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परीक्षा के दिनों में बच्चों को तनाव से कैसे दूर रखा जाए, जानें एक्सपर्ट की राय

By गुलनीत कौर | Updated: March 6, 2018 18:13 IST

बार बार सिरदर्द की शिकायत और परीक्षा के दिनों में रात को बुरे सपने आना, दोनों ही विद्यार्थियों में होने वाले तनाव के लक्षण हैं।

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शिक्षा को आजकल हम हर बच्चे का हक समझते हैं। अमीर से लेकर गरीब तक, सभी बच्चों को शिक्षा मिलनी चाहिए यह हमारा मानना है। लेकिन आजकल की फास्ट लाइफ में शिक्षा ही बच्चों की परेशानी का कारण भी बन रही है। हर अभिभावक चाहते हैं कि उनका बच्चा अव्वल आए, अन्य विद्यार्थियों से आगे रहे, लाइफ की इस रेस में जीत उसकी ही हो। इसी भाग दौड़ और प्रेशर के चलते परीक्षाओं के दिनों में बच्चे तनाव का शिकार हो जाते हैं। लेकिन वे तनाव का शिकार हैं या नहीं, वे खुद तो क्या उनके अभिभावक तक समझ नहीं पाते हैं। और नतीजा बुरे एग्जाम और रिजल्ट में देखने को मिलता है। 

बहरहाल देश में परीक्षाओं का दौर शुरू हो चुका है। इस समय तक अमूमन सभी स्कूलों में एग्जाम शुरू हो जाते हैं। 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं भी आरम्भ हो चुकी हैं। परीक्षां के दिनों में विद्यार्थियों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, उनके अभिभावकों को क्या क्या करना चाहिए और साथ ही कैसे जानें कि विद्यार्थी तनाव की ओर बढ़ रहा है, इस बाबत हमने एक मनोविज्ञान एक्सपर्ट से बात करने की कोशिश की। बच्चों को होने वाले तनाव के बारे में और उससे बाहर कैसे आया जाए, इससे संबंधित तथ्यों पर हमारी बातचीत हुई। लेकिन यह सब बताने से पहले जानते हैं कुछ ऐसे लक्षणों के बारे में जो बताते हैं कि आपका बच्चा तनाव का शिकार है: 

- अगर अचानक आपका बच्चा खाने पीने की पसंद में बदलाव करने लगे तो हो सकता है कि वह तनाव का शिकार है। अक्सर तनाव के चलते हमें खाने पीने का मन नहीं होता, लगातार कुछ दिन आपका बच्चा ऐसा करे तो यह तनाव का लक्षण हो सकता है। - बार बार सिरदर्द की शिकायत भी तनाव का एक लक्षण है। - डरावने सपने बार बार आना और बहुत दिनों तक आना तनाव का लक्षण है।- पेट में खराबी, दर्द, कुछ भी खाओ तो पचाने में दिक्कत आना तनाव का बहुत बड़ा लक्षण होता है। - अगर आपका बच्चा छोटा है और वह लगातार कुछ समय से रात में बिस्तर गीला कर रहा है तो यह तनाव का लक्षण है।

परीक्षा के दिनों में या आगे पीछे बच्चों को तनाव से कैसे दूर रखा जाए और यदि वे तनाव से जूझ रहे हों तो उन्हें उससे बाहर कैसे लाया जा सके इस संदर्भ में हमने दिल्ली से मनोविज्ञान विशेषज्ञ डॉ. अभिनव मोंगा से हमने बातचीत की। डॉ. मोंगा बीते छः वर्षों से इस विषय पर प्रैक्टिस कर रहे हैं और विद्यार्थियों के स्वभाव और उनसे जुड़े तनाव-डिप्रेशन को बाखूबी समझते हैं।

विद्यार्थी को तनाव से बचाना है मुश्किल

बच्चों को होने वाले तनाव पर उनका कहना है कि परीक्षा के दिनों में बच्चों को तनाव से बचा पाना मुश्किल है। इतने कढ़े कम्पटीशन के चलते उनके ऊपर प्रेशर बढ़ता है और अंत में वे तनाव का शिकार हो जाते हैं। लेकिन कुछ छोटे छोटे उपायों से हम उन्हें उस परेशानी से बाहर ला सकते हैं। और इसमें उनके माता पिता को उनकी पूरी सहायता करनी चाहिए।

टाइम मैनेजमेंट सीखें

डॉ. मोंगा का कहना है कि परीक्षाओं की तैयारी कर रहे बच्चे 'टाइम मैनेजमेंट' जरूर सीखें। इसमें उनके माता पिता भी उनकी मदद करें। कितनी देर पढ़ाई करनी है, कितनी देर सोना है, खाने-पीने से लेकर टीवी देखने तक के समय को सही से बांटें।

समय से ब्रेक लें

कुछ बच्चे अक्सर लंबे घंटों तक पढ़ते हैं और कब बीच में ब्रेक लेना है इसे सही से समझ नहीं पाते हैं। ऐसे में डॉ. मोंगा का कहना है कि बच्चों को हर 2 से 3 घंटे में आधे घंटे का ब्रेक अवश्य लेना चाहिए। और इस दौरान मोबाइल या टीवी देखने की बजाय लाइट म्यूजिक सुनें, आंखें बंद करके बैठ जाएं या सैर पर निकल जाएं।

भरपूर और केवल रात की नींद लें

नींद पूरी ना लेना परीक्षाओं के दिनों में तनाव हो जाने का बहुत बड़ा कारण है जिसे विद्यार्थी अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। एग्जाम डेज में भरपूर नींद लेना बहुत जरूरी है। कुछ विद्यार्थी थोड़े घंटे पढ़कर और फिर 2 से 3 घंटे की नींद लेते हैं ताकि पूरी रात पढ़ाई कर सकें। डॉ। मोंगा के का कहना है कि "नींद रात के लिए और रात नींद के लिए ही बनी है"। इसलिए रात की 7 से 8 घंटे की भरपूर नींद हर विद्यार्थी अवश्य ले।

फोटो: एनईए, विकिमीडिया कॉमन्स

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