महात्मा गांधी उत्तराखंड के पर्वतीय शहर कौसानी की नैसर्गिक सुंदरता पर इस कदर फिदा हुए थे कि महज दो दिन के प्रवास के इरादे से आए बापू यहां अनासक्ति आश्रम में 14 दिन तक रुक गए थे।
बात 1929 की गर्मियों की है। भारत भ्रमण के दौरान गांधी जी दो दिन के प्रवास के इरादे से कौसानी पहुंचे थे। यहां आने पर वह हिमालय पर्वत की खूबसूरती से वह इतने मोहित हुए कि उन्होंने अपने प्रवास की अवधि 14 दिन कर ली। वह यहां के एक स्थानीय टी-इस्टेट के मालिक के मेहमान थे।
अनासक्ति आश्रम ने नब्वे साल बाद भी गांधी जी की यादों को संजो कर रखा है। इसका हर कोना महात्मा गांधी की जिंदगी से जुडे़ विभिन्न पहलुओं को समेटे हुए है। गांधी जी ने यहां गुजारे अपने समय का सर्वाधिक उपयोग मोक्ष प्राप्त करने के मार्ग के केंद्रीय भाव से जुडे भगवद् गीता के श्लोकों का अनुवाद करने में व्यतीत किया और इसी की वजह से इस आश्रम का नाम अनासक्ति रखा गया है यानी अपने कार्यों के परिणाम से विमुख रहना।
इमारत के सामने गांधी जी की प्रतिमा लगी है जबकि गांधी जी के तीन बंदरों की मूर्ति प्रवेश द्वार पर अतिथियों का स्वागत करती है। आश्रम की दीवारें उनकी जिंदंगी की घटनाओं से संबंधित सामग्री से सजी हुई हैं। एक दीवार पर गांधी जी का जीवन इतिहास चित्रित है। दूसरी पर उनका वंशवृक्ष है।
आश्रम में अपने प्रवेश के दौरान गांधी ने कई पत्र भी लिखे थे। एक दीवार पर का इन पत्रों मजमून भी है। इन पत्रों में उन्होंने कौसानी की खूबसूरती और भगवत गीता के अनासक्ति योग का अनुवाद करने के बारे में बताया है। अपने पुत्र मणिलाल और पुत्रवधु सुशीला को लिखे एक पत्र में बापू ने लिखा, ‘‘मैं तुम्हें यह पत्र बर्फ में नहाये हुए पहाडों को देखते हुए हिमालय से लिख रहा हूं। मैंने पूरा दिन यहां बालकनी में बैठ कर गीता के श्लोकों का अनुवाद करते हुए गुजारा।’’
यहां 25 कमरों के अलावा एक प्रार्थना/ध्यान कक्ष भी है जहां हर दिन अनिवार्य रूप से प्रार्थना की जाती है। यहां पुस्तकालय में गांधी जी पर और उनके द्वारा लिखी गयी पुस्तकों के अलावा कृषि और विनोबा भावे के कार्यों के बारे में भी पुस्तकें हैं ।
आश्रम के प्रबंधक रमेश चंद्र पांडे ने बताया कि कई वर्षों तक वह घर, जहां गांधी जी रहे, एक अतिथिगृह बना रहा। बाद में उसे डाक बंगला बना दिया गया । तत्कालीन मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी द्वारा उसे उत्तर प्रदेश गांधी स्मारक निधि को सौंपे जाने तक वह डाक बंगला ही बना रहा।
वर्ष 2013 में इस आश्रम के पास गांधी जी की सहयोगी सरला बेन को समर्पित एक संग्रहालय का निर्माण भी किया गया। इंग्लैंड निवासी कैथरीन मेरी हेलमैन ने अपना जीवन भारत के स्वतंत्रता संग्राम को समर्पित कर दिया था। गांधी जी ने उन्हें सरला बेन का नाम दिया था।
इस साल दो अक्टूबर को देश-विदेश में महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती मनायी जा रही है लेकिन प्रदेश में पंचायत चुनाव की आचार संहिता लागू होने के कारण अनासक्ति आश्रम में इसका जश्न ज्यादा धूमधाम से नहीं मनाया जायेगा । पांडे ने बताया कि इस मौके पर आश्रम में केवल झंडारोहण समारोह होगा और प्रभात फेरी निकाली जायेगी।