अगर जलवायु समस्या के खराब परिणाम से बचना है तो विकसित देशों को हफ्ते में केवल 2 हैमबर्गर ही खाना पड़ेगा: नए अध्ययन में खुलासा
By आजाद खान | Published: October 27, 2022 06:03 PM2022-10-27T18:03:01+5:302022-10-27T18:07:12+5:30
इस नए अध्ययन में यह कहा गया है कि इस दशक के अंत तक लोगों को अपने मास के खाने में कमी करना चाहिए और इसे 30 फीसदी तक कम कर देना चाहिए।
Health News: एक नए शोध में यह खुलासा हुआ है कि मांस की खपत में अगर कटौती की जाए तो जलवायु संकट से निपटने के लिए हमें मदद मिलेगी। यह कटौती इतना खास है कि इस रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि खपत को इतना कम कर देना होगा कि किसी भी विकसित देश के निवासियों को हफ्ते में केवल दो बार ही हैमबर्गर खाना होगा।
यही नहीं रिपोर्ट में और भी चौंकानेवाला दावा किया गया है जिस पर गौर नहीं करने से आने वाले दिनों में हमारी परेशानी और भी बढ़ सकती है।
रिपोर्ट में क्या खुलासा हुआ है
इस रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि अगर हम मांस की खपत और उत्पादन को कम कर देते है तो इससे जलवायु संकट को डील करने में काफी आसानी होगी। अध्ययन के अनुसार, जलवायु परिवर्तन में मांस की खपत और उत्पादन का बड़ा रोल होता है। ऐसे में इस पर जल्द से जल्द ध्यान देना बहुत जरूरी है।
मांस की खपत और उत्पादन से जलवायु परिवर्तन काफी प्रभावित होता है और यह यूके के आहार से संबंधित कार्बन उत्सर्जन का लगभग एक तिहाई इतना होता है।
सरकार द्वारा कमीशन की गई रिपोर्ट में क्या निकला
खाद्य उत्पादन के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए पिछले साल सरकार ने एक रिपोर्ट को कमीशन किया था। इस रिपोर्ट में यह कहा गया है कि इस दशक के अंत तक लोगों को मास के खाने में कमी करना चाहिए और यह कमी 30 फीसदी तक कम करना चाहिए।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जिन जगहों पर मास का ज्यादा खपत है वहां आने वाले 2030 तक दैनिक मांस की खपत प्रति व्यक्ति 79 किलो कैलोरी (प्रति सप्ताह दो बीफ बर्गर के बराबर) और 2050 तक 60 किलो कैलोरी (प्रति सप्ताह 1.5 बीफ बर्गर) होनी चाहिए।
इस रिपोर्ट में केवल मांस को ही नहीं बल्कि कोयला और सार्वजनिक परिवहन के बारे में भी बोला गया है। इसमें कहा गया है कि अतिरिक्त उपायों में ऊर्जा स्रोत के रूप में कोयले के चरणबद्ध तरीके से हटाना में और भी तेजी लानी होगी और सार्वजनिक परिवहन के छह गुना तेजी से विस्तार पर भी सोचना होगा।