ओलंपिक में महिला हॉकी के कांस्य पदक के लिए मुकाबले में भारतीय टीम ने ग्रेट ब्रिटेन को कड़ी टक्कर दी. भारतीय टीम भले मैच हार गई हो लेकिन टीम की सबसे अनुभवी सदस्यों में शामिल वंदना कटारिया ने भी एक गोल दागा. उत्तराखंड के हरिद्वार की रहने वालीं हॉकी प्लेयर वंदना कटारिया के भाई लखन कटारिया बहन के संघर्ष और पिता को याद कर फफक पड़े.
टोक्यो ओलिंपिक में महिला हॉकी टीम का हिस्सा वंदना के भाई ने कहा कि बहन ने पिता से गोल्ड मेडल लाने का वादा किया था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. लखन बताते हैं कि पिता अब हमारे बीच नहीं हैं, बहन ने काफी संघर्ष किया है, उसने पापा के अंतिम दर्शन तक नहीं किए.
पिता के अंतिम संस्कार में नहीं जा सकीं लेकिन अंतिम इच्छा के लिए लगाई जान
वंदना कटारिया के पिता का 30 मई को निधन हो गया. इस दौरान वे बेंगलुरु स्थित साई(SAI) के नेशनल कैंप में थीं. पिता की इच्छा थी कि बेटी ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीते. इस सपने को पूरा करने के लिए वंदना पिता की मौत के बाद घर नहीं आईं और टोक्यो ओलंपिक के लिए तैयारियों में जुटी रहीं.
टोक्यो ओलंपिक में वंदना की हैट्रिक, कुल चार गोल दागे
2006 से भारत के लिए हॉकी खेलने वाली वंदना कटारिया ओलंपिक में हैट्रिक गोल करने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी भी हैं. उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में ही दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 3 गोल दागे थे. यह मैच भारतीय टीम 4-3 से जीतकर क्वार्टर फाइनल में पहुंची थीं. ओलंपिक में चार गोल दाग कर वंदना ने अपने टोक्यो सफर का अंत किया.
सबसे अनुभवी सदस्यों में एक वंदना
29 वर्षीय वंदना कटारिया महिला टीम की सबसे अनुभवी सदस्यों में से हैं. वंदना ने भारत के लिए अब तक करीब 250 मुकाबले खेले हैं. मौजूदा टीम में केवल कप्तान रामपाल ने उनसे अधिक गोल किए हैं.
टोक्यो ओलंपिक में सेमीफाइनल में अर्जेंटीना से हार के बाद वंदना के घर कुछ पड़ोसियों ने आतिशबाजी की, जातिसूचक शब्द कहे. वंदना कटारिया के परिवार ने बताया, ‘वे कह रहे थे कि भारतीय टीम की इसलिए हार हुई क्योंकि टीम में ज्यादा दलित खिलाड़ी हैं'. इस मामले में पुलिस ने 1 आरोपी को गिरफ्तार किया है.