकता जा रहा है। सीपीआई दुनिया के शीर्ष 180 देशों में भ्रष्टचार का सूचकांक जारी करता है। इसमें पहली रैंक पर रहने वाले देशों को भ्रष्टाचार मुक्त और नीचे बढ़ने के साथ दूसरे देशों में पहले कम भ्रष्ट, फिर अधिक भ्रष्ट और फिर बहुत भ्रष्ट, आखिर में एकदम भ्रष्ट की श्रेणी में रखा जाता है।

ग्लोबल करप्‍शन परसेप्‍शन इंडेक्स (CPI) में भारत
सूचकांक वर्ष भारत की CPI रैंक
साल 201576
साल 201679
साल 201781

या फिर इसी महीने भ्रष्टाचार पर हुए इस सर्वेक्षण की बात करें-

आम आदमी की 13 आवश्यक कामों में 2500 से 2800 करोड़ रुपये का दिया गया घूस- बीते एक साल में भ्रष्टाचार पर सीएमएस की रिपोर्ट

सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज के एक हालिया सर्वेक्षण ‘इंडिया करप्शन स्टडी ’ में  भारत के13 राज्यों आंध्र प्रदेश, बिहार, दिल्ली, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश एवं पश्चिम बंगाल के 200 से अधिक ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में हुए सर्वे में भ्रष्टाचार बढ़ने की पुष्टि हुई।

सर्वेक्षण में सार्वजनिक वितरण प्रणाली , बिजली, चिकित्सा, न्यायिक सेवाएं, भूमि - आवास, परिवहन, महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना शामिल रहे। सीएमएस के सर्वेक्षण के अनुसार इन 13 राज्यों में लोगों ने इस सेवाओं के लिए बीते एक साल के दौरान 2500 से 2800 करोड़ रुपये के घूस दिए गए। 

इस रिपोर्ट के बाद एक बार फिर पीएम मोदी का ना खाऊंगा, ना खाने दूंगा बयान खयाल आता है। लेकिन भ्रष्टाचार के आंकड़े मोदी सरकार के चार सालों के दौरान हुए सरकारी बैंकों में घोटालों की तुलना में कुछ नहीं हैं।

मोदी सरकार में बैंकिंग घोटाले

1- नीवर मोदी और मेहुल चौकसी ने सरकारी बैंकों में करीब 13000 करोड़ का घोटाला कर दिया

2- विजय माल्या ने सरकारी बैंकों में 9000 करोड़ का घोटाला कर दिया

इन बड़े घोटालों के बाद छिटपुट करीब 1000 करोड़ के अन्य घोटालों का भी भंड़ाफोड़ हुआ। जबकि ना खाऊंगा ना खाने दूंगा की कुंजी से सत्ता में दाखिल हुई मोदी सरकार इस पूर मसले पर दो शब्द 'जनता के पैसे की लूट बर्दाश्त नहीं' के आगे कुछ नहीं कह पाती।

प्रर्वतन निदेशालय और सीबीआई इनके अन्यान्य ठिकानों पर छापेमारी कर के करोड़ों की संपत्ति कुर्क कर लेने की घोषणा तो करती है, पर उससे क्या बैंकिंग को हुए घाटे, आरबीआई पर आए संकट की भरपाई हो पा रही है। इसका कोई जायजा नहीं लिया जा रहा है। ईडी ने नीरव मोदी के खिलाफ 24 मई 2018 को 1200 पन्ने की चार्जशीट दाखिल की। यानी यह घोटाला इतना बड़ा है कि इसकी जानकारियां 1200 पन्नों में लिखनी पड़ीं। 

नोटबंदीः एक घोटाला या काला धन पर लगाम, 42,187 करोड़ जन-धन खातों में कहां से आए?

सत्तारूढ़ दल के लोग नोटबंदी को एक पवित्र कदम मानते हैं, जिसे जाली नोट, काला धन इत्यादि पर लगाम लगाने के लिए उठाया गया था। लेकिन नतीजे देख लीजिए-  

- नोटबंदी से पहले करीब 73,000 खाते प्रति दिन खोले जा रहे थे। नोटबंदी के 50 दिनों के दौरान प्रति दिन 2, 00, 000 खाते खुले। 
- नोट बदलने का समय खत्म होने के बाद पीएम मोदी की सबसे महत्वकांक्षी योजना जन धन खाते का खुलना औसतन घटकर 92,000 रोजाना पर आ गया।

-नोटबंदी के ऐन बाद 23.30 करोड़ नए जन धन खाते खोले गए। इनमें से 80 फीसदी सरकारी बैंकों में खुले।

