जन्म के 1 साल बाद भी बच्चा नहीं देता रिएक्शन तो उसे हो सकता है ये मेंटल डिसऑर्डर

By उस्मान | Published: April 2, 2018 07:43 AM2018-04-02T07:43:47+5:302018-04-02T07:43:47+5:30

अगर आपका बच्चा 12 महीने की उम्र में भी कोई भी बड़बड़ाहट नहीं कर रहा या इशारा करने, हाथ हिलाने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा तो सावधान हो जाएं।

World Autism Awareness Day: Diagnosis, Causes and Symptoms of Autism | जन्म के 1 साल बाद भी बच्चा नहीं देता रिएक्शन तो उसे हो सकता है ये मेंटल डिसऑर्डर

जन्म के 1 साल बाद भी बच्चा नहीं देता रिएक्शन तो उसे हो सकता है ये मेंटल डिसऑर्डर

आपने शाहरुख खान की फिल्म 'माई नेम इस खान' देखी होगी। आपको याद होगा कि शाहरुख का व्यवहार बच्चों की तरह होता है, उन्हें कुछ याद नहीं रहता और ना ही वो किसी बात पर प्रतिक्रिया देते हैं। दरअसल इस फिल्म में उन्हें माइल्ड ऑटिज्म से पीड़ित दिखाया गया है। क्या आप जानते हैं कि ऑटिज्म क्या है? आज वर्ल्ड ऑटिज्म अवेयरनेस डे है। इसका उद्देश्य इस बीमारी से पीड़ित लोगों को होने वाली परेशानियों पर ध्यान देना और उनके बारे में जागरूकता विकसित करना है। इस बीमारी को लेकर हमने साइकेट्रिस्ट अभिनव मोंगा से बात की है, वो आपको बता रहे हैं कि ऑटिज्म और उसके लक्षणों की जानकारी दे रहे हैं। 

क्या है ऑटिज्म

ऑटिज्म एक तरह का न्यूरोलॉजिकल डिस्ऑर्डर है। यह रोग बचपन से ही रोगी की बातचीत और दूसरे लोगों से व्यवहार करने की क्षमता को सीमित कर देता है। यानी बच्चा परिवार, समाज व बाहरी माहौल से जुड़ने की क्षमताओं को गंवा देता है। इसे ऑटिस्टिक स्पैक्ट्रम डिस्ऑर्डर कहा जाता है, क्योंकि प्रत्येक बच्चे में इसके लक्षण अलग-अलग देखने को मिलते हैं। जन्म के समय बच्चे में ऑटिज्म  का पता लगा पाना मुश्किल होता है। एक साल की उम्र से पहले बच्चों में इसके लक्षणों को पहचान पाना काफी मुश्किल हो जाता है। जब तक बच्चा दो से तीन साल तक का नहीं हो जाता, तब तक माता-पिता बच्चों में ऑटिज्म के लक्षणों को पहचान नहीं पाते हैं। 

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लड़कों को ज्यादा होती है यह बीमारी

इंटरनेशनल रिसर्च यह बताती हैं कि हर 68 बच्चों में से एक ऑटिज्म से पीड़ित होता है। इससे यह पता चलता है कि भारत में लगभग 18 मिलियन बच्चे इससे पीड़ित हैं। लड़कियों की तुलना में लड़कों में इस बीमारी का खतरा चार गुना अधिक है।

ऑटिज्म के लक्षण

-बच्चे दूसरों तक अपनी भावनाएं नहीं पहुंचा पाते या उनके हाव-भाव व संकेतों को समझ नहीं पाते। 
-कुछ बच्चे एक ही तरह का व्यवहार बार-बार करने के कारण थोड़े से बदलाव से ही हाइपर हो जाते हैं। 
-बच्चे छूने पर असामान्य बर्ताव करते हैं। जब उन्हें उठाया जाता है तो वे लिपटने के जगह लचीले पड़ जाते हैं या तन जाते हैं।
-बच्चे किसी की आवाज पर मुस्कराते नहीं है और उन्हें इशारा नहीं समझते हैं। 
-वो आंख से आंख नही मिला पाते हैं और दूसरों में काफी कम रूचि लेते हैं। 
- उनकी सोच बहुत विकसित नहीं होती है। इसलिए वे रचनात्मकता से दूर ही नजर आते हैं।
- बच्चे बोलने के बजाय अजीब-अजीब सी आवाजें निकालते हैं 
-बच्चे अपने आप में ही गुम रहते हैं वे किसी एक ही चीज को लेकर खोए रहते हैं।

ऑटिज्म के कारण

ऑटिज्म के वास्तविक कारण के बारे में फिलहाल जानकारी नहीं है। पर्यावरण या जेनेटिक प्रभाव, कोई भी इसका कारण हो सकता है। वैज्ञानिक इस संबंध में जन्म से पहले पर्यावरण में मौजूद रसायनों और किसी संक्रमण के प्रभाव में आने के प्रभावों का भी अध्ययन कर रहे हैं। शोधों के अनुसार बच्चे के सेंट्रल नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचाने वाली कोई भी चीज ऑटिज्म का कारण बन सकती है। कुछ शोध प्रेग्नेंसी के दौरान मां में थायरॉएड हॉरमोन की कमी को भी कारण मानते हैं। इसके अतिरिक्त समय से पहले डिलीवरी होना। डिलीवरी के दौरान बच्चे को पूरी तरह से आक्सीजन न मिल पाना। गर्भावस्था में किसी बीमारी व पोषक तत्वों की कमी प्रमुख कारण हो सकते हैं।

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ऑटिज्म से बचने के उपाय

ऑटिज्म रोकने के लिए प्रेगनेंसी के दौरान महिला को मेडिकल चेकअप और दवाएं लेना बहुत जरूरी है। इससे मां और बच्चे के शरीर को जांचने में मदद मिलती है। बच्चे के जन्म के छह माह से एक वर्ष के भीतर ही इस बीमारी का पता लग जाता है कि बच्चा सामान्य व्यवहार कर रहा है या नहीं। शुरुआती दौर में अभिभावकों को बच्चे के कुछ लक्षणों पर गौर करना चाहिए। जैसे बच्चा छह महीने का हो जाने पर भी किलकारी भर रहा है या नहीं। एक वर्ष के बीच मुस्कुरा रहा है या नहीं या किसी बात पर विपरीत प्रतिक्रिया दे रहा है या नहीं। ऐसा कोई भी लक्षण नजर आने पर अभिभावक को तुरंत किसी अच्छे मनोचिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।

(फोटो- पिक्साबे) 

Web Title: World Autism Awareness Day: Diagnosis, Causes and Symptoms of Autism

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