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देश में एक साल के भीतर 292 पुलिसकर्मी शहीद, CRPF के जवानों की संख्या सबसे अधिक

By भाषा | Updated: October 20, 2019 13:55 IST

यह जानकारी आधिकारिक आंकड़ों में दी गई है। आंकड़ों में यह भी उल्लेख किया गया है कि स्वतंत्रता से लेकर इस साल अगस्त तक 35 हजार से अधिक पुलिसकर्मियों ने अपना बलिदान दिया है।

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ठळक मुद्देसीआरपीएफ के वे 40 जवान भी शामिल हैं जो इस साल 14 फरवरी को कश्मीर के पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हो गए थे।सूची में महाराष्ट्र पुलिस के 20 कर्मियों के नाम भी शामिल हैं जिनमें से 15 इस साल मई में गढ़चिरौली में माओवादियों द्वारा किए गए बारूदी सुरंग विस्फोट में शहीद हो गए थे।

देश में सितंबर 2018 से लेकर इस साल अगस्त महीने तक आतंकवाद रोधी और अन्य अभियानों में सीआरपीएफ तथा बीएसएफ जैसे अर्धसैनिक बलों के कर्मियों सहित कुल 292 पुलिसकर्मी शहीद हुए हैं। यह जानकारी आधिकारिक आंकड़ों में दी गई है। आंकड़ों में यह भी उल्लेख किया गया है कि स्वतंत्रता से लेकर इस साल अगस्त तक 35 हजार से अधिक पुलिसकर्मियों ने अपना बलिदान दिया है।

सितंबर 2018 से इस साल अगस्त तक शहीद होने वाले राज्य पुलिस और अर्धसैनिक बलों के कर्मियों में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कर्मियों की संख्या सबसे अधिक 67 है। इनमें सीआरपीएफ के वे 40 जवान भी शामिल हैं जो इस साल 14 फरवरी को कश्मीर के पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हो गए थे।

विभिन्न पुलिस बलों और संगठनों से प्राप्त आधिकारिक आंकड़ों का हवाला देते हुए एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि एक साल की अवधि में शहीद होने वालों में सीमा सुरक्षाबल (बीएसएफ) के 41, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के 23 और जम्मू कश्मीर पुलिस के 24 कर्मी शामिल हैं।

सूची में महाराष्ट्र पुलिस के 20 कर्मियों के नाम भी शामिल हैं जिनमें से 15 इस साल मई में गढ़चिरौली में माओवादियों द्वारा किए गए बारूदी सुरंग विस्फोट में शहीद हो गए थे। इस एक साल की अवधि में शहीद होने वालों में छत्तीसगढ़ पुलिस के 14, कर्नाटक पुलिस के 12, रेलवे रक्षा बल (आरपीएफ) के 11, दिल्ली पुलिस के 10, राजस्थान पुलिस के 10, बिहार पुलिस के सात और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षाबल (सीआईएसएफ) के छह कर्मी शामिल हैं।

इनके अलावा इस अवधि के दौरान झारखंड, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश और त्रिपुरा के पुलिस बलों तथा सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी), राष्ट्रीय अपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) तथा असम राइफल्स के कर्मियों का नाम भी शहीद होने वालों की सूची में है। आंकड़ों के अनुसार अर्धसैनिक बलों के शहीद होने वाले जवानों में से ज्यादातर की जान नक्सलवाद और सीमा पार से चलाए जा रहे आतंकवाद के चलते गई।

राज्य पुलिस बलों के कर्मियों की जान नक्सलियों, आतंकवादियों, शराब और बालू माफिया से निपटने तथा कानून व्यवस्था से जुड़े अन्य दायित्वों को निभाते समय गई। स्वतंत्रता से लेकर अगस्त 2019 तक कुल 35,136 पुलिसकर्मियों ने राष्ट्र की रक्षा और लोगों को सुरक्षा उपलब्ध कराते समय अपना बलिदान दिया। शहीद पुलिसकर्मियों के नाम सोमवार को पुलिस स्मृति दिवस के दौरान पढ़े जाएंगे। पुलिस स्मृति दिवस 1959 में चीनी सैनिकों की गोलीबारी में शहीद हुए 10 पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है। 

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