वीडियोः काम के बदले मांगे रुपए तो मिली मार! मजदूरी नहीं मिलने पर बेंगलुरु से 1,000 किमी पैदल चलकर घर पहुंचने को मजबूर हुए ओडिशा के 3 मजदूर
By अनिल शर्मा | Updated: April 5, 2023 12:01 IST2023-04-05T11:42:30+5:302023-04-05T12:01:12+5:30
रिपोर्ट के मुताबिक ये तीनों प्रवासी मजदूर करीब दो महीने पहले एक बिचौलिए की मदद से ओडिशा से बेंगलुरु आए थे। लेकिन काम के बदले जब उन्होंने वेतन की मांग की तो उन्हें पीटा गया और काम से निकाल दिया गया...

वीडियोः काम के बदले मांगे रुपए तो मिली मार! मजदूरी नहीं मिलने पर बेंगलुरु से 1,000 किमी पैदल चलकर घर पहुंचने को मजबूर हुए ओडिशा के 3 मजदूर
कोरापुटः मजदूरी के रुपए नहीं मिलने पर ओडिशा के तीन मजदूर एक हफ्ते से अधिक दिनों तक बिना खाए-पिए बेंगलुरु से पैदल चलकर 2 अप्रैल को अपने घर कोरापुट (ओडिशा) पहुंचे। मजदूरों ने 26 मार्च को बेंगलुरु से यात्रा शुरू की और एक हफ्ते से अधिक दिनों तक 1000 किलोमीटर की दूरी तय कर अपने घर पहुंचे। ये मजदूर करीब दो महीने पहले एक बिचौलिए की मदद से 12 लोगों के साथ ओडिशा से बेंगलुरु गए थे।
पीटीआई ने इन मजदूरों को राह चलते वीडियो शेयर किया है। रिपोर्ट के मुताबिक ये मजदूर 1000 किमी तक का पैदल सफर कर आने को इसलिए मजबूर हुए क्योंकि काम के बदले इन्हें मार मिली। पीटीआई के मुताबिक इन मजदूरों ने काम के काम अपनी मजदूरी मांगी तो नियोक्ता ने इन्हें पीटा। इसके बाद इनके हाथ से काम भी चला गया। इनके पास न तो पैसा बचा था और ना ही खाने को घर में राशन। सिर्फ एक जोड़ी पानी की बोलत लेकर ये बेंगलुरु से निकल गए।
VIDEO | After being denied their share of pay and exhausting their savings in Bengaluru, three migrant workers, holding just a pair of water bottles, returned to Koraput (Odisha) on Sunday after walking for almost a month covering 1000 kms, with no food and money left. pic.twitter.com/A63ADgt6zu
— Press Trust of India (@PTI_News) April 4, 2023
कोरापुट के पोट्टांगी ब्लॉक के पाडलगुडा इलाके में स्थानीय लोगों ने उन्हें देखा और कालाहांडी में उनके घरों तक पहुंचने में उनकी मदद की। मजदूरों ने बताया कि “हम पैसा कमाने और अपने परिवारों के भरण-पोषण के लिए बेंगलुरु गए थे। लेकिन काम खत्म करने के बाद उन्होंने वादा किए गए पैसे देने से इनकार कर दिया। जब हमने मांग की तो हमारे साथ मारपीट की गई। हम यातना सहन नहीं कर सकते थे, इसलिए हमने भागने और अपने घर वापस जाने का फैसला किया।''