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WHO का दावा, कोरोना से नहीं बचा सकता फेस मास्क, जानें मास्क पर कितने घंटे जिंदा रहता है वायरस

By भाषा | Updated: April 7, 2020 08:54 IST

क्या सिर्फ फेस मास्क पहनकर कोरोना वायरस से बचा जा सकता है?

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कोरोना वायरस की वजह से दुनियाभर में 13 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो गए हैं और इससे मरने वालों की संख्या 74,697 लोगों की मौत हो गई है। सबसे ज्यादा मौत इटली में 16,523, स्पेन में 13,341, अमेरिका में 10,871, फ्रांस में 8,911 और यूके में 5,373 मौत हो गई है। सबसे अधिक मामले 367,004 अमेरिका में देखने को मिले हैं। भारत में कुल मामलों की संख्या 4,778 पहुंच गई और अब तक यहां 136 लोगों की मौत हो गई है। 

कोरोना वायरस का कोई इलाज नहीं है और इससे बचने के सिर्फ एक ही तरीका और वो है सोशल डिस्टेनिंग। इस बीच लोग कोरोना से बचने के लिए लोग तरह-तरह के उपायों को अपना रहे हैं। इन्हीं में से एक फेस मास्क है। लेकिन सवाल यह है कि क्या फेस मास्क आपको कोरोना वायरस से बचा सकता है? 

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आगह किया कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए सिर्फ मास्क पहना ही काफी नहीं है। इस बीमारी ने दुनिया भर में अब तक 70 हजार से ज्यादा लोगों की जान ली है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम ग्रेब्युरेसस ने कहा, 'मास्क को सिर्फ बचाव के तौर पर पहना जा सकता है। यह कोई हल नहीं है। सिर्फ मास्क पहनने से कोविड-19 महामारी को नहीं रोका जा सकता।' 

कोविड-19 बीमारी के लिए जिम्मेदार कोरोना वायरस चेहरे पर लगाए जाने वाले मास्क पर हफ्ते भर तक और बैंकनोट, स्टील एवं प्लास्टिक की सतह पर कई दिनों तक जिंदा रहकर संक्रमण फैलाने में सक्षम होता है। एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है।

हांग कांग यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं का कहना है यह वायरस घर में इस्तेमाल होने वाले कीटाणुनाशकों, ब्लीच या साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोने से मर जाएगा।

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने बताया कि अध्ययन में पाया गया कि कोरोना वायरस स्टेनलेस स्टील और प्लास्टिक की सतहों पर चार दिन तक चिपका रह सकता है और चेहरे पर लगाए जाने वाले मास्क की बाहरी सतह पर हफ्तों तक जिंदा रह सकता है।

यह अध्ययन सार्स-सीओवी-2 की स्थिरता को लेकर लगातार हो रहे अनुसंधानों में और जानकारी जोड़ता है तथा बताता है कि इसको फैलने से कैसे रोका जा सकता है।

हांग कांग यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के अनुसंधानकर्ता लियो पून लितमैन और मलिक पेरीज ने कहा, “सार्स-सीओवी-2 अनुकूल वातावरण में बेहद स्थिर रह सकता है लेकिन यह रोगाणु मुक्त करने के मानक तरीकों के प्रति अतिसंवेदनशील भी है।”

अनुसंधानकर्ताओं ने जांचने की कोशिश की कि यह वायरस सामान्य ताप पर विभिन्न सतहों पर कितनी देर संक्रामक रह सकता है। उन्होंने पाया कि प्रिंटिंग और टिशू पेपर पर यह तीन घंटे जबकि लकड़ी या कपड़े पर यह पूरा एक दिन रह सकता है।

कांच और बैंकनोट पर यह वायरस चार दिन तक जबकि स्टेनलेस स्टील और प्लास्टिक पर चार से सात दिन के बीच संक्रामक रहा। यह अध्ययन ‘द लांसेट’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। 

टॅग्स :कोरोना वायरससीओवीआईडी-19 इंडिया
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