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COVID-19 treatment: कोविड-19 के गंभीर लक्षणों वाले मरीजों में बेअसर, बच्चों में असरदार साबित हो रही है 'प्लाज्मा थेरेपी'

By उस्मान | Updated: September 9, 2020 16:05 IST

Plasma therapy for covid-19 treatment : शोधकर्ताओं ने प्लाज्मा थेरेपी को बच्चों के लिए सुरक्षित और असरदार बताया है

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ठळक मुद्देबच्चों के लिए प्रभावी प्लाज्मा थेरेपीशुरुआती लक्षणों वालों के लिए कारगरगंभीर लक्षणों में कारगर साबित नहीं हो रही है

छोटे समूह पर किए गए अध्ययन के मुताबिक प्लाज्मा पद्धति से इलाज सुरक्षित प्रतीत हो रहा है और कोविड-19 से पीड़ित बच्चों के उपचार में संभवत: प्रभावी भी है। जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक ब्लड ऐंड कैंसर में प्रकाशित शोधपत्र प्राणघातक कोविड-19 के मरीज बच्चों के प्लाज्मा पद्धति से इलाज के संबंध में पहली रिपोर्ट है। 

अमेरिका स्थित फिलाडेल्फिया बाल अस्पताल (सीएचओपी) के अनुसंधानकर्ताओं ने रेखांकित किया कि सार्स-कोव-2 वायरस (कोरोना वायरस) के सपंर्क में आए बच्चों में उत्पन्न प्राणघातक जटिलताओं का इलाज करने के लिए कोई भी पद्धति सुरक्षित और प्रभावी साबित नहीं हुई है। 

प्लाज्मा थेरेपी क्या है? उन्होंने कहा कि एक संभावित इलाज जिसका प्रयोग वयस्कों में किया गया है, वह है कोविड-19 के ठीक हो चुके मरीजों के रक्त से लिए गए प्लाज्मा का इस्तेमाल। अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि मौजूदा समय में इस पद्धति से बीमार मरीजों का इलाज वायरस के संक्रमण का मुकाबला करने के लिए शरीर में एंटीबॉडी उत्पन्न् करने के लिए किया जा सकता है। 

बच्चों के लिए प्रभावी प्लाज्मा थेरेपीसीएचओपी के वरिष्ठ शोध पत्र लेखक डेविड टीचे ने कहा, 'कुछ बच्चों में वायरस की संक्रमण की वजह से गंभीर जटिलताएं उत्पन्न हो जाती हैं। इसलिए, वयस्कों के सीमित आंकड़ों के आधार पर हमारा मानना है कि प्लाज्मा पद्धति से इलाज का एक विकल्प के रूप में दोहन करना चाहिए।' 

यह अध्ययन चार मरीजों पर आधारित है जिन्हें सांस लेने में परेशानी की गंभीर बीमारी थी। अनुसंधानकर्ताओं ने प्लाज्मा दान करने वाले के शरीर में एंटीबॉडी के स्तर और एंटीबॉडी ग्रहण करने वाले के प्लाज्मा चढ़ाने से पहले और बाद में वायरस से प्रतिक्रिया का अध्ययन किया ताकि पता किया जा सके कि कोई नकारात्मक असर तो नहीं हो रहा है। 

शुरुआती लक्षणों वालों के लिए कारगरटीचे ने कहा, 'हमारा मानना है कि प्लाज्मा उन मरीजों के लिए बहुत लाभदायक है, जो बीमारी के शुरुआती दौर में हैं और उनके शरीर में इससे लड़ने के लिए एंटीबॉडी विकसित नहीं हुई है। 

उन्होंने कहा, 'चूंकि, हमारे शोध में कम नमूनों का इस्तेमाल हुआ है जिसकी वजह से निश्चित नतीजे नहीं निकाले जा सकते, लेकिन हमारा मानना है कि यह पद्धति सुरक्षित है और भविष्य के अनुसंधान में नियंत्रित परीक्षण किया जाना चाहिए ताकि यह पता लगाया जा सके कि कैसे कोरोना वायरस से संक्रमित बच्चों के इलाज में प्लाज्मा का प्रभावी इस्तेमाल किया जा सकता है।  

गंभीर लक्षणों में कारगर साबित नहीं हो रही है कॉन्वलसेंट प्लाज्मा (सीपी) थेरेपी कोरोना वायरस संक्रमण के गंभीर मरीजों का इलाज करने और मृत्यु दर को कम करने में कोई खास कारगर साबित नहीं हो रही है।

सीपी थेरेपी के प्रभाव के लिए 39 अस्पतालों में हुआ परीक्षणभारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा वित्त पोषित बहु-केंद्रीय अध्ययन में यह पाया गया है। कोविड-19 मरीजों पर सीपी थेरेपी के प्रभाव का पता लगाने के लिए 22 अप्रैल से 14 जुलाई के बीच 39 निजी और सरकारी अस्पतालों में 'ओपन-लेबल पैरलल-आर्म फेज द्वितीय मल्टीसेन्टर रेंडमाइज्ड कंट्रोल्ड ट्रायल' (पीएलएसीआईडी ट्रायल) किया गया।

सीपी थेरेपी में कोविड-19 से उबर चुके व्यक्ति के रक्त से एंटीबॉडीज ले कर उसे संक्रमित व्यक्ति में चढ़ाया जाता है, ताकि उसके शरीर में संक्रमण से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो सके। अध्ययन में कुल 464 मरीजों को शामिल किया गया। 

गंभीर मरीजों के इलाज में कारगर नहीं आईसीएमआर ने बताया कि कोविड-19 के लिए आईसीएमआर द्वारा गठित राष्ट्रीय कार्यबल ने इस अध्ययन की समीक्षा कर इससे सहमति जताई। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 27 जून को जारी किए गए कोविड-19 के ‘क्लिनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल’ में इस थेरेपी के इस्तेमाल को मंजूरी दी थी। अध्ययन में कहा, 'सीपी मृत्यु दर को कम करने और कोविड-19 के गंभीर मरीजों के इलाज करने में कोई खास कारगर नहीं है।'  

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