Peegasm क्या है, क्या सच में इससे लड़कियों को ऑर्गेज्म मिलता है?

By उस्मान | Updated: July 19, 2018 13:37 IST2018-07-19T13:37:30+5:302018-07-19T13:37:30+5:30

इस टर्म में यह बताया जा रहा है कि लंबे समय तक पेशाब को रोकने के बाद जब कोई महिला पेशाब करती है, तो उसे सेक्स के चरम आनंद की अनुभूति हो सकती है। जानिए क्या है डॉक्टर की राय-

sex tips what is peegasm and is such a best way to have a orgasm | Peegasm क्या है, क्या सच में इससे लड़कियों को ऑर्गेज्म मिलता है?

Peegasm क्या है, क्या सच में इससे लड़कियों को ऑर्गेज्म मिलता है?

आजकल इंटरनेट पर पीगाज्म (Peegasm) नाम का एक शब्द तेजी से वायरल हो रहा है। खासकर युवा लड़के-लड़कियों में इसे लेकर खूब चर्चा हो रही है। यह शब्द पी यानी पेशाब और ऑर्गेज्म यानी चरम सुख को मिलाकर बना है। इस टर्म में यह बताया जा रहा है कि लंबे समय तक पेशाब को रोकने के बाद जब कोई महिला पेशाब करती है, तो उसे सेक्स के चरम आनंद की अनुभूति हो सकती है। दरअसल यह बहस Reddit thread पर शुरू हुई है। यहां एक पुरुष ने सवाल किया कि क्या किसी महिला को पेशाब रोकने के कुछ देर बाद करने पर मिनी ऑर्गेज्म का एहसास हुआ है? इस सवाल पर बहुत सी महिलाओं ने कमेंट कर बताया कि हां ऐसा करने से उन्हें क्लाइमेक्स का अनुभव हुआ है। हालांकि कुछ महिलाओं ने बताया कि इससे थोड़ा आनंद तो मिलता है लेकिन सेक्स जैसा सुख नहीं मिलता है। कुछ महिलाओं ने यह भी कहा कि ऐसा करने से एक सनसनी या कंपकंपी तो होती है लेकिन इसे सुखद अनुभव नहीं कहा जा सकता है। सवाल यह है कि क्या ऑर्गेज्म पाने का यह तरीका सही है? लेकिन सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि ऑर्गेज्म क्या होता है और सही मायने में महिला के लिए यह कितना जरूरी है।

ऑर्गेज्म क्या है और महिला के लिए कितना जरूरी है?

दिल्ली के मशहूर सेक्सोलॉजिस्ट विनोद रैना के अनुसार, जब कोई महिला शारीरिक या मानसिक रूप से उत्तेजित होती है, तो उसके जननांगों के भीतर ब्लड वेसेल्स फैलती हैं तो ब्लड फ्लो से योनि का मुख (vulva) फूलता है और योनि की दीवारों से तरल पदार्थ स्रावित होता है जिससे योनि में गीलापन होता है। इतना ही नहीं उत्तेजित होने पर महिला की हार्ट बीट और ब्लड प्रेशर भी बढ़ता है। जब महिला को ऑर्गेज्म मिलने लगता है तो ब्लड वेसेल्स सिकुड़ने लगती हैं खासकर गर्भाशय, योनि, गुदा और श्रोणी तल में। इस दौरान महिला को मसल्स में लगभग 0।8 सेकंड तक सिकुड़ने का एहसास होता है। यह लहरदार तरीके से पूरे शरीर में फैलता है जिससे सेक्स का सुख मिलता है। 

पेशाब रोकना और ऑर्गेज्म

डॉक्टर के अनुसार, चूंकि पीगाज्म टर्म में पेशाब को तब तक रोकने की सलाह दी जाती है, जब तक ब्लैडर पूरा नहीं भर जाता है। ऐसा करने से महिला को ऑर्गेज्म नहीं मिलता है बल्कि ऐसा करने से उसे कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। पेशाब रोकने से आपको यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है। यूटीआई से आपको सामान्य से अधिक या बार-बार टॉयलेट जाने की ज़रूरत पड़ सकती है। साथ ही दर्द के साथ ब्लैडर सिंड्रोम और ओवरऐक्टिव ब्लैडर जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।

पेशाब रोकने से हो सकती हैं ये समस्याएं

1) इन्फेक्शन

लंबे समय तक यूरिन रोकने से ब्लैडर में विषैले पदार्थ इकट्ठे हो जाते हैं जिससे यूरिनरी इंफैक्शन होने का खतरा रहता है।

2) पेशाब का रंग बदलना

बहुत अधिक देर यूरीन को रोकने से यूरीन का रंग भी बदलने लगता है। हालांकि ऐसा होने के पीछे सबसे अधिक संभावना संक्रमण की होती है। इसके अलावा बीट, बेरीज, जामुन, शतवारी जैसे कुछ खाद्य पदार्थ के कारण भी यूरीन का रंग प्रभावित होता है। विटामिन बी यूरीन के रंग को हरे और शलजम लाल रंग में बदल देता है। 

3) ब्लैडर में सूजन

यूरिन रोकने की वजह से ब्लैडर में सूजन हो जाती है जिससे पेशाब करते वक्त तेज दर्द होता है।

4) किडनी हो सकती है खराब

यूरिन के रास्ते शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकलते हैं लेकिन जब अधिक देर तक इसे रोक कर रखा जाए तो यह किडनी को नुकसान पहुंचाता है और इससे किडनी फेल होने का भी खतरा रहता है।

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5) किडनी की पथरी

यूरिन में कई तरह के यूरिया और अमिनो एसिड जैसे विषैले पदार्थ होते हैं जिनका शरीर से बाहर निकलना बहुत जरूरी है। ऐसे में जब हम यूरिन रोक कर रखते हैं तो ये विषैले तत्व किडनी के आस-पास इकट्ठे हो जाते हैं जिससे गुर्दे में पत्थरी हो जाती है।

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6) इन्टर्स्टिशल सिस्टाइटिस

इन्टर्स्टिशल सिस्टाइटिस एक दर्दनाक ब्‍लैडर सिंड्रोम है, जिसके कारण यूरीन भंडार यानी ब्‍लैडर में सूजन और दर्द हो सकता है। इन्टर्स्टिशल सिस्टाइटिस से ग्रस्‍त लोगों में अन्‍य लोगों की तुलना में यूरीन बार-बार लेकिन कम मात्रा में आता है। डॉक्‍टरों का मानना हैं कि यह जीवाणु संक्रमण के कारण होता है। इन्टर्स्टिशल सिस्टाइटिस के आम लक्षणों में दर्दनाक श्रोणि, बार-बार यूरीन महसूस होना और कुछ मामलों में ग्रस्‍त व्‍यक्ति ए‍क दिन में 60 बार तक यूरीन जाता है।

(फोटो- पिक्साबे) 

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