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- नोटबंदी के शुरू होने से पहले इन खातों में कुल 456 अरब रुपए जमा थे जो 7 दिसंबर 2016 को 746 अरब रुपए पर पहुंच गए।

-नोटबंदी के 53 दिनों में जन धन खातों में 42,187 करोड़ रुपए जमा हुए। ये आंकड़ा नोटबंदी से पहले के 53 दिनों के मुकाबले 1850 फीसदी ज्यादा है।

-नोटबंदी के दौरान जन धन की ताकत दिखाने वालों में गुजरात सबसे आगे रहा। 

- वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फरवरी 2017 में संसद में कहा कि संदिग्‍ध खाताधारकों (जन धन सहित) को आयकर विभाग ने 5,100 नोटिस भेजे हैं। लेकिन जांच अब कहां है, कोई नहीं जानता।

मोदी सरकार के चार सालों में भ्रष्टाचार पर विशेष वीडियो-

वीडियो में आपने देखा कि नरेंद्र मोदी साल 2014 के आम चुनावों के वक्त भ्रष्टाचार को लेकर कितने मुखर थे। वे अपनी कई रैलियों में भ्रष्टाचार का उल्लेख करते थे, खुद को चौकीदार बताते थे और ना खाने, न खाने देने के सिद्धांतों की बात करते थे। लेकिन इसे रोकने के लिए उठाए गए साहसिक कदम नोटबंदी की असलियत देखिए-

नोटबंदी पर आई रिपोर्ट

नोटबंदी के बाद देश के बैंकों को सबसे अधिक मात्रा में जाली नोट मिले , वहीं इस दौरान संदिग्ध लेनदेन में भी 480 प्रतिशत से भी अधिक का इजाफा हुआ। 2016 में नोटबंदी के बाद संदिग्ध जमाओं पर आई पहली रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के अलावा सहकारी बैंकों तथा अन्य वित्तीय संस्थानों में सामूहिक रूप से 400 प्रतिशत अधिक संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट किये गये। इस लिहाज से 2016- 17 में कुल मिलाकर 4.73 लाख से भी अधिक संदिग्ध लेनदेन की सूचनायें प्रेषित की गईं। 

बीजेपी के चुनाव प्रचार में भ्रष्टाचार का‌ बिगुल, कार्रवाई में फेल

2014 के आम चुनावों के वक्त पीएम मोदी ने कई रैलियों में यूपीए सरकार के दौरान हुए घोटालों का जिक्र किया। उन्होंने आरोप लगाया कि मनमोहन ‌सिंह चुप रहे और एक पर एक घोटाले होते रहे। जबकि कांग्रेस के पूरे कार्यकाल को घोटालों में लिप्त बताया। इनमें वे आदर्श सोयाइटी घोटाला, बोफोर्स घोटाला, कॉमनवेल्‍थ घोटाला, कोयला घोटाला, रॉबर्ट वाड्रा को जमीन आवंटन, शीला दीक्षित का घोटाला...इत्यादि को महत्वपूर्ण मुद्दा बनाए रखा। लेकिन केंद्र में उनकी सरकार आने के बाद इन घोटालों संबंधी कार्रवाई में यूपीए जैसा ही ठुल-मुल रवैया अपनाए रखा। इनमें कई घोटालों के आरोपियों को अदालत ने दोषमुक्त भी कर दिया।

भ्रष्टाचार बढ़ने के कारण

- वेतन-भत्तों का कम होना
- रोजगार के कमतर अवसर
- भ्रष्टाचारियों के लिए ठोस ओर तेज कानून का ना होना
- कामकाज में पारदर्शिता की कमी
- निजी जांच कंपनियों की कमी
- कई राजनैतिक पार्टियों होना
- न्यायिक व्यवस्‍था में उचित शक्तियों का अभाव

भ्रष्टाचार पर भारत में पहली बड़ी बहस

भ्रष्टाचार भारत के लिए कोई नया मुद्दा नहीं है। 21 दिसम्बर 1963 को भारत में भ्रष्टाचार के खात्मे पर संसद में हुई। बहस में समाजवादी नेता डॉ राममनोहर लोहिया भाषण दिया था वह आज भी प्रासंगिक है। उस वक्त डॉ लोहिया ने कहा था सिंहासन और व्यापार के बीच संबंध भारत में जितना दूषित, भ्रष्ट और बेईमान हो गया है उतना दुनिया के इतिहास में कहीं नहीं हुआ है।

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