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बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ का सच: खरीद कर लाई गई दुल्हनों से रोशन हैं हरियाणा में सवा लाख घर

By बलवंत तक्षक | Updated: December 4, 2019 08:01 IST

सर्वे में पाया गया है कि दूसरे राज्यों से 90 फीसदी दुल्हनें खरीद कर लाई गई हैं.

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ठळक मुद्देगांवों में इन्हें मोल की बहु कहा जाता है और यह परंपरा आज भी जारी है. इस परंपरा की शुरुआत सबसे पहले गुरुग्राम और रेवाडी जिलों से हुई थी.

यह किसी मसाला फिल्म की कहानी नहीं है, बल्कि देश को बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ का नारा देने वाले हरियाणा की सच्ची कहानी है. हरियाणवी लोग खरीदी हुई दुल्हनों के जरिए अपनी वंशबेल बढ़ा रहे हैं. कोख में ही बेटियों को मार देने का कलंक धोने में लगे हरियाणा में इस समय एक लाख तीस हजार ऐसे परिवार हैं, जो अपनी दुल्हनें दूसरे राज्यों से खरीद कर लाए हैं.

खरीद कर लाई गई यह दुल्हनें संस्कृति, खान-पान, वेशभूषा और बोलचाल अलग होने के बावजूद हरियाणवियों का घर रोशन किए हुए हैं. सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन संस्था की तरफ से हरियाणा में करवाए गए एक सर्वे से यह हकीकत सामने आई है. यह सर्वे जुलाई, 2017 से जुलाई, 2019 के दौरान दिल्ली, पंजाब और हरियाणा के विश्वविद्यालयों के 125 छात्र-छात्राओं ने मिलकर किया है.

सर्वे की रिपोर्ट अब जारी की गई है. सर्वे में पाया गया है कि दूसरे राज्यों से 90 फीसदी दुल्हनें खरीद कर लाई गई हैं. गांवों में इन्हें मोल की बहु कहा जाता है और यह परंपरा आज भी जारी है. इस परंपरा की शुरुआत सबसे पहले गुरु ग्राम और रेवाडी जिलों से हुई थी.

इसके बाद रोहतक, जींद, सोनीपत, हिसार, कैथल, यमुनानगर, झज्जर, कुरु क्षेत्र जिलों में भी मोल की बहुएं आने लगी. संस्था के संचालक सुनील जागलान ने कहा कि शुरु आती दौर में पश्चिम बंगाल से बहुएं आती थीं, लेकिन फिर बिहार, यूपी, असम और मध्यप्रदेश से भी मोल की बहुएं हरियाणा आने लग गईं.

सोशल मीडिया पर मिशन पॉसिबल अभियान चला कर भी ऐसी बहुओं की जानकारी जुटाई गई है. जागलान के मुताबिक चाहे जींद जिले की 48 वर्षीय संतरा देवी हो, चाहे 32 साल की नीतू हो, इन्हें खरीद कर हरियाणा लाया गया था. संतरा के लिए सालों पहले पश्चिम बंगाल में 20 हजार और नीतू के लिए दो महीने पहले एक लाख साठ हजार रु पए चुकाए गए थे.

दूसरे प्रदेशों से लाई गई इन बहुओं को सम्मान दिलाने के लिए पूर्व सरपंच जागलान ने 'परदेशी बहु, हमारी शान' नाम से एक अभियान शुरू किया है, ताकि इन के माथे से मोल की बहु का कलंक हटवाया जा सके. उन्होंने इन बहुओं की शादियों के रजिस्ट्रेशन पर जोर देते हुए उन्हें आधारकार्ड से जोड़े जाने के लिए भी कहा है. जागलान का कहना है अनजाने में ही सही, पर यह शादियां जाति प्रथा को तोड़ने में कामयाब रही हैं.

टॅग्स :हरियाणा
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