खुशखबरी! इस खास मछली से हो सकता है कैंसर, स्ट्रोक जैसी 5 खतरनाक बीमारियों का प्रभावी इलाज, जानें कैसे
By उस्मान | Published: May 17, 2019 10:29 AM2019-05-17T10:29:09+5:302019-05-17T10:29:09+5:30
अध्ययन में पाया गया कि ‘सी लैम्प्रे’ के प्रतिरोधक तंत्र में पाए जाने वाले अणुओं को अन्य उपचारों के साथ मिलाया जा सकता है और इससे अन्य प्रकार के विकार जैसे मल्टीपल स्क्लेरोसिस, अल्जाइमर और स्ट्रोक का उपचार किया जा सकता है।
मछली खाने से कई स्वास्थ्य फायदे होते हैं लेकिन एक ऐसी मछली भी है जो भविष्य में कैंसर, मल्टीपल स्क्लेरोसिस, अल्जाइमर और स्ट्रोक जैसे खतरनाक बीमारियों के इलाज में सहायक हो सकती है। इस मछली का नाम सी लैम्प्रे (Sea lamprey) है। इस मछली में पंख नहीं होते हैं और इसका मुंह बिना जबड़े के होता है जो देखने में गोल और चूसा-सा लगता है। हालांकि मुंह की जगह गोलाकार शेप में इसके तेज नुकीले दांत होते हैं।
एक नए शोध में पता चला है कि ऐसी मछलियां जिनमें जबड़े नहीं होते में, उनमें एक प्रकार का रसायन पाया जाता है जिसके जरिए ब्रेन ट्यूमर में कैंसर रोधी दवाएं सीधे तौर पर पहुंचाईं जा सकती हैं। यह शोध ‘‘साइंस एडवांसेज’’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
कैंसर सहित अल्जाइमर और स्ट्रोक का भी होगा उपचार
अध्ययन में पाया गया कि परजीवी ‘सी लैम्प्रे’ के प्रतिरोधक तंत्र में पाए जाने वाले अणुओं को अन्य उपचारों के साथ मिलाया जा सकता है और इससे अन्य प्रकार के विकार जैसे मल्टीपल स्क्लेरोसिस, अल्जाइमर और स्ट्रोक का उपचार किया जा सकता है।
अमेरिका के मैडिसन-विस्कोन्सिन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एरिक शूस्ता कहते हैं, ‘‘हमारा मानना है कई स्थितियों में इसे मूल प्रौद्योगिकी के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि जब दवाओं को इंजेक्शन के जरिए दिया जाता है तो अनेक दवाएं मस्तिष्क के लक्षित हिस्से तक पहुंच नहीं पाती क्योंकि रक्त-मस्तिष्क अवरोधक बड़े अणुओं को जाने से रोकते हैं।
दवाइयों को सटीक स्थान पर पहुंचाने का बेहतर तरीका
शोधकर्ताओं का कहना है कि ब्रेन कैंसर, मस्तिष्काघात, ट्रॉमा जैसी स्थितियों में ये अवरोधक रोग वाले क्षेत्र में छिद्रयुक्त हो जाते हैं। अध्ययन से पता चलता है कि छिद्रयुक्त अवरोध वहां से प्रवेश का बेहतरीन अवसर उपलब्ध कराते हैं। यहां से अणु मस्तिष्क में जा कर दवा को सटीक स्थान पर पहुंचा सकते हैं।
एक अन्य शोधकर्ता बेन उमलॉफ का कहना है कि यह दवाइयों को सटीक स्थान पर पहुंचाने का एक तरीका हो सकता है, जो सामान्यतया मस्तिष्क में ठीक प्रकार से पहुंच नहीं पाती उनका कहना है,‘‘ अनेक बीमारियां ऐसी हैं जो रक्त-मस्तिष्क अवरोधक को बाधित करते हैं और हम उन अणुओं में दवा मिला कर अनेक उपचार दे सकते हैं।’’