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100 किलो का कछुआ फंस गया था किनारे, ऐसे फिर लौटा समुंदर की गोद में

By गुणातीत ओझा | Updated: October 12, 2020 13:05 IST

लहरों में फंसकर समुद्र तट पर आए कछुए को वन विभाग की टीम ने भेजा वापस। रामेश्वरम के रामनाथापुरम में मंडपम समुद्र तट पर फंसा था कछुआ।

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ठळक मुद्देसोमवार की सुबह 100 किलो वजनी कछुआ लहरों में फंसकर किनारे आ गया।तमिलनाडु के रामेश्वर में रामनाथापुरम जिले में मंडपम समुद्र तट का है मामला।

रामेश्वरम। पानी के जीवों में सबसे शांत और शालीन कहे जाने वाला कछुआ हमेशा लोगों के आकर्षण का केंद्र बना रहता है। कछुओं के बारे में एक सबसे अच्छी बात यह है कि ये किसी को परेशान नहीं करते, न ही इनसे कोई खतरा होता है। लेकिन जब ये सागर या नदी के किनारे आते हैं तो इनके लिए खतरा जरूर पैदा हो जाता है।

कभी-कभी भारी भरकम कछुए लहरों में फंसकर सागर किनारे आ जाते हैं और लाख कोशिशों के बाद भी वापस समुद्र में नहीं जा पाते। ऐसे कछुओं को वन विभाग के कर्मियों की मदद मिलती है। वे इन्हें उनके घर वापस भेजते हैं। ऐसा ही एक वाकया तमिलनाडु के रामेश्वर में सामने आया है। यहां के रामनाथापुरम जिले में मंडपम समुद्र तट है।

इस समुद्र तट पर सोमवार की सुबह 100 किलो वजनी कछुआ लहरों में फंसकर किनारे आ गया। लाख कोशिशों के बाद भी जब वह समुद्र में वापस नहीं जा सका तो उसे रामेश्वरम वन विभाग की टीम ने समुद्र में वापस भेजने का काम किया। वन विभाग की टीम ने बताया कि आमतौर पर ऐसे कछुए कम देखने को मिलते हैं जिनका 100 किलो हो। वजन के हिसाब से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस कछुए की उम्र भी 80 से ज्यादा ही रही होगी।

300 साल से ज्यादा होती है कछुए की जिंदगी

कछुए या कूर्म टेस्टूडनीज़ नामक सरीसृपों के जीववैज्ञानिक गण के सदस्य होते हैं जो उनके शरीरों के मुख्य भाग को उनकी पसलियों से विकसित हुए ढाल-जैसे कवच से पहचाने जाते हैं। विश्व में स्थलीय कछुओं और जलीय कछुओं दोनों की कई जातियाँ हैं। कछुओं की सबसे पहली जातियाँ आज से 15.7 करोड़ वर्ष पहले उत्पन्न हुई थी, जो कि सर्पों व मगरमच्छों से भी पहले था। इसलिये वैज्ञानिक उन्हें प्राचीनतम सरीसृपों में से एक मानते हैं। कछुओं की कई जातियाँ विलुप्त हो चुकी हैं लेकिन 327 आज भी अस्तित्व में हैं। इनमें से कई जातियां खतरे में हैं और उनका संरक्षण करना एक चिंता का विषय है। इसकी उम्र 300 साल से अधिक होती है।

कछुओं का व्यवहार

कछुओं के रेटिना में असामान्य रूप से बड़ी संख्या में कोशिकाओं के होने से ये आसानी से रात के अंधेरे में देख लेते हैं। यह रंगों को देख सकते हैं और पराबैंगनी किरणों से लेकर लाल रंग तक को देख सकते हैं। कुछ भूमि में पाये जाने वाले कछुओं में तेजी की बहुत कमी देखने को मिलती है, इस तरह की कमी ज्यादातर शिकारियों में होती है, जो अचानक तेजी से शिकार को शिकार बना लेते हैं। हालांकि कुछ मांसाहारी कछुए अपने सिर को तेजी से स्थानांतरित करने में सक्षम हैं।

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