विलय के पहले विदेश भेजे गए थे हैदराबाद रियासत के 3.5 मिलियन पाउंड, आज की तारीख में 306 करोड़ रुपये है कीमत
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 1, 2019 08:27 AM2019-07-01T08:27:26+5:302019-07-01T08:27:26+5:30
हैदराबाद के आखिरी निजाम मीर ओस्मान अली खान के वित्त मंत्री और लंदन में एजेंट-जनरल नवाब मोईन जंग ने ये पैसे इधर-उधर खर्च कर दिए. इस पर निजाम ने जांच के आदेश दिए.
भारत की आजादी के बाद हैदराबाद की रियासत के भारतीय संघ में मिलने से पहले हैदराबाद के खजाने से लंदन एक मिलियन पाउंड नहीं बल्कि 3.5 मिलियन पाउंड भेजे गए थे. यह ट्रांसफर सितंबर 1948 में पुलिस एक्शन से पहले किया गया था.
जानकारी के अनुसार लंदन और कराची भेजे गए 3.5 पाउंड की आज की तारीख में कीमत 306 करोड़ रुपए है. हालांकि, अभी तक 1 मिलियन पाउंड इसलिए चर्चा में था क्योंकि लंदन के एक बैंक ने हाउस ऑफ लॉर्ड्स के कहने पर इतना पैसा सीज कर दिया था.
पुराने दस्तावेजों से पता चलता है कि 1 मिलियन पाउंड हबीब इब्राहिम रहीमटूला के अकाउंट में जमा कराए गए थे. बाकी पैसे आर्म्स डीलर्स और दूसरों को दिए गए थे. हैदराबाद के आखिरी निजाम मीर ओस्मान अली खान के वित्त मंत्री और लंदन में एजेंट-जनरल नवाब मोईन जंग ने ये पैसे इधर-उधर खर्च कर दिए. इस पर निजाम ने जांच के आदेश दिए.
इस पर जल्द ही लंदन के कोर्ट में फैसला आना है. 3.5 मिलियन पाउंड के अलावा 6 करोड़ से ज्यादा रुपए लंदन और कराची भेजे गए. यह फैसला हैदराबाद के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाइक खान ने लिया. इस पैसे को प्रपोगेंडा फैलाने वालों और हथियारों की डीलिंग करने वालों को दे दिया गया. कुछ पैसा विदेशी पत्रकारों को भी दिया गया.
मोईन नवाज जंग ने रहीमतूला को 1 मिलियन पाउंड देने में बड़ी भूमिका निभाई. इस पूरी रकम की कीमत अब 307 करोड़ रुपए है. 2.5 मिलियन पाउंड के खर्च का कोई हिसाब नहीं है क्योंकि हैदराबाद में राजनीति उथल-पुथल के कारण खजाने से पैसे निकालकर इस्तेमाल करने को कोई नियम नहीं था.
किसको कितनी रकम?
सितंबर 1948 की रिपोर्ट के मुताबिक आर्म्स डीलर हेनरी सिडनी कॉटन को 1 लाख पाउंड मिले और पाकिस्तान के एक अधिकारी को 89,000 पाउंड मिले. गोवा को खरीदने के लिए सर अलेग्जेंडर रॉजर्स को रखा गया था उन्हें 10,000 पाउंड दिए गए.
पाकिस्तान के तत्कालीन वित्त मंत्री गुलाम मोहम्मद को 25,000 पाउंड दिए गए. हैदराबाद के विदेश सचिव जाहिर अहमद को संयुक्त राष्ट्र में हैदराबाद के विलय का केस लड़ने के लिए 45,000 पाउंड दिए गए.