कैल्शियम शरीर के लिये एक बहुत जरूरी पोषक तत्व है। हड्डियों व दांतों को स्वस्थ व मजबूत रखने के लिये कैल्शियम की जरूरत होती है। साथ ही कैल्शियम हमारे स्वास्थ को भी बेहतर बनाता है। अगर शरीर में कैल्शियम की कमी हो जाए तो कई समस्याएं हो जाती हैं। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि अगर आपके मस्तिष्क में कैल्शियम की मात्रा आवश्यकता से ज्यादा बढ़ जाए तो क्या होगा?
मस्तिष्क में कैल्शियम की मात्रा बढ़ने से पार्किन्सन रोग का खतरा
हाल ही में हुए रिसर्च में यह बात सामने आई है कि मस्तिष्क में कैल्शियम की मात्रा बढ़ने से पार्किन्सन रोग का ख़तरा बढ़ जाता है। पार्किन्सन रोग एक न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग है जिसमें मस्तिष्क में प्राकृतिक रूप से मौजूद प्रोटीन अपने आकार में बदलाव करके और दूसरे प्रोटीन के साथ मिलकर तंतु (फिलामेंट) जैसी संरचना बना लेते हैं जिन्हें एमीलॉईड फाईब्रिल कहा जाता है। एमीलॉईड और अल्फा-सिनुक्लेइन (alpha-synuclein) के इस समूह को लेवी बॉडीज कहा जाता है जो पार्किन्सन रोग का संकेत देता है।
पार्किन्सन रोग के लक्षण
पार्किन्सन रोग आमतौर पर उम्रदराज लोगों को होता है और कोई भी काम करते समय हाथों पैरों का कांपना इस रोग का प्रमुख लक्षण है। शोध में बताया गया कि कैल्शियम, अल्फा सिनुक्लेइन और तंत्रिका शिरा में मौजूद छोटे मेम्ब्रेन संरचना के बीच होने वाले पारस्परिक क्रिया में मध्यस्थता का काम करती है। कैल्शियम या अल्फा सिनुक्लेइन की अधिक मात्रा ऐसे चेन रिएक्शन शुरू कर सकते हैं जिनकी वजह से आगे चलकर मस्तिष्क कोशिकाएं नष्ट हो सकती हैं।
क्या कहते हैं शोधकर्ता
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के प्रमुख लेखक जेनिन लौटेनस्केलेगर ने बताया कि हमने यह पहली बार देखा है कि कैल्शियम, अल्फा सिनुक्लेइन और सिनैप्टिक वेसिकल के आपसी संवाद की प्रक्रिया को प्रभावित करती है। हमें लगता है कि अल्फा सिनुक्लेइन काफी हद तक कैल्शियम सेंसर की तरह है। कैल्शियम की उपस्थिति में यह अपनी संरचना बदलता है और यह जिस ढंग से अपने वातावरण पर प्रभाव डालता है वो इसके सामान्य रूप से काम करने के लिए ज़रूरी है।
कैल्शियम की कमी से आपको हो सकती हैं ये समस्याएं
-हड्डियां कमजोर होना कैल्शिम की कमी का सबसे पहला और बड़ा लक्षण हड्डियों की कमजोरी होता है।-कैल्शियम की कमी के कारण दांत कमजोर हो सकते हैं।-आपके नाखून कमजोर हो सकते हैं।-समय से पहले बाल झड़ना शुरू हो सकते हैं।
रोजाना आपको इतने कैल्शियम की जरूरत होती है
वयस्क तथा बुजुर्गों के लिए प्रतिदिन 1000-1300 मिग्रा., किशोरों के लिए प्रतिदिन 1300 मिग्रा., बच्चों के लिए प्रतिदिन 700-1000 मिग्रा, तथा एक वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए 250-300 मिग्रा. प्रतिदिन।