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Child watching mobile: क्या आपका बच्चा भी देखता है ज्यादा मोबाइल?, यह सावधानी बरतें, जानें नेत्र रोग विशेषज्ञ क्या बोले

By सैयद मोबीन | Updated: December 16, 2023 22:13 IST

Child watching mobile: कई बच्चे नींद से जागते ही मोबाइल हाथ में ले लेते हैं, खाना खाते समय भी उन्हें मोबाइल पर कार्टून्स देखने की आदत लग गई है.

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ठळक मुद्देआदत उनके लिए खतरनाक साबित हो रही है. असर उनकी आंखों पर पड़ रहा है. फास्ट फूड का चलन ज्यादा बढ़ गया है.

Child watching mobile: बच्चों में मोबाइल देखने की आदत जोर पकड़ती जा रही है. बच्चे जब रोते हैं तो अभिभावक भी उन्हें बहलाने के लिए उनके हाथ में मोबाइल थमा देते हैं. कई बच्चे नींद से जागते ही मोबाइल हाथ में ले लेते हैं, खाना खाते समय भी उन्हें मोबाइल पर कार्टून्स देखने की आदत लग गई है.

लेकिन यह आदत उनके लिए खतरनाक साबित हो रही है. इसका असर उनकी आंखों पर पड़ रहा है. बचपन से ही उन्हें चश्मा लगाने की नौबत आ रही है. हालांकि चश्मा लगने के पीछे खानपान में बदलाव और अनुवांशिक कारण भी है लेकिन वर्तमान में मोबाइल सबसे मुख्य कारण बनकर उभरा है.

बच्चों को चश्मा लगने के कारण

नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. पूनम हरकुट ने बताया कि बच्चों को चश्मा लगने के अनेक कारण हैं. इनमें सबसे महत्वपूर्ण चीज मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल करना है. इसके अलावा पर्यावरण में बदलाव भी एक कारक है जैसे बढ़ता प्रदूषण, यूवी रेज आदि. मोबाइल से निकलने वाली ब्ल्यू रेज भी इसके लिए जिम्मेदार हैं.

अनुवांशिक कारक भी होता है, जैसे अभिभावकों को चश्मा लगा हुआ है तो बच्चों को चश्मा लगने की आशंका हाेती है. वर्तमान में खानपान में बदलाव भी एक कारण है, आजकल बाहर का खाना, फास्ट फूड का चलन ज्यादा बढ़ गया है. इसके कारण भी चश्मे का नंबर बढ़ रहा है.

यह सावधानी बरतें

डॉ. पूनम हरकुट ने कहा कि बच्चों के मोबाइल के इस्तेमाल को कम करें. उनके खानपान की तरफ तरफ ध्यान दें. बाहर के खाने, फास्ट फूड से परहेज करें. बच्चों के चश्मे का नंबर सालभर में 1 से ज्यादा बढ़ रहा है तो उसे रोकने के लिए एक ड्रॉप का इस्तेमाल किया जाता है. इनडोर के साथ-साथ आउटडोर स्पोर्ट्स पर जोर दें. कभी-कभी एक आंख को नंबर रहता है और दूसरी आंख को नहीं रहता.

ऐसे में समझ में नहीं आता, लेकिन ऐसे में लेजी आय बनने की आशंका होती है क्योंकि बच्चे को चश्मे का नंबर है तो उसे बचपन से ही नॉर्मल देखने की आदत ही नहीं होती है. इसलिए वह समझ ही नहीं पाता है. इसके लिए बच्चे को 5 साल की उम्र में चश्मे की तकलीफ हो या न हो, जांच जरूर करा लेनी चाहिए. यदि नंबर लग जाए तो डॉक्टर की सलाह के अनुसार नियमित जांच कराएं.

बच्चों को मोबाइल से दूर रखें : डॉ. पूनम हरकुट

नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. पूनम हरकुट ने बताया कि बच्चों को मोबाइल से दूर रखें. इसके लिए आप उन्हें इंडोर के अलावा आउटडोर स्पोर्ट्स में व्यस्त रख सकते हैं. उनके खानपान पर ध्यान दें. यदि चश्मा लग गया है तो डॉक्टर के सलाह पर नंबर बढ़ने से रोका जा सकता है. इसके लिए नियमित रूप से जांच जरूर कराएं. सबसे महत्वपूर्ण बच्चे को नंबर हो या न हो, 5 साल की उम्र के बाद डॉक्टर से जांच जरूर करा लें.

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