सवर्णों को 10% आरक्षण बिल लोकसभा और राज्यसभा से पास, जानें अब कैसे होगा लागू?
By पल्लवी कुमारी | Published: January 10, 2019 07:52 AM2019-01-10T07:52:02+5:302019-01-10T11:58:29+5:30
10 percent quota for economically weak: सवर्णों को आरक्षण देने का उद्देश्य केंद्र और राज्य में शिक्षा के क्षेत्र, सरकारी नौकरियों, चुनाव और कल्याणकारी योजनाओं में हर वर्ग की हिस्सेदारी सुनिश्चित करना है।
सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा एवं रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रावधान वाले ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक को बुधवार को संसद की मंजूरी मिल गयी। राज्यसभा में करीब 10 घंटे तक चली बैठक के बाद संविधान (124 वां संशोधन), 2019 विधेयक को सात के मुकाबले 165 मतों से मंजूरी दे दी। इससे पहले सदन ने विपक्ष द्वारा लाए गए संशोधनों को मत विभाजन के बाद नामंजूर कर दिया। लोकसभा ने भी इस विधेयक को मंजूरी मिल गई थी। जहां मतदान में 3 के मुकाबले 323 मतों से लोकसभा की मंजूरी मिल गयी थी।
अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि बिल लोकसभा और राज्यसभा दोनों जगह से पास होने के बाद आगे क्या होगा? तो बता दें कि अब इसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही ये बिल कानून बन पाएगा। बता दें कि संविधान संसोधन विधेयक को देश की 50 फीसदी विधानसभाओं से भी पास कराना होता है। लेकिन वित्त मंत्री अरूण जेटली ने लोकसभा में कहा था, ''इस बिल को 50 फीसदी राज्य विधानसभा से मंजूरी की जरूरत नहीं है। संविधान में मूलभूत अधिकारों के प्रावधान के संबंध में ऐसी जरूरत नहीं पड़ती है। पदोन्नति में आरक्षण के वक्त भी ऐसा ही हुआ था।''
सभी दलों का मिला राज्यसभा में समर्थन
उच्च सदन में विपक्ष सहित लगभग सभी दलों ने इस विधेयक का समर्थन किया। कुछ विपक्षी दलों ने इस विधेयक को लोकसभा चुनाव से कुछ पहले लाये जाने को लेकर सरकार की मंशा तथा इस विधेयक के न्यायिक समीक्षा में टिक पाने को लेकर आशंका जतायी। हालांकि सरकार ने दावा किया कि कानून बनने के बाद यह न्यायिक समीक्षा की अग्निपरीक्षा में भी खरा उतरेगा क्योंकि इसे संविधान संशोधन के जरिये लाया गया है।
मोदी सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा- 49.5 फीसदी आरक्षण से नहीं होगी कोई छेड़छाड़
केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए इसे सरकार का एक ऐतिहासिक कदम बताया। उन्होंने कांग्रेस सहित विपक्षी दलों से यह पूछा कि जब उन्होंने सामान्य वर्ग को आर्थिक आधार पर आरक्षण दिये जाने का अपने घोषणापत्र में वादा किया था तो वह वादा किस आधार पर किया गया था। क्या उन्हें यह नहीं मालूम था कि ऐसे किसी कदम को अदालत में चुनौती दी जा सकती है।
उन्होंने कहा कि यह हमारी संस्कृति की विशेषता है कि जहां प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एससी और एसटी को आरक्षण दिया वहीं पिछड़े वर्ग से आने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सामान्य वर्ग को आरक्षण देने की यह पहल की है।
उन्होंने एसटी, एससी एवं ओबीसी आरक्षण को लेकर कई दलों के सदस्यों की आशंकाओं को निराधार और असत्य बताते हुए कहा कि उनके 49.5 प्रतिशत से कोई छेड़छाड़ नहीं की जा रही है। वह बरकरार रहेगा।
क्या है मौजूदा आरक्षण के नियम
सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक 50% से अधिक आरक्षण नहीं किया जा सकता। अभी तक 22.5% अनुसूचित जाति (दलित) और अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) के छात्रों के लिए आरक्षित हैं (अनुसूचित जातियों के लिए 15%, अनुसूचित जनजातियों के लिए 7.5%), ओबीसी के लिए अतिरिक्त 27% आरक्षण को शामिल करके आरक्षण का यह प्रतिशत 49.5% है।
आरक्षण देने का मोदी सरकार का उद्देश्य
आरक्षण देने का उद्देश्य केंद्र और राज्य में शिक्षा के क्षेत्र, सरकारी नौकरियों, चुनाव और कल्याणकारी योजनाओं में हर वर्ग की हिस्सेदारी सुनिश्चित करना है। पीएम मोदी के मुताबिक आरक्षण का उद्देश्य सबका साथ सबका विकास है। देश के सभी लोगों को न्याय मिलना चाहिए।
सवर्णों के आरक्षण का किसको होगा फायदा
मोदी सरकार के आरक्षण वाले फैसले का लाभ राजपूत, ब्राह्मण, भूमिहार, बनिया सहित आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को मिलेगा। आर्थिक रूप से पिछड़े इन वर्गों को 10 फीसदी आरक्षण का लाभ दाने के लिए सरकार को अनुच्छेद 15 एवं 16 में स्पेशल क्लॉज जोड़कर संवैधानिक संशोधन करने हैं। जिसका बिल लोकसभा में पास में हो गया है।
सवर्णों आरक्षण का कौन-कौन उठा सकता है लाभ
1- जिनकी वार्षिक आय 8 लाख रुपये हो या इससे कम हो।
2- जिनके पास 5 एकड़ या उससे कम खेती के लिए जमीन है।
3- आरक्षण आर्थिक रूप से पिछड़े ऐसे गरीब लोगों को दिया जाएगा जिन्हें अभी आरक्षण का फायदा नहीं मिल रहा है। 4- जिसका 1000 वर्ग फुट से कम जमीन पर घर है। लेकिन यह शायद देश की आबादी का 20% से कम है। आवास की स्थिति पर 2012 के एनएसएसओ की रिपोर्ट से पता चला है कि सबसे अमीर 20% भारतीय केवल 500 वर्ग फुट के औसत तल क्षेत्र वाले घरों में रहते थे।
5- जिनके पास कस्बों में 200 गज जमीन हो और शहरों में 100 गज जमीन हो।
6- राजपूत,ब्राह्मण, कायस्थ, भूमिहार, बनिया, जाट, गुर्जर को इस श्रेणी में आरक्षण मिलेगा।
7- आरक्षण शिक्षा (सरकार या प्राइवेट), सार्वजनिक रोजगार में इसका लाभ मिलेगा।