ब्लैक फंगस से ज्यादा खतराक white fungus आया सामने, जानिये इसके लक्षण और किसे है इसका ज्यादा खतरा
By उस्मान | Published: May 20, 2021 03:51 PM2021-05-20T15:51:27+5:302021-05-20T15:55:17+5:30
अभी ब्लैक फंगस का प्रकोप थमा नहीं कि व्हाइट फंगस के मामले मिलने लगे हैं
भारत में कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच एक के बाद एक गंभीर बीमारियां फैल रही हैं। पिछले कुछ हफ्तों से ब्लैक फंगस का कहर मचा हुआ है और अब व्हाइट फंगस के मामले मिलने लगे हैं।
बताया जा रहा है कि ब्लैक फंगस से अधिक खतरनाक है। व्हाइट फंगस के के चार मामले पटना से सामने आए हैं। संक्रमित मरीजों में एक पटना का मशहूर डॉक्टर है।
इट फंगस को कैंडिडोसिस भी कहा जाता है। पटना में इस बिमारी के चार मरीज पिछले कुछ दिनों में मिले हैं। इस नई बीमारी की दस्तक के बाद से ही पटना में अफरा तफरी मची हुई है।
व्हाइट फंगस ज्यादा खतरनाक
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, व्हाइट फंगस इन्फेक्शन ब्लैक फंगस से अधिक खतरनाक है क्योंकि यह फेफड़ों के साथ-साथ शरीर के अन्य भागों जैसे नाखून, त्वचा, पेट, गुर्दे, दिमाग, जननांग और मुंह को प्रभावित करता है।
डॉक्टरों ने कहा कि व्हाइट फंगस भी फेफड़ों को संक्रमित करता है और संक्रमित मरीज पर एचआरसीटी करने पर कोविड-19 जैसे संक्रमण का पता चलता है।
कोरोना जैसे लक्षण पर कोरोना नहीं
पीएमसीएच में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉक्टर एसएन सिंह के अनुसार अब तक ऐसे चार मरीज मिले हैं, जिनमें कोरोना जैसे लक्षण थे। हालांकि वह कोरोना नहीं बल्कि व्हाइट फंगस से संक्रमित थे। व्हाइट फंगस को मेडिकल टर्म में कैंडिडोसिस भी कहते हैं। ये बेहद खतरनाक है।
उन्होंने बताया कि उनके संस्थान में ऐसे चार मरीज मिल चुके हैं जो व्हाइट फंगस के शिकार थे। उनमें कोरोना जैसे लक्षण थे लेकिन वे कोरोना पॉजिटिव नहीं थे। इन मरीजों का रैपिड एंटीजेन टेस्ट, आर्टी-पीसीआर और एंटीबॉडी टेस्ट किया गया तो वे कोरोना निगेटिव पाये गये। लेकिन फेफड़ा संक्रमित था। जांच पड़ताल के बाद उन्हें जब एंटी फंगल दवा दी गई तो वे ठीक हो गये।
डॉ. एस.एन सिंह ने बताया कि व्हाइट फंगस द्वारा फेफड़ों के संक्रमण के लक्षण एचआरसीटी में कोरोना के लक्षणों जैसे ही दिखते हैं. जिसमें अंतर करना मुश्किल हो जाता है। इसलिए वैसे मरीजों में रैपिड एंटीजन और आरटी-पीसीआर नेगेटिव है।
किसे हैं व्हाइट फंगस का ज्यादा खतरा
कोरोना मरीज जो ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं उनमें यह फेफडों को संक्रमित कर सकता है। साथ ही व्हाइट फंगस के भी वहीं कारण हैं जो ब्लैक फंगस के हैं- जैसे प्रतिरोधक क्षमता की कमी। डायबिटीज, एंटीबायोटिक का सेवन या फिर स्टेरॉयड का लंबा सेवन।
अस्पतालों में भर्ती होने वाले जिन मरीजों के कोरोना टेस्ट निगेटिव हों लेकिन फेफडों में इंफेक्शन हो यानि एचआरसीटी में कोरोना जैसे लक्षण मिले उनकी सही से जांच की जानी चाहिये। उनके बलगम का फंगस कल्चर होना चाहिये ताकि शरीर में फंगस का पता चल पाये।