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क्या जुड़वां बच्चों को एक ही चीज से एलर्जी होती है?, रिसर्च में ये बात आई सामने

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 16, 2025 09:06 IST

जुड़वां बच्चों में समान एलर्जी की आशंका ज्यादा होने की मुख्य वजह यही है, लेकिन कहानी यहीं समाप्त नहीं होती।

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ठळक मुद्दे‘एलर्जिस्ट’ और ‘इम्यूनोलॉजिस्ट’ हूं तथा उन मरीजों का इलाज करना मेरा काम है।कारकों की अहम भूमिका होती है कि किसे एलर्जी होगी और किसे नहीं। आमतौर पर आपको कोई हानि पहुंचाने का खतरा नहीं होता।

वर्जीनियाः क्या जुड़वां बच्चों को एक ही चीज से एलर्जी होती है? फिलाडेल्फिया की रहने वाली सात साल की बच्ची एला में यह जानने की जिज्ञासा थी। एलर्जी अलग-अलग कारणों से हो सकती है। कुछ लोगों को धूल-मिट्टी या पराग कण के संपर्क में आने पर सर्दी-जुकाम या छींक आने की शिकायत हो सकती है, तो कुछ लोगों को कोई खास चीज खाने से सांस लेने में तकलीफ की समस्या सता सकती है। बहरहाल, किसी भी एलर्जी के लिए आमतौर पर व्यक्ति के जीन और वह वातावरण जिम्मेदार होता है, जिसमें वह रहता है। दो लोगों में जितनी ज्यादा समानताएं होती हैं, उनमें एक ही चीज से एलर्जी होने की आशंका उतनी ही अधिक रहती है। जुड़वां बच्चों में समान एलर्जी की आशंका ज्यादा होने की मुख्य वजह यही है, लेकिन कहानी यहीं समाप्त नहीं होती।

मैं एक ‘एलर्जिस्ट’ और ‘इम्यूनोलॉजिस्ट’ हूं तथा उन मरीजों का इलाज करना मेरा काम है, जिन्हें पर्यावरणीय कारकों, खाद्य वस्तुओं या दवा से एलर्जी है। एलर्जी वास्तव में बहुत जटिल होती है और यह निर्धारित करने में विभिन्न कारकों की अहम भूमिका होती है कि किसे एलर्जी होगी और किसे नहीं।

एलर्जी क्या है -आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीबॉडी नामक प्रतिरक्षा प्रोटीन का उत्पादन करती है। एंटीबॉडी का काम आपके शरीर में प्रवेश करने वाले किसी भी कीटाणु या अन्य खतरनाक पदार्थ पर नजर रखना और उनके हमले से पहले उन्हें नष्ट करना है। एलर्जी तब होती है, जब आपका शरीर किसी ऐसे पदार्थ को नुकसानदायक समझ लेता है, जिसके आमतौर पर आपको कोई हानि पहुंचाने का खतरा नहीं होता।

एंटीबॉडी को सक्रिय करने वाले इन पदार्थों को ‘एलर्जन’ कहते हैं। ‘एलर्जन’ की भनक लगते ही एंटीबॉडी उनसे चिपककर उन्हें निष्क्रिय या नष्ट करने की कवायद शुरू कर देते हैं। इस प्रक्रिया में एलर्जी के सामान्य लक्षण उभरते हैं, जिनमें छींक आना, नाक बहना या जाम होना, आंखों में खुजली होना या पानी आना, खांसी, पेट दर्द, उल्टी, दस्त शामिल है। ये लक्षण परेशान करने वाले हो सकते हैं, लेकिन आमतौर पर ज्यादा तीव्र या घातक रूप नहीं लेते। एलर्जी के कारण ‘एनाफिलैक्सिस’ नामक जानलेवा प्रतिक्रिया भी शुरू हो सकती है, जिसमें तत्काल चिकित्सकीय हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है।

उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति ने कोई ऐसा खाद्य पदार्थ खा लिया, जिससे उसे एलर्जी है और इस कारण उसके गले में सूजन आ जाए और शरीर पर दाने या चकत्ते उभरने लगें तो उसे ‘एनाफिलैक्सिस’ माना जा सकता है। ‘एनाफिलैक्सिस’ के पारंपरिक इलाज के तहत पीड़ित के पैर की मांसपेशी में ‘एपिनेफ्रीन’ हार्मोन का इंजेक्शन लगाया जाता है।

बाजार में अब नाक में डाला जाने वाला ‘एपिनेफ्रीन स्प्रे’ भी उपलब्ध है, जो तेजी से काम करता है। किन-किन चीजों से एलर्जी -व्यक्ति को बाहरी चीजों, जैसे-घास और पराग कण, या भीतरी चीजों, जैसे-कालीन-पर्दों पर चिपके धूल के कण या पालतू जानवर से एलर्जी हो सकती है। चार से पांच प्रतिशत आबादी को खाद्य पदार्थों से एलर्जी की शिकायत हो सकती है।

गाय का दूध, अंडा, गेहूं, सोया उत्पाद, मूंगफली, मेवों, मछली और तिल उन खाद्य पदार्थ में शामिल हैं, जिनसे सबसे ज्यादा एलर्जी होती है। कई बार एलर्जी समय के साथ अपने आप ठीक हो जाती है, लेकिन कई बार यह ताउम्र सताती है। कौन ज्यादा संवेदनशील -आप जिस वातावरण में रहते हैं और आपके आसपास मौजूद साफ-सफाई भी यह तय करती है कि आपको एलर्जी होगी या नहीं।

शोध दिखाते हैं कि व्यक्ति जितने ज्यादा प्रकार के जीवाणु के संपर्क में आएगा, उसके एलर्जी के शिकार होने का जोखिम उतना कम होगा। कई शोध से यह भी पता चला है कि जो बच्चे खेतों में बड़े होते हैं, जिन बच्चों के पास पांच साल की उम्र से पहले पालतू जानवर होते हैं और जिन बच्चों के बहुत सारे भाई-बहन होते हैं, उनमें एलर्जी विकसित होने की आशंका कम रहती है।

इसके अलावा, जीन भी एलर्जी का खतरा निर्धारित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। खाद्य एलर्जी वाली मां की कोख से जन्मे बच्चों के भी संबंधित खाद्य पदार्थ के प्रति संवेदनशील होने का खतरा सात गुना रहता है। जुड़वां बच्चों में जोखिम -ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने पाया कि 60 से 70 फीसदी जुड़वां बच्चों को पर्यावरणीय कारकों से एलर्जी थी और ‘नॉन आइडेंटिकल ट्विन्स’ के मुकाबले ‘आइडेंटिकल ट्विन्स’ को एक ही चीज से एलर्जी होने का जोखिम ज्यादा रहता है।

‘आइडेंटिकल ट्विन्स’ 100 फीसदी जीन साझा करते हैं, जबकि ‘नॉनआइडेंटिकल ट्विन्स’ में केवल लगभग 50 प्रतिशत समान होते हैं। ‘नॉन आइडेंटिकल ट्विन्स’ तब बनते हैं, जब दो अलग-अलग शुक्राणु दो अलग-अलग अंडाणु को निषेचित करते हैं। वहीं, ‘आइडेंटिकल ट्विन्स’ में एक शुक्राणु एक अंडाणु को निषेचित करता है और निषेचित अंडाणु बाद में दो अलग-अलग भ्रूण में विभाजित हो जाता है।

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