अध्ययन में दावा, दोनों खुराक के बीच इतने दिनों का अंतर होने से ज्यादा असरदार होगी कोविशील्ड

By उस्मान | Updated: June 29, 2021 14:44 IST2021-06-29T14:40:52+5:302021-06-29T14:44:14+5:30

शोधकर्ताओं ने पाया है कि दूसरी डोज के 6 महीने बाद जब तीसरी डोज बूस्टर के तौर पर दी गई तो कोरोना वायरस के वैरिएंट के खिलाफ इंसानी शरीर में ज्यादा बेहतर रिस्पॉन्स पाया गया।

study says Covishield vaccine offered similar rates of response and immune protection when the second dose of the vaccine was administered as many as 10 months later | अध्ययन में दावा, दोनों खुराक के बीच इतने दिनों का अंतर होने से ज्यादा असरदार होगी कोविशील्ड

कोरोना वायरस की वैक्सीन

Highlights2 डोज के बीच 45 हफ्ते यानी करीब 315 दिन का गैप ज्यादा प्रभावी होता हैऑक्सफोर्ड की ताजा स्टडी में इस बात का दावा किया गयाकोरोना वायरस के वैरिएंट के खिलाफ इंसानी शरीर में ज्यादा बेहतर रिस्पॉन्स पाया गया

ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन (Oxford-Astrazeneca Vaccine) के दो डोज के बीच टाइम गैप को लेकर बहस जारी है। अब ऑक्सफोर्ड की एक नई स्टडी में कहा गया है कि अगर इस वैक्सीन के दो डोज के बीच टाइम गैप 10 महीने का रखा जाए तो कोरोना के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा बेहतर तरीके से काम करेगी।

स्टडी में यह भी कहा गया है कि अगर तीसरा बूस्टर शॉट भी लगाया जाए तो वो एंटीबॉडी बढ़ाने में काफी कारगर साबित होगा। इसका मतलब एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की 2 डोज के बीच 45 हफ्ते यानी करीब 315 दिन का गैप ज्यादा प्रभावी होता है। ऑक्सफोर्ड की ताजा स्टडी में इस बात का दावा किया गया है। 

शोधकर्ताओं ने पाया है कि दूसरी डोज के 6 महीने बाद जब तीसरी डोज बूस्टर के तौर पर दी गई तो कोरोना वायरस के वैरिएंट के खिलाफ इंसानी शरीर में ज्यादा बेहतर रिस्पॉन्स पाया गया।

ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ट्रायल के लीड इंवेस्टिगेटर प्रोफेसर एंड्रयू पोलार्ड ने सोमवार को कहा, 'यह डेटा दिखाता है कि हम एस्ट्रेजेनेका-ऑक्सफोर्ड वैक्सीन की एक और खुराक देकर रिस्पॉन्स को बढ़ा सकते हैं। यह सच में महत्वपूर्ण है।

दो डोज से इम्यूनिटी की अवधि और वैरिएंट के खिलाफ रक्षा को लेकर और रिसर्च से यह तय करने में मदद मिलेगी कि क्या सही में बूस्टर डोज की जरूरत है।'

अध्ययन में कहा गया है कि अगर दूसरी और तीसरी डोज के बीच भी समयांतराल ज्यादा रहता है तो इसका इम्यूनिटी पर बेहतर असर दिखता है।

 दूसरी डोज लेने के 6 माह बाद अगर तीसरी खुराक दी जाए तो एंटीबॉडी में काफी ज्यादा बढ़ोतरी दिखती है और वायरस के लिए इम्यून रिस्पांस में बेहद मजबूत प्रतिक्रिया देखने को मिलती है। हालांकि इस अध्ययन का अभी पीयर रिव्यू होना बाकी है।

यह खबर उन देशों के लिए उम्मीद बढा़ने वाली है, जहां वैक्सीन की आपूर्ति का संकट है और कोविड टीके की दो खुराकों के बीच समय बढ़ने से इम्यूनिटी कमजोर होने की आशंका व्यक्त की जा रही थी।

आपको बता दें मौजूदा वक्त में ज्यादातर देशों ने दो डोज के बीच में 4 से 12 हफ्तों का अंतर रखा है। भारत में एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड वैक्सीन कोवीशील्ड के नाम से बनती है। देश में कोवीशील्ड वैक्सीन की पहली और दूसरी डोज के बीच में 12 से 16 हफ्तों का गैप रखा गया है।

वही दूसरी ओर ऑक्सफोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक इस रिसर्च से दुनियाभर के देशों को वायरस के खिलाफ वैक्सीन अभियान में मदद मिल सकती है। क्योंकि, वैक्सीन के बीच जितना ज्यादा गैप होगा, उतनी ही ज्यादा संख्या में उपलब्ध वैक्सीन अधिकतर लोगों तक पहुंच सकेगी। इस बीच कंपनियों को प्रोडक्शन बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।

Web Title: study says Covishield vaccine offered similar rates of response and immune protection when the second dose of the vaccine was administered as many as 10 months later

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