ISRO के वैज्ञानिकों का दावा, कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए N95 मास्क सबसे बेहतर और असरदार
By उस्मान | Published: August 26, 2020 03:52 PM2020-08-26T15:52:56+5:302020-08-26T15:52:56+5:30
कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के उपाय : हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि एन-95 मास्क कोरोना को रोकने में प्रभावी नहीं है
कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सबसे बेहतर मास्क कौन सा है? इस सवाल का जवाब मिल गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के शोधकर्ताओं के एक अध्ययन में सामने आया है कि एन-95 मास्क कोरोना वायरस के प्रसार को कम करने में सबसे प्रभावी हो सकता है।
कोरोना वायरस से बचाव के उपायों में मास्क लगना इस खतरनाक वायरस से बचने का सबसे प्रभावी तरीका है। शोधकर्ताओं का कहना है कि फेस मास्क कोरोना वायरस के प्रसार को रोक सकते हैं।
बूंदों के प्रसार को कम करता है एन-95 मास्क
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, शोधकर्ताओं का कहना है कि खांसने और छींकने के दौरान निकलने वाली बूंदों के जरिये कोरोना जैसे संक्रामक रोगों का प्रसार होता है और यह मास्क इसके प्रसार को कम करने में सहायक है।
जर्नल ऑफ फ्लूइड्स में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि खांसी के प्रसार को कम करने के लिए एन-95 मास्क सबसे प्रभावी है। शोधकर्ताओं ने कहा कि एन-95 मास्क ने खांसी के शुरुआती वेग को 10 तक कम कर दिया और इसके प्रसार को 0.1 से 0.25 मीटर तक सीमित कर दिया।
खुले में खांसने से मुंह से निकली बूंदें तीन मीटर तक जा सकती हैं लेकिन एक साधारण मास्क इन्हें 0.5 मीटर तक नीचे ला सकता है। यह अध्ययन इसरो के पद्मनाभ प्रसन्ना सिम्हा और कर्नाटक में श्री जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवस्कुलर साइंसेज एंड रिसर्च के प्रसन्ना सिम्हा मोहन राव के नेतृत्व में किया गया है।
ऐसे किया अध्ययन
राव और सिम्हा ने कहा कि घनत्व और तापमान तीव्रता से संबंधित हैं और खांसी उनके आसपास के क्षेत्र की तुलना में गर्म होती है। उन्होंने पांच परीक्षण विषयों से स्वैच्छिक खांसी के चित्रों को पकड़ने के लिए, स्केलेरेन इमेजिंग नामक एक तकनीक का उपयोग किया, जो घनत्व में परिवर्तन की कल्पना करता है।
क्रमिक छवियों पर एक खांसी की गति पर नजर रखने से, टीम ने अनुमानित बूंदों के वेग और प्रसार का अनुमान लगाया। शोधकर्ताओं ने कहा कि एन 95-मास्क की बेहतर प्रभावशीलता है और पूरी तरह से 0.1 से 0.25 मीटर के बीच क्षैतिज फैलाव है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने एन-95 मास्क को बताया था बेअसर
कोरोना संकट के बीच केंद्र ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पत्र लिखकर लोगों के छिद्रयुक्त श्वासयंत्र लगे एन-95 मास्क पहनने के खिलाफ चेतावनी जारी कर कहा था कि इससे वायरस का प्रसार नहीं रुकता और यह कोविड-19 महामारी को रोकने के लिए उठाए गए कदमों के 'विपरीत' है।
स्वास्थ्य मंत्रालय में स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक राजीव गर्ग ने राज्यों के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मामलों के प्रधान सचिवों को पत्र लिखकर कहा था कि सामने आया है कि प्राधिकृत स्वास्थ्य कर्मियों की जगह लोग एन-95 मास्क का 'अनुचित इस्तेमाल' कर रहे हैं, खासकर उनका जिनमें छिद्रयुक्त श्वसनयंत्र लगा है।
मास्क पहनते समय इन बातों का रखें ध्यान
नाक और मुंह को करें कवर
मास्क को केवल नाक के ऊपर पहना जाता है ठोड़ी के नीचे नहीं और न सिर्फ मुंह पर। ऐसा करने से नाक खुली रहती है और हवा पास होती रहती है। बेहतर मास्क भी गलत तरीके से पहनने पर सुरक्षा नहीं करता है।
बार-बार मास्क न उतारें
कई लोग मास्क को बार-बार उतारकर डेस्क, फर्श, टेबल या किसी सतह पर रख देते हैं। आपको बता दें कि वायरस सतह से फैलता है। ऐसा करने से आपका मास्क दूषित हो सकता है।
बार-बार मास्क को छूने से बचें
बार-बार मोबाइल फोन, आईपैड, कीपैड या अन्य गैजेट को छूने के बाद मास्क को छूने से भी वो दूषित हो सकता है। इसलिए आपको बार-बार मास्क को छूने से बचना चाहिए।