Osteoporosis: जानिये हड्डियों की बीमारी ऑस्टियोपोरोसिस के 3 गंभीर लक्षण, किसे है ज्यादा खतरा, बचाव और डाइट प्लान
By उस्मान | Updated: October 4, 2021 09:39 IST2021-10-04T09:35:40+5:302021-10-04T09:39:46+5:30
इस बीमारी का ज्यादा खतरा महिलाओ को होता है और इससे बचने के लिए आपको अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए

ऑस्टियोपोरोसिस का उपचार
ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसके कारण हड्डियों के घनत्व में कमी आ जाती है। प्रभावित हड्डियों का घनत्व कम होने के कारण वे नाजुक होकर हल्के तनाव जैसे गिरने, खांसने और झुकने पर भी टूट सकती हैं, इसे 'फ्रैक्चर' कहते हैं। फ्रैक्चर आमतौर पर रीढ़, कलाई और कूल्हे की हड्डी में देखने को मिलते है।
ग्वालियर स्थित जयारोग्य हॉस्पिटल में प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर शिराली अरविंद रुनवाल आपको बता रही हैं कि ऑस्टियोपोरोसिस क्या है, इसके क्या कारण हैं, इसका खतरा किसे सबसे ज्यादा है, इसका क्या इलाज है और इससे बचने के क्या उपाय हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस का जोखिम किसे है ?
यह महिलाओं और पुरुषों दोनों को प्रभावित करता है, लेकिन एशियाई और श्वेत महिलाएं, विशेष रूप से जो अपनी रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) से गुजर चुकी हैं, वे उच्च जोखिम पर होती हैं। लगभग 40 वर्ष की आयु से अस्थि-द्रव्यमान का नुकसान दिखने लगता है तथा इस्ट्रोजेन विनिवर्तन (डिप्लीशन) के कारण रजोनिवृत्ति के करीब पहुंचने वाली महिलाओं में यह अस्थि-क्षय अधिक तेजी से होता है।
ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण व संकेत
शुरुआती चरणों में चेतावनी के संकेत कम ही होते हैं और जब तक कोई फ्रैक्चर नहीं होता, तब तक यह समस्या दिखाई नहीं देती। लेकिन अगर इस बीमारी के बारे में कोई पारिवारिक इतिहास है, तो आपको अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए और आवश्यक सावधानी बरतनी चाहिए। इसके लक्षणों में पीठ दर्द, गर्दन में दर्द और ऊंचाई का कम होना शामिल हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस के कारण
बढ़ती आयु
मेनोपॉज़
कैल्शियम और विटामिन 'डी' की कमी
धूम्रपान
हाइपोथायरॉयडिज्म
कैफ़ीन व स्टेरॉयड का अधिक प्रयोग
हड्डी घनत्व परीक्षण ( बोन डेंसिटी टेस्ट ) किन महिलाओं को कराना चाहिए?
जो महिलाएं 65 वर्ष से अधिक आयु की हैं, उन्हें बोन डेंसिटी टेस्ट करवाना चाहिए। यदि 60-65 आयु वर्ग की महिलाओं में जोख़िम के कारक ( रिस्क फैक्टर्स ) हैं, तो वे इसे गंभीरता से लें और निदान हेतु डेक्सा स्कैन (DEXA Scan) करवाएं।
ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव के उपाय
आहार में कैल्शियम और विटामिन 'डी' की पर्याप्त मात्रा लें
कुपोषण से बचें
भारोत्तोलक व्यायाम करें
धूम्रपान का निषेध रखें
शराब इत्यादि का सेवन न करें
सौर-ऊर्जा व विटामिन 'डी' का संबंध
नियत अवधि तक सूर्य का प्रकाश पड़ने से हमारे शरीर को विटामिन 'डी' का उत्पादन करने में सहायता मिलती है, जो कैल्शियम के अवशोषण के लिए आवश्यक है.सुबह 10 से दोपहर 3 बजे तक का समय त्वचा द्वारा सूर्य की किरणों को सोखने हेतु सर्वोत्तम है।
इस दौरान आधे घंटे भी पराबैंगनी किरणों का स्किन से संपर्क विटामिन 'डी' बनने की प्रक्रिया में उत्प्रेरक का कार्य करता है. विशेष में 'पर्दा प्रथा' और आधुनिक युवतियों द्वारा सनस्क्रीन्स का अत्यधिक प्रयोग भी विटामिन 'डी' के प्रोडक्शन को बाधित करते हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव के लिए क्या खाएं
- डेयरी उत्पाद जैसे पनीर, दही, कम वसा वाला दूध (स्किम्ड मिल्क)
- मछली जैसे सार्डीन, ट्यूना और हेलिबट
- ताजे फल और सब्जियां जिनमें शलगम, गोभी, सरसों का साग, संतरा, स्ट्रॉबेरी, पपीता, अनानास, केले, प्रून इत्यादि शामिल हैं
- कैल्शियम युक्त फल व ड्राई फ्रूट्स जैसे नाशपाती, चीकू, खुबानी, अंजीर आदि
- शुद्ध शाकाहारियों के लिए मशरूम, विटामिन 'डी' का सबसे अच्छा स्रोत है
- मेनोपॉज के पश्चात महिलाओं को फ़ायटोइस्ट्रोजन रिच इनग्रेडिएंट्स जैसे सोयाबीन, कढ़ी पत्ता, अलसी के बीज, रेड क्लवर (लाल बरसीम) आदि को भोजन में शामिल करना चाहिए
ऑस्टियोपोरोसिस का उपचार
अलग-अलग स्थितियों के आधार पर आपके डॉक्टर कैल्शियम सप्लीमेंट, इस्ट्रोजन रिप्लेसमेंट, विटामिन 'डी' (पाउच, टेबलेट अथवा इंजेक्शन), बिसफ़ॉस्फ़ोनेट्स या कैल्सिटोनिन नामक दवाई प्रिस्क्राइब करते हैं।