गोली लगने से उड़ गई गई थी महिला की नाक, डॉक्टरों ने 3000 साल पुरानी टेक्निक से किया सही
By उस्मान | Published: October 10, 2018 03:40 PM2018-10-10T15:40:39+5:302018-10-10T15:40:39+5:30
मेडिकल जगत में भले ही वैगानिकों ने खूब तरक्की कर ली है लेकिन कुछ मामले ऐसे होते हैं, जहां तमाम आधुनिक उपचार नाकाम साबित हो सकते हैं। ऐसे में डॉक्टरों को पुरानी पद्धति का इस्तेमाल करना पड़ता है।
मेडिकल जगत में भले ही वैगानिकों ने खूब तरक्की कर ली है लेकिन कुछ मामले ऐसे होते हैं, जहां तमाम आधुनिक उपचार नाकाम साबित हो सकते हैं। ऐसे में डॉक्टरों को पुरानी पद्धति का इस्तेमाल करना पड़ता है। ऐसा ही एक मामला हाल में सामने आया है। भारतीय डॉक्टरों ने 3000 साल पुरानी टेक्निक का इस्तेमाल करते हुए अफगानिस्तान की महिला की नाक को बनाने में बड़ी सफलता हासिल की है।
गोलीबारी में घायल हो गई थी नाक
अफगानिस्तान की रहने वाली महिला शम्सा की नाक आतंकी गोलीबारी में घायल हो गई थी। वह ना तो सूंघ पाती थीं और ना ही सही से सांस ले पाती थीं। डॉक्टरों के जबरदस्त प्रयास की वजह से 28 वर्षीय शम्सा चार साल बाद फिर से सामान्य तरीके से सांस ले पा रही है और वह सूंघने में भी सक्षम है। गौर करने वाली बात यह है कि डॉक्टरों ने शम्सा की नाक को ठीक करने में जिस तकनीक का इस्तेमाल किया है वह 3000 साल पुरानी है।
तोते की तरह दिखती थी नाक
महिला की नाक का काफी हिस्सा खत्म हो गया था, जिसके चलते शम्सा खो गोली इस तरह से लगी थी कि वह नाक के भीतर घुस गई थी और अंदरूनी हिस्से को नष्ट कर दिया था। उनकी नाक की बनावट भी खराब हो गई थी और नाक तोते की तरह हो गई थी। जिसकी वजह से शम्सा ने प्लास्टिक सर्जरी करने का फैसला लिया और वह इसके लिए दिल्ली पहुंची।
इस तकनीक से किया गया इलाज
ऑपरेशन मेडस्पार के प्लास्टिक सर्जन अजय कश्यप के अनुसार, 'हमारे लिए गर्व की बात है कि आधुनिक तकनीक सुश्रुत की तकनीक पर ही आधारित है। आज भी उनकी तकनीक की मदद से हम नाक और कान को बिल्कुल सटीक तरीके से बना सकते हैं। इस तकनीक के अनुसार ही हमने गाल से स्किन ली और नाक बनाने का काम किया।'
अब चीजों को सूंघ पाएगी महिला
ऑपरेशन के बाद शम्सा ने बताया कि वह काफी खुश हैं कि वह फिर से चीजों को सूंघ पाएंगी, इस सर्जरी ने मेरी जिंदगी को बदल दिया है। उन्होंने कहा कि मुझे पूरी उम्मीद है कि जब मैं वापस घर जाउंगी तो लोग मुझे देखकर मेडिकल क्षेत्र की इस उपलब्धि पर गर्व करेंगे। शम्सा ने बताया कि उनके देश में गोलीबारी आम बात है, लेकिन इस गोलीबारी से जिंदा बचने वाले लोगों को काफी मानसिक और शारीरिक कष्ट से गुजरना पड़ता है।