COVID-19: भारतीय वैज्ञानिकों का दावा, मानसून में उमस और नमी की वजह से तेज रफ्तार पकड़ सकता है कोरोना, जानिये क्यों

By भाषा | Published: June 12, 2020 11:44 AM2020-06-12T11:44:25+5:302020-06-12T11:44:25+5:30

भारतीय वैज्ञानिकों का दावा, गर्म सतह पर कमजोर हो जाता है कोरोना, जानें नमी में कितनी देर जिंदा रहता है वायरस

IIT Bombay has claimed that hot and dry weather reduces the risk of Covid-19 spread while humid weather is likely to promote it | COVID-19: भारतीय वैज्ञानिकों का दावा, मानसून में उमस और नमी की वजह से तेज रफ्तार पकड़ सकता है कोरोना, जानिये क्यों

मानसून

Highlightsजानकारी से सार्वजनिक स्थानों को संक्रमण मुक्त करने में मिल सकती है मदद रोगियों के खांसते, छींकते और यहां तक की बोलते समय नाक और मुंह से निकलते हैं कणआर्द्र मौसम में वायरस के सक्रिय रहने की संभावना मौटे तौर पर पांच गुणा बढ़ जाती है

कोरोना वायरस और तापमान को लेकर पिछले छह महीनों में कई अध्ययन सामने आ चुके हैं। कई अध्ययनों में दावा किया गया है की कोरोना पर गर्मी का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है जबकि कई में बताया गया है कि तापमान बढ़ने पर यह कमजोर हो जाता है।

हाल ही में मुंबई के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में यह पाया है कि गर्म और शुष्क मौसम में सतह पर कोरोना वायरस के सक्रिय रहने की गुंजाइश कम हो जाती है। इस जानकारी से दुनिया भर में सार्वजनिक स्थानों को संक्रमण मुक्त करने के बेहतर दिशानिर्देश तैयार करने में मदद मिल सकती है।

उन्होंने एक ‘कंप्यूटर मॉडल’ का उपयोग कर यह अध्ययन किया। 'फिजिक्स ऑफ फ्लूड्स' जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में यह आकलन किया गया कि जब कोविड-19 का रोगी खांसता या छींकता है, तो संक्रमण के लिये कोरोना वायरस, सार्स-कोवी-2, कितने समय तक (संक्रमण के लिये) अनुकूल स्थिति में रहता है। 

संक्रमितों के खांसने या छींकने से निकलने वाले कणों पर हुआ शोध
आईआईटी, मुंबई के रजनीश भारद्वाज और अमित अग्रवाल समेत अध्ययन दल में शामिल अन्य वैज्ञानिकों ने न्यूयॉर्क और सिंगापुर समेत दुनिया के लगभग छह शहरों में संक्रमित रोगियों के खांसने या छींकने से निकलने वाले कणों के विभिन्न सतहों पर सूखने की अवधि पर गौर किया। 

नाक और मुंह से निकलते हैं कण
अध्ययन में कहा गया है कि मनुष्य के सिर के एक बाल की मोटाई के आकार के ये कण कोविड-19 के रोगियों के खांसते, छींकते और यहां तक की बोलते समय नाक और मुंह से निकलते हैं। 

उन्होंने कहा कि विषाणु को बाहर लेकर आने वाले ये कण जब वाष्पित हो जाते हैं तब बचा हुआ विषाणु निष्क्रिय हो जाता है, इस तरह कोविड-19 के सक्रिय रहने की अवधि और उसका संचरण इस बात से सीधे तौर पर प्रभावित होता है कि ये कण कितने समय तक अक्षुण्ण रहते हैं। 

आर्द्र मौसम में पांच गुणा बढ़ जाती है सक्रिय रहने की संभावना
उन्होंने अपने विश्लेषण के आधार पर कहा कि कोविड-19 की वृद्धि दर का थोड़ा बहुत संबंध बाहर के मौसम से भी है। शुष्क मौसम की तुलना में आर्द्र मौसम में वायरस के सक्रिय रहने की संभावना मौटे तौर पर पांच गुणा बढ़ जाती है। 

शोधकर्ताओं ने कहा कि अधिक नमी वाले स्थानों पर, छोटे कण लंबे समय तक सतहों पर सक्रिय रहे। इससे वायरस के अधिक समय तक सक्रिय रहने का पता चलता है। उन्होंने कहा कि गर्म और शुष्क स्थानों में किसी सतह पर ये कण जल्द ही निष्क्रिय हो गए।

 

भारत में पहली बार कोविड-19 के नये मामले 10,000 के पार पहुंचे

देश में पहली बार चौबीस घंटों में कोविड-19 संक्रमण के नये मामले 10,000 के पार पहुंच गए हैं और संक्रमण के कुल मामले 2,97,535 हो गए हैं जबकि एक दिन में कुल संक्रमित लोगों में से सबसे अधिक 396 संक्रमित लोगों की मौत के साथ मृतक संख्या 8,498 हो गई है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक शुक्रवार सुबह आठ बजे तक पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस संक्रमण के 10,956 नये मामले सामने आए। वर्ल्डोमीटर के मुताबिक कोरोना वायरस के मामलों के लिहाज से बृहस्पतिवार को भारत ब्रिटेन को पीछे छोड़ दुनिया का चौथा सबसे अधिक प्रभावित देश बन गया।

हालांकि लगातार दूसरे दिन स्वस्थ होने वाले लोगों की संख्या अब भी संक्रमित लोगों की तुलना में अधिक रही। मंत्रालय ने बताया कि अब भी 1,41,842 लोग संक्रमण की चपेट में हैं जबकि 1,47,194 लोग स्वस्थ हुए हैं और एक मरीज विदेश चला गया है। एक अधिकारी ने बताया, “अब तक 49.47 प्रतिशत मरीज स्वस्थ हो चुके हैं।” संक्रमण के कुल मामलों में संक्रमित विदेशी नागरिक भी शामिल हैं।

Web Title: IIT Bombay has claimed that hot and dry weather reduces the risk of Covid-19 spread while humid weather is likely to promote it

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