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सावधान! भारत पहुंचा Candida auris वायरस, 90 दिन में हो जाती है इंसान की मौत, दवाई-इलाज सब बेअसर

By उस्मान | Updated: April 9, 2019 12:45 IST

Health tips in Hindi: यह फंगस इतना भयंकर है कि मरीज की मौत के बाद भी खत्म नहीं होता है बल्कि मरीज के कमरे, बिस्तर, कपड़े, खिड़की यहां तक की दीवारों में भी फैल जाता है.

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मेडिकल साइंस बेशक तेजी से तरक्की कर रहा है लेकिन नई-नई बीमारियां और वायरस भी उतनी ही तेजी से पैदा हो रहे हैं। आजकल एक नया फंगस डॉक्टरों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। इस फंगस का नाम 'कैंडिडा ऑरिस' (Candida auris) है। बुरी खबर यह है कि इस जानलेवा फंगस पर दवाइयों का भी कोई असर नहीं हो रहा है। डॉक्टरों का मानना है कि मरीज की मौत के बाद भी यह फंगस आसपास की चीजों में जिंदा रहता है। यह एक ऐसा फंगस है, जो आमतौर पर अस्पताल के वातावरण में मौजूद रहता है और कमजोर इम्यूनिटी के मरीजों को अपना शिकार बनाता है।

कैंडिडा ऑरिस के लक्षण (candida auris fungus symptoms)

डॉक्टर्स के मुताबिक इस फंगस के लक्षण बुखार, फ्लू की तरह हैं जिस वजह से पता लगाना मुश्किल होता है। यह संक्रमित व्यक्ति से हॉस्पिटल और नर्सिंग होम तक में फैल सकता है। बुखार, बदन दर्द, थकान, कमजोरी और फ्लू के लक्षण यूं तो आम लगते हैं लेकिन अगर किसी व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कमजोर है और उसे यह फंगस अपनी चपेट में ले ले तो यह साधारण चीजें भी जानलेवा साबित हो सकती हैं।

व्यक्ति की मौत के साथ नहीं मरता फंगस

हाल ही में अमेरिका के माउंट सिनाई हॉस्पिटल में भर्ती कैंडिडा ऑरिस से पीड़ित बुजुर्ग की 90 दिन बाद मौत हो गई। टेस्ट से पता चला कि उन्हें जिस कमरे में रखा गया था वहां की हर चीज पर कैंडिडा ऑरिस मौजूद था। इसके बाद अस्पताल को रूम की सफाई के लिए स्पेशल क्लीनिंग इक्विपमेंट का इस्तेमाल करना पड़ा। उन्हें फंगस को खत्म करने के लिए सीलिंग से लेकर फ्लोर की टाइल्स तक उखाड़नी पड़ी। अस्तपाल के प्रबंधक डॉ स्कॉट लॉरिन ने बताया ‘दीवारें, बिस्तर, दरवाजे, पर्दे, फोन, सिंक, वाइटबोर्ड, पोल, पंप, चादर, बेड रेल, दीवार का शेड, सीलिंग और उस कमरे में मौजूद हर चीज कैंडिडा ऑरिस की पॉजिटिव पाई गईं।’

90 दिनों में जान ले रहा है ये फंगस

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पांच साल में, इससे वेनेजुएला की एक नवजात इकाई, स्पेन का एक हॉस्पिटल बुरी तरह प्रभावित हुआ, यहां तक कि इसके कारण एक जाने-माने ब्रिटिश मेडिकल सेंटर को अपना आईसीयू बंद करना पड़ा। अब ये फंगस अपनी जड़ें भारत, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका में जमा रहा है। कैंडिडा ऑरिस इतना शक्तिशाली और तेजी से फैलना वाला फंगस है कि इससे संक्रमित माउंट सिनाई अस्पताल की ब्रुकलिन ब्रांच में भर्ती शख्स की 90 दिनों बाद मौत हो गई।

ऐसे लोगों को है कैंडिडा ऑरिस का अधिक खतरा

एक्सपर्ट्स के अनुसार, नवजात शिशु से लेकर उम्रदराज लोग इसका शिकार बन सकते हैं। सेंट्रर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक जो लोग हाल ही में हॉस्पिटल में रहे हों और जिनके शरीर में ट्यूब्स डाले गए हों, जैसे- सांस लेने की नली, भोजन की नली, उन्हें सी। ऑरिस इंफेक्शन का ज्यादा खतरा हो सकता है।

भारत भी है चपेट में

एक रिपोर्ट के अनुसार, कैंडिडा ऑरिस के केस भारत में साल 2011 से सामने आ रहे हैं। हाल ही में ऐम्स ट्रॉमा सेंटर के डॉक्टरों द्वारा मरीजों की प्रोफाइल पर की गई स्टडी में यह बात सामने आई कि अस्पताल में साल 2012 से 2017 के बीच भर्ती हुए मरीजों में से करीब हर 10 मामलों में से दो मामले इस फंगस के थे।

एंटीफंगल बेअसर

कैंडिडा ऑरिस से संक्रमित ज्यादातर मरीजों पर आमतौर पर इलाज के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ऐंटीफंगल्स — Fluconazole और Voriconazole का कोई असर नहीं हुआ। इन दवाइयों को मरीजों को तब दिया जाता है जब उन पर ऐंटीबैक्टीरिया दवाइयां असर नहीं करती हैं। 

चुपचाप दुनिया में फैल रहा है फंगस

कैंडिडा ऑरिस दुनियाभर के अस्पताल में चुपचाप फैलता जा रहा है लेकिन सरकारें मरीजों और लोगों को जबरदस्ती डराने की बात कहते हुए इसे लेकर जानकारी प्रचारित करने के लिए तैयार नहीं हैं। यूएस में कैंडिडा ऑरिस के करीब 587 मामले सामने आ चुके हैं।

कैंडिडा ऑरिस से बचने के उपाय

कैंडिडा ऑरिस पर बना रहस्य बरकरार है। फिलहाल यह कहां से आया इससे ज्यादा इसे फैलने से कैसे रोका जाए इस पर ध्यान दिए जाने की ज्यादा जरूरत है। इसके फैलने से रोकने और ट्रीटमेंट को लेकर रिसर्च शुरू की जा चुकी है। 

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