Cancer in Kashmir Valley: जम्मू-कश्मीर में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। यही नहीं स्तन कैंसर से भी जम्मू कश्मीर अछूता नहीं है। अगर जम्मू कश्मीर में हर साल 12 हजार से अधिक कैंसर के मामले सामने आ रहे हैं वहीं 700 से ज्यादा महिलाएं जम्मू कश्मीर में हर साल स्तन कैंसर से लड़ाई हार रही हैं। सिर्फ अनंतनाग में जीएमसी से जुड़े अस्पताल में रेडिएशन आन्कोलाजी विभाग ने पिछले कुछ वर्षों में 1,600 से अधिक कैंसर रोगियों को पंजीकृत किया है, जो जम्मू और कश्मीर में कैंसर के मामलों में चिंताजनक वृद्धि को दर्शाता है।
जीएमसी अनंतनाग में हाल ही में आयोजित कैंसर जागरूकता कार्यक्रम के दौरान कैंसर के मामलों में वृद्धि पर प्रकाश भी डाला गया, जहां चिकित्सा पेशेवरों ने बढ़ती चिंता और प्रारंभिक पहचान और उपचार के महत्व पर चर्चा की। जीएमसी अनंतनाग में आन्कोलाजी विभाग के प्रमुख डा शाहिद ने खुलासा किया कि अस्पताल में लगभग 1,600 कैंसर रोगियों को पंजीकृत किया गया है।
जिनमें से अकेले इस वर्ष 400 से अधिक रोगियों का निदान किया गया है। उन्होंने बताया कि अस्पताल सालाना हजारों कीमोथेरेपी सत्र आयोजित कर रहा है और कैंसर उपचार क्षमताओं को बढ़ाने के लिए रेडियोथेरेपी सुविधाओं को शुरू करने के प्रयास जारी हैं और यह भी सच्चाई है कि जम्मू कश्मीर में हर साल 700 से अधिक महिलाएं स्तन कैंसर से अपनी लड़ाई हार रही हैं।
नवीनतम आंकड़ों से एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि जम्मू कश्मीर में प्रतिदिन औसतन 2 महिला मरीज खतरनाक सी शब्द के कारण दम तोड़ देती हैं। और प्रत्येक संख्या के पीछे अधूरे सपनों और तबाह परिवारों की कहानी छिपी है। ऐसे में साइमा की गाथा को ही लें। साइमा अभी भी अपनी बहन और चचेरे भाई के हार के संघर्ष को याद करके कांप उठती है।
उनके बाल झड़ रहे थे, उनका दर्द धंसी हुई आंखों से झलक रहा था, जबकि वे परिवार के अन्य सदस्यों को आश्वस्त करने की कोशिश कर रहे थे। मौत को करीब से देखने के बाद वह लगातार डर में रहती है - उसकी वार्षिक मैमोग्राम रिपोर्ट की चिंता उसके प्रियजनों के लिए वही पीड़ा पैदा कर रही है।
यह सच है कि जम्मू कश्मीर में स्तन कैंसर ने खतरनाक रूप धारण कर लिया है और नवीनतम आंकड़ों से केंद्र शासित प्रदेश में महिलाओं के बीच मामलों की बढ़ती घटनाओं और मृत्यु दोनों का पता चलता है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, रोजाना औसतन दो मरीज इस बीमारी से जंग हार जाते हैं।
सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि अकेले 2023 में जम्मू कश्मीर में 732 महिलाओं की स्तन कैंसर से मौत हो गई। इसका मतलब यह है कि पिछले साल औसतन प्रतिदिन दो महिलाएं इस बीमारी की शिकार हुईं। इसके अलावा, 2019 और 2023 के बीच 5 वर्षों में, जम्मू-कश्मीर में कुल 2024 महिलाओं ने स्तन कैंसर से अपनी जान गंवाई जो एक चिंताजनक आंकड़ा है।
साल-दर-साल मौतों की संख्या लगातार बढ़ी है। वर्ष 2023 में 732, 2022 में 712, 2021 में 694, 2020 में 674, और 2019 में 654। विशेषज्ञों का मानना है कि मृत्यु दर के आंकड़ों में यह बढ़ौतरी गंभीर चिंता का कारण है। इसके साथ ही, महिलाओं में स्तन कैंसर के ताजा मामलों में भी वृद्धि देखी गई।
रिकार्ड के अनुसार, 2019-2023 के दौरान जम्मू-कश्मीर में 9321 महिलाओं में स्तन कैंसर की पुष्टि हुई। वार्षिक विवरण बढ़ती घटनाओं पर प्रकाश डालता है कि वर्ष 2023 में 1967 नए मामले, 1915 मामले 2022 में, 2021 में 1864, वर्ष 2020 में 1812 और 2019 में 1,763 मामलों का निदान किया गया।