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मंकीपॉक्स: मेडिकल रिसर्च में पता चला 95 फीसदी मामले सेक्सुअल एक्टिविटी के कारण पनपे

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: July 23, 2022 22:15 IST

न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन ने अपने पब्लिश रिसर्च पेपर में बताया कि संक्रामक बीमारी मंकीपॉक्स के 95 फीसदी मामले सेक्सुअल एक्टिविटी के कारण पनपे।

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ठळक मुद्देरिसर्च में हुआ खुलासा मंकीपॉक्स के 95 फीसदी मामले सेक्सुअल एक्टिविटी के कारण पनपेन्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन के रिसर्च में बताया गया कि मंकीपॉक्स का मुख्य कारण यौन संबंध हैविश्व स्वास्थ्य संगठन मंकीपॉक्स को गंभीर मानते हुए स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा कर सकता है

वाशिंगटन:मंकीपॉक्स से आतंकित विश्व के सामने न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन ने अपने रिसर्च के जरिये एक गंभीर बात सामने रखी है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन ने गुरुवार को पब्लिश अपने रिसर्च पेपर में बताया कि संक्रामक बीमारी मंकीपॉक्स के 95 फीसदी मामले सेक्सुअल एक्टिविटी के कारण पनपे।

समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक ब्रिटेन में यह रिसर्च तब सामने आया जब विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञ इस बीमारी को भी कोरोना की तरह खतरनाक मानते हुए इस वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल के तौर पर घोषित करने पर विचार कर रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने जर्नल में पब्लिश हुए शोध के लिए 27 अप्रैल से 24 जून, 2022 के बीच 16 देशों में 528 मंकीपॉक्स मामले का अध्ययन किया था।

इस मामले में पेपर के पब्लिशर जॉन थॉर्नहिल ने कहा, "ऐसा नहीं है कि मंकीपॉक्स केवल यौन संचारित संक्रमण से फैलता है। यह बीमारी किसी भी तरह के शारीरिक निकटा से फैल सकती है।"

उन्होंने आगे कहा, "हालांकि, हमारे रिसर्च में तो यही स्पष्ट हुआ है कि मंकीपॉक्स के ज्यादातर केस यौन गतिविधि से संबंधित थे और इसमें भी मुख्य रूप से पुरुषों के साथ पुरुषों के बीच यौन संबंधों के मामले में यह बीमारी सबसे ज्यादा देखी गई है।"

जॉन थॉर्नहिल ने कहा, "हमारा रिसर्च मंकीपॉक्स के फैलने के तरीकों के बारे में जानकारी देता है, इसकी सहायता से स्वास्थ्य वैज्ञानिकों को नए मामलों की पहचना में तेजी से मदद मिलेगा और इस कारण हम मंकीपॉक्स की रोकथाम की व्यापक रणनीति बना सकते हैं।"

रिसर्च के मुताबिक कुल मरीजों में 98 फीसदा संक्रमित लोग या तो समलैंगिक या थर्ड जेंडर मेल थे और उनमें से भी 39 साल आयु के 41 फीसदी मरीज एचआईवी से पीड़ित थे।

बताया जा रहा है कि रिसर्च में शामिल मरीजों ने पिछले तीन महीनों में कम से कम 5 लोगों के साथ यौन संबंध स्थापित किये थे और लगभग एक तिहाई मरीजों ने पिछले महीने के भीतर सेक्स-ऑन-साइट जैसी जगहों पर गये थे।

हालांकि रिसर्च में ज्यादातर मामलों में यौन संबंधों की बात सामने आयी है लेकिन रिसर्चर्स का कहना है कि मंकीपॉक्स का वायरस किसी भी करीबी शारीरिक संपर्क से फैल सकता है। इसमें सांस लेने या फिर मरीजों के कपड़ों की संक्रामित सतहों से फैल सकता है।

इसके साथ ही रिसर्च यह बात भी सामने आयी है कि मंकीपॉक्स से प्रभावित ज्यादातर मरीजों में हल्के लक्षण थे और मंकीपॉक्स के कारण किसी की मौत नहीं हुई। मगर उसमें 13 फीसदी मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था, जिनमें कोई गंभीर जटिलता नहीं थी।

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