उज्जैन (मध्य प्रदेश), 11 नवंबर जिले की एक विशेष अदालत ने नाबालिग लड़की से बलात्कार के दोष में 21 वर्षीय युवक को 20 साल कठोर कारावास की सजा सुनाई है।
विशेष पॉक्सो अदालत ने 15 वर्षीय पीड़िता के अभियोजन में सहयोग नहीं करने के बावजूद डीएनए परीक्षण के आधार पर सोमवार को दोषी राहुल फुलवरिया को यह सजा सुनाई।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डॉक्टर आरती शुक्ला पांडे ने कहा, ‘‘अदालतों को न केवल आरोपी के अधिकारों को ध्यान में रखना चाहिए बल्कि पीड़ित और समाज के हितों का भी ध्यान रखना चाहिए।’’
न्यायाधीश ने दोषी को 20 साल कठोर कारावास की सजा सुनाते हुए उस पर तीन हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने सजा सुनाते हुए कहा कि अपराध की गंभीरता और सजा के मध्य उचित अनुपात रखना चाहिए। सजा की अपर्याप्तता से पीड़ित और समुदाय को बड़े पैमाने पर नुकसान हो सकता है।
उप संचालक साकेत व्यास ने कहा कि छह जनवरी, 2020 को पीड़िता की मां ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि उसने बेटी को अपने पोते को छोड़ने के लिए स्कूल भेजा लेकिन वह इस दौरान लापता हो गई।
उन्होंने कहा कि अगले दिन जब बेटी लौटी तो उसने राहुल (21) निवासी शाजापुर पर अपहरण और बलात्कार का आरोप लगाया। पुलिस ने राहुल को गिरफ्तार कर लिया।
अभियोजन पक्ष ने कहा कि सुनवाई के दौरान पीड़िता आरोपी के खिलाफ पुलिस को दिए अपने बयान से मुकर गई और सहयोग नहीं किया। इसके बाद पीड़िता और आरोपी दोनों का डीएनए टेस्ट कराया गया और यह साबित हो गया कि लड़की नाबालिग है।
आरोपी की उम्र को ध्यान में रखते हुए उसके वकीलों ने कम से कम सजा सुनाए जाने की अपील की लेकिन सरकारी वकीलों ने इसका विरोध किया। अदालत ने आरोपी को भादवि की धारा 376 (3) और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत आरोपी को दोषी करार देते हुए उसे सजा सुनाई।
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