अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative Colitis) आंत की बीमारी है जिसमें बड़ी आंत में लंबे समय के लिए सूजन और जलन हो जाती है। इस जलन और सूजन की वजह से बड़ी आंत के मलाशय और मलनाली में छाले हो जाते हैं। इन न छालों और सूजन के कारण पेट-संबंधी परेशानियां होने लगती हैं।
इस बीमारी में लापरवाही खतरनाक साबित हो सकती है। ऐसे में मामूली लक्षणों में भी डॉक्टर की सलाह जरूर लें। अल्सरेटिव कोलाइटिस चार प्रकार के होते हैं।
अल्सरेटिव कोलाइटिस के लक्षण
यह बीमारी आपके पाचन तंत्र पर बुरा असर डालती है और सही समय पर इलाज न कराने पर खतरे का कारण भी बन सकती है। इसके लक्षणों में दस्त जिसमें खून और पस भी हो, पेट में दर्द और मरोड़ का एहसास होना, मल में खून आना, मलाशय में दर्द, वजन का घटना, थकावट होना या बुखार आना, मुंह में छाले होना, पेट दर्द रहना आदि शामिल हैं।
कोलाइटिस होने पर न खायें ये चीजें
सबसे पहले आपको यह जानना चाहिए कि पेट के इस भयंकर बीमारी में आपको कुछ चीजों को पूरी तरह से खाना छोड़ देना चाहिए। इसमें शराब, कैफीन, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, डेयरी उत्पाद, सूखे सेम, मटर, और फलियां, सूखे फल, ऐसे खाद्य पदार्थ जिनमें सल्फर या सल्फेट होता है, फाइबर में उच्च खाद्य पदार्थ, मांस आदि शामिल हैं।
इनके अलावा नट और कुरकुरे अखरोट बटर, पॉपकॉर्न, ऐसे उत्पाद जिनमें सोर्बिटोल है, कच्चे फल और सब्जियां, रिफाइंड शुगर, बीज और मसालेदार भोजन से भी बचना चाहिए। यह चीजें आपकी हालत बिगाड़ सकती हैं।
इन चीजों का करें सेवन
लिनोलेइक एसिडवेबएमडी के अनुसार, कुछ शोध से पता चलता है कि कुछ पोषक तत्व कोलाइटिस के कारण पेट में होने वाली जलन और सूजन से लड़ने में मदद कर सकते हैं। वैज्ञानिकों ने अध्ययन किया है कि लिनोलेइक एसिड (अखरोट, जैतून का तेल, अंडे की जर्दी और नारियल के तेल जैसे खाद्य पदार्थों में पाया जाता है) ऐसे मरीजों के लिए सही है।
ओमेगा -3 फैटी एसिडअन्य अध्ययनों से पता चलता है कि एक ओमेगा-3 फैटी एसिड जिसे ईपीए (ईकोसापेंटेनोइक एसिड) कहा जाता है, सूजन से लड़ सकता है। यह एक और हेल्दी फैट है जो आपके शरीर में कुछ रसायनों को ल्यूकोट्रिएनेस नामक ब्लॉक करता है। मछली का तेल EPA का एक अच्छा स्रोत है।
दहीकुछ शोध यह भी बताते हैं कि दही प्रोबायोटिक्स होता है और यह आंत में हेल्दी बैक्टीरिया बढ़ाकर सूजन को कम करता है। वैज्ञानिक अभी भी अध्ययन कर रहे हैं कि वे और क्या-क्या चीजें ऐसे मरीजों के लिए बेहतर हो सकती हैं।
चावल का पानीचावल का पानी आंत के पीएच लेवल को नियंत्रित रखता है साथ ही भोजन नली में होने वाली इरीटेशन को भी कम करता है। इसमें मौजूद हेल्दी बैक्टीरिया पेट में होने वाली गैस और अपच की समस्या से राहत दिलाती है। इस पानी में उपस्थित विटामिन और मिनरल डायरिया के कारण शरीर में होने वाले पोषक तत्वों की कमी को पूरा करते हैं।
अलसी के बीज का पानीअलसी के बीजों में नेचुरल फाइबर की मात्रा बहुत ज्यादा होती है और इसमें पाए जाने वाले यौगिक आंतों की समस्या से राहत दिलाने में बहुत मदद करते हैं। इसमें मौजूद फैटी एसिड और एंटी-ऑक्सीडेंट, इन्फ्लेमेशन को कम करते हैं और बॉडी से खराब टोक्सिन को बाहर निकालने में मदद करते हैं।
इन बातों का रखें ध्यानआपके डॉक्टर और आहार विशेषज्ञ यह पता लगाने में आपकी सहायता करते हैं कि इस स्थिति में आपको क्या खाना चाहिए। यदि आप संतुलित आहार नहीं खा सकते हैं, तो आपको कैल्शियम, फोलिक एसिड और विटामिन बी 12 जैसे पूरक आहार लेने की आवश्यकता हो सकती है। आप दिन में तीन बड़े भोजन की बजाय कई हिस्सों में थोड़ा-थोड़ा खा सकते हैं।