स्मार्टफोन और अन्य डिजिटल उपकरणों का अधिक इस्तेमाल करने वाले किशोरों में अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर अथवा ध्यान की कमी और अत्यधिक सक्रियता की बीमारी विकसित होने का खतरा अधिक होता है। एडीएचडी एक मानसिक विकार है, जिसमें ध्यान का अभाव, अतिसक्रिय व्यवहार और आवेग देखने को मिलता है जो विकास को प्रभावित करते हैं।
जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन में प्रकाशित अध्ययन में सोशल मीडिया , स्ट्रीमिंग वीडियो , टेक्स्ट मैसेजिंग , संगीत और ऑनलाइन चैटरूम्स सहित डिजिटल माध्यमों के इस्तेमाल से नयी पीढ़ी के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों पर ध्यान दिया गया है। यह अध्ययन अभिभावकों , स्कूलों, तकनीकी कंपनियों और शिशु रोग विशेषज्ञों के लिए आंख खोलने वाला है, जिसमें डिजिटल उपकरणों के अधिक इस्तेमाल को लेकर आगाह किया गया है।
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एडीएचडी क्या है?
एडीएचडी यानी ध्यान का अभाव और अति-सक्रियता एक मानसिक विकार है। इस विकार से परेशान बच्चे को ध्यान एक जगह केन्द्रित करने में परेशानी होती है और स्कूल के कार्यो को पूरा करने में समस्या होती है।
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एडीएचडी के कारण
मुख्यतः एडीएचडीका कारण बच्चे के ब्रेन में न्यूरोलॉजिकल इम्बलेंस है जो इस समस्या को पैदा करता है। ब्रेन में पाए जाने वाले रसायन जिन्हें न्यूरो-ट्रांसमीटर कहते हैं और ये केमिकल ब्रेन को एक्टिव करने में मदद करते हैं। कुछ वैज्ञानिक शोध में पाया गया है कि एडीएचडीसे ग्रस्त बच्चों में कुछ निश्चित न्यूरो-ट्रांसमीटर की मात्रा में कमी पाई गई है। एक ही फैमिली में जुड़वां बच्चो में भी यह स्तिथि मिल सकती है।
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एडीएचडी के लक्षण
- किसी भी बात पर ध्यान नहीं दे पाना - ध्यान को स्थिर बनाये रखने में कठिनाई- अक्सर जो कुछ भी कहा जाता है उसे नहीं सुनना - निर्देशों के अनुसार कार्य करने में परेशानी - कार्यों को व्यवस्थित करने में कठिनाई महसूस करना - चीजें कही भी रख कर भूल जाना - एक जगह स्थिर बैठने में कठिनाई महसूस करना- चुपचाप खेलने में कठिनाई होना
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एडीएचडी से बचाव
एडीएचडीसे बचाव के कोई विशेष नियम अभी तक अज्ञात नहीं हैं फिर भी कुछ निश्चित नियमों की सलाह दी जाती है। इन नियमों का पालन गर्भावस्था के समय करना जरूरी होता है। अपनी गर्भावस्था में महिलाएं स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दें, गर्भावस्था के समय शराब का उपयोग न करें और इस दौरान नियमित मेडिकल चेक-अप जरूर करवाएं।
(फोटो- पिक्साबे